यूपी में अलकायदा : नफा नुकसान की राजनीति में कैसे उगाई जाती है आतंक की फसल, जानने के लिए पढ़िए
(लखनऊ के दुबग्गा से गिरफ्तार कथित अल-कायदा के आतंकी मिनहाज अहमद व मसीरूद्दीन उर्फ मशरू.)
जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 10 जुलाई को पंचायत का आखिरी चुनाव यानी ब्लॉक प्रमुख के लिए मतदान संपन्न हो चुका है। इस चुनाव इतना बवाल हुआ कि हर तरफ से हिंसा की खबरें आईं। लखीमपुर खीरी में तो महिला प्रत्याशी का चीरहरण तक हो गया। इसे लेकर सरकार महान की खूब किरकिरी हुई।
लेकिन जो हार मान ले वह जमीनी राजनेता कैसा और फिर जब सत्ता में विराजमान हो। दिमाग से बीती यादों को डिलीट करने के लिए लंबे अर्से से टीवी, अखबार, रेडियो वगैरा से सरकार जनता को उनका भला बुरा दिखाकर भय या खुशहाली देर सबेर ला ही देती है। खैर, अब कहानी में नया एंगल प्रवेश कर चुका है। एंगल है आतंकवाद का।
— #मोदी_ही_डकैत_है (@jafak7) July 12, 2021
कल से लखनऊ में हड़कंप मचा हुआ है। यूपी एटीएस ने लखनऊ के काकोरी स्थित थाना दुबग्गा से अलकायदा से जुड़े दो आतंकी पकड़े गये हैं। एक प्रेशर कुकर सहित भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुआ है। पुलिस ने डेढ़ पन्ने का प्रेस नोट जारी कर बताया कि दो आतंकियों को हिरासत में लिया गया है। जिनमें से एक का नाम मिनहाज अहमद पुत्र सिराज अहमद है व दूसरे की पहचान मसीरूद्दीन उर्फ मुशीर पुत्र अमीनुद्दीन के रूप में हुई है।
अरे साहब चुनाव जो जीतना है,,,
— FIROJ MOHAMMAD KHAN adv (@FIROJ_MOHAD_ADV) July 12, 2021
बस दो चार मुस्लिम पकड़ो, प्रेस कांफ्रेंस करो उनको आतंकवादी कहो, मीडिया हफ्ते भर उसको प्रचारित करे। जनता का गुमराह कर वोट पाओ।
अंत में दस बीस साल बाद निर्दोष साबित होगा।
पुलिस ने गिरफ्तार किए दोनो व्यक्तियों का संबंध अल-कायदा समर्थित अंसार गजवातुल हिंद से बताया है। और भी जगहों से इनपुट है जहां छापेमारी चल रही है। इस खबर को लेकर कई तरह की टीका टिप्पणियां की जा रही हैं। कोई कह रहा है कि चुनावी हिंसा से ध्यान भटकाने के लिए तो कोई कह रहा है कि लगता है यूपी में चुनाव होने वाले हैं। कुल मिलाकर इसे सरकार और पुलिस की साझा पिक्चर के तौर पर देखा जा रहा है।
खूंखार आतंकवादी, कोई मास्टरमाइंड टाइप जो न जाने कहां कहां से ट्रेनिग लिए हुए है लेकिन जब दिल्ली के ISBT बस अड्डे पर उतरता है तो सबसे पहले उर्दू का अखबार खरीदता है 😀. गूगल मैप और एंड्राइड फोन के ज़माने में वो कागज़ पर एक नक्शा ज़रूर रखता है ताकि पकड़ा जाए तो पुलिस को आसानी हो. 😀
— Prashant Tandon (@PrashantTandy) July 11, 2021
पब्लिक तो कुछ ना कुछ बोलती ही रहती है। उसका क्या? इस बीच पत्रकार प्रशांत टंडन और रिटायर्ड आईपीएस डॉ.एनसी अस्थाना के बीच जो ट्वीट्स का आदान प्रदान हुआ है वह जरूर ध्यान खींचता है। आप लोग इस बात को अपने-अपने घाटे और मुनाफे से समझते रहिए।
सर बहुत आसान है। चुनाव आते ही कुछ मुस्लिमों को पकड़ो, बताओ कि आतंकवादी है चुनाव जीत जाओ। अगर वो बेचारे खुशनसीब हुए तो 15 या 20 साल में निर्दोष साबित हो जाएंगे।😔
— आत्म निर्भर🇮🇳 (@sahmad1982) July 11, 2021
उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ अफसर ने नाम ना छापने की शर्त पर जनज्वार को बताया वैसे ये आतंकवादी पिछले कुछ सालों से यूपी और दिल्ली में ठीक 26 जनवरी और 15 अगस्त के पहले ही पकड़े जाते हैं और गम्भीर साजिश का खुलासा होता है। साल के बाकी महीनों में पुलिस क्या करती है? आतंकी साजिश एक दिन में तो होती नहीं। सोचने वाली बात यह है कि पकड़े जाने वालों के पास से वह सारे कागज़ात भी मिलते हैं जिससे वह आतंकी सिद्ध हो सके।
वैसे इनको कष्ट और शर्मिन्दगी से बचाने के लिए एक सुझाव है. एक जनरल एफ़आईआर का टेम्पलेट बनवा कर हर थाने को जारी कर दिया जाए, जिसमें देशद्रोह, यूएपीए से लेकर साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने आदि सब सेक्शन हों. जो चाहें उस धारा पर टिक कर दें. सिर्फ अभियुक्त का नाम/जगह डालना बाकी हो.
— Dr. N. C. Asthana, IPS (Retd) (@NcAsthana) July 11, 2021
और विस्फोटक, IED और हथियारों की रिकवरी की तो पूछो मत। सब सीमा पार से आता भी है। क्या कोई पुलिस से या अन्य एजेंसी से पूछने वाला है कि सीमा पार से इतना सब कुछ लखनऊ या दिल्ली तक कैसे आ गया?'
वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव राय कहते हैं कि 'कमाल है, अल क़ायदा के आतंक वादियों को पकड़ने का दावा करने वाली पुलिस तमंचा लगाकर पुलिस के सामने ही ब्लाक प्रमुख का अपहरण की कोशिश करने वाले योगी के गुंडे को छू भी ना सकी।'