'सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहें, पत्रकारों-कार्यकर्ताओं की हुई टारगेटिंग' - पेगासस जासूसी मामले पर एमनेस्टी इंटरनेशनल
(पेगासस प्रोजेकट: एमनेस्टी बोला- अपने स्टैंड पर कायम हैं, सोशल मीडिया पर उड़ाई जा रही अफवाहें)
जनज्वार डेस्क। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि पेगासस को लेकर की गई फाइंडिंग्स को लेकर वह अपने स्टैंड पर मजबूती से खड़े हैं। एमनेस्टी का कहना है कि सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलायी जा रही हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब उसपर आरोप लगाए जा रहे हैं कि वह भारत को बदनाम करने के लिए 'अंतर्राष्ट्रीय साजिश' कर रहा है। बता दें कि इससे पहले इस तरह की खबरें सामने आयीं थीं कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि उसने कभी यह दावा नहीं किया है कि सामने आए नाम पेगासस की सूची में थे।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एनएसओ ग्रुप का पेगासस स्पाईवेयर अपने संभावित टारगेट्स से जुड़ा हुआ था। सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों का उद्देश्य पत्रकरों, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों की गैरकानूनी टारगेटिंग से ध्यान भटकाना है।
इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने पेगासस विवाद में भूमिका को लेकर भारत में इस मानवाधिकार संगठन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इस इंवेस्टीगेशन में पार्टनर है। हम सब एमनेस्टी की भूमिका के बारे में जानते हैं। वे भारत में लेफ्ट विंग टेररिज्म (वामपंथी आतंकवाद) को बढ़ावा दे रहे हैं...रातों-रात देश को बदनाम करने के लिए काम कर रहे हैं।
पेगासस जासूसी मामले पर उन्होंने आगे कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की अच्छी तरह से डिजाइन की गई एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश है। उन्होंने आगे कहा कि जासूसी के दावों में कोई तथ्य नहीं है और जिन लोगों का जिक्र किया गया है, उनमें से किसी के भी हैंडसेट (मोबाइल फोन) की फोरेंसिक जांच नहीं हुई थी।
हालांकि एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि जिन मोबाइल फोन की जासूसी की गई है उनका टेक्निकल और फोरेंसिक एनालिसिस किया गया है और उन्होंने अपने एनालिसिस में पाया है कि पेगासस ने 'जीरो क्लिक' ऑपरेशन से मोबाइल फोन के साथ छेड़छाड़ की है।
यहां आपको बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने केंद्र सरकार पर 'विच हंट' का आरोप लगाते हुए भारत में अपने सभी ऑपरेंशंस बीते साल 2020 में बंद कर दिए थे। हालांकि मानसून सत्र में संसद के दोनों सदनों में विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर जमकर हंगामा किया है, जिसके चलते संसद के दोनों सदनों को एक दिन के लिए स्थगित करना पड़ा है। संसद में इलैक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव जैसे ही पेगासस प्रोजेक्ट मीडिया रिपोर्ट पर बोलने के लिए उठे, विपक्ष ने हंगामा शुरु कर दिया।
इससे पहले वैष्णव ने कहा था कि यह कहानी सनसनीखेज और भारतीय लोकतंत्र और इसके अच्छी तरह से स्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की एक कोशिश प्रतीत होती है। सोमवार 19 जुलाई को उन्होंने संसद में कहा था कि इस कहानी के इर्द गिर्द कई तरह के बड़े आरोप लगाए गए हैं। मीडिया में रिपोर्ट संसद सत्र के एक दिन पहले आती है। यह एक संयोग नहीं हो सकता है।
बता दें कि भारत में जिन दिग्गजों के फोन पर पेगासस से जासूसी करने का आरोप है उनमें खुद अश्विनी वैष्णव का नाम भी शामिल है। मोदी कैबिनेट में फेरबदल के बाद अश्विनी वैष्णव को इलैक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री बनाया गया है। इस बीच विपक्षी नेता इन आरोपों पर जांच की मांग कर रहे हैं और सरकार पर देश को एक 'सर्विलांस स्टेट' में बदलने का आरोप लगा रहे हैं।