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Ashish Mishra के बैरक में चार कूलर- घर से आता है खाना, 'मुजरिम है VIP नहीं' Twitter पर टॉप ट्रेंड

Janjwar Desk
2 May 2022 7:03 AM GMT
Ashish Mishra की बैरक में चार कूलर, घर से आता है खाना, मुजरिम है VIP नहीं Twitter पर टॉप ट्रेंड
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Ashish Mishra की बैरक में चार कूलर, घर से आता है खाना, 'मुजरिम है VIP नहीं' Twitter पर टॉप ट्रेंड

Ashish Mishra : केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को जेल में मिल रहे वीआईपी ट्रीटमेंट पर ट्विटर यूजर सवाल खड़े कर रहे हैं...

Ashish Mishra : उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले (Lakhimpur Kheri Violence Case) में आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teny) के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) को वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जेल की बैरक में उसे गर्मी न लगे इसके लिए चार-चार कूलर लगाए हैं। यही नहीं उसके लिए घर से पकाया हुआ पसंद का स्पेशल वेज खाना भी जेल पहुंचाया जाता है। खबरों के मुताबिक आशीष मिश्रा के लिए बाहर से स्पेशल पान भी मंगाया जाता है, वह भी एक या दो बार नहीं बल्कि पूरे 30 से 40। इसके अलावा उसके लिए नए गद्दे और चादर का इंतजाम भी किया गया है। आशीष मिश्रा 24 अप्रैल से लखीमपुर जेल (Lakhimpur Jail) की बैरक नंबर 20 में बंद है। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर खूब चर्चा है। ट्विटर पर 'मुजरिम है वीआईपी नहीं' टॉप ट्रेंड है।

एक यूजर अनवीर चहल ने लिखा- भाजपा के नेता ईमानदारी पत्रकारों, कुछ ईमानदार पुलिस अधिकारियों औरवकीलों के खिलाफ अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने की अनुमति क्यों देते हैं? आपको उन नेताओं को बर्खास्त करना चाहिए। मुजरिम है वीआईपी नहीं।

वंशदीप नाम के यूजर ने लिखा- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आपके राज्य की लखीमपुर जेल में हत्यारोपी बंदी आशीष मिश्रा को वीआईपी सुविधा क्यों दी जा रही हैं। क्या आपकी जेलों में कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है?

मोहित गहलोत नाम के यूजर ने लिखा- यह भारत में बहुत सच है और एक बार फिर साबित हुआ है..अगर आपके पास पैसा और ताकत है, चाहे आप कितने भी खतरनाक अपराधी हों, आपको वीआईपी ट्रीटमेंट मिलेगा। अजय मिश्रा टेनी के बेटे के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है जिसने चार किसानों को कुचल डाला था। शर्मनाक।

कुलदीप भुल्लर नाम के यूजर ने लिखा- केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा पिछले साल अक्टूबर में लखीमपुरी खीरी में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या का मुख्य आरोपी है लेकिन वह एक सेलिब्रिटी की तरह तहखाने के अंदर जीवन का आनंद ले रहा है। क्या जेल के नियम सबके लिए समान हैं?

ट्विटर यूजर विकास खोखर ने लिखा- यह न्यायिक सक्रियता ही है कि उनकी जमानत रदद् कर दी गई अन्यथा सत्तारूढ़ भगवा ब्रिगेड ने पिता-पुत्र की जोड़ी को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

रिंकू परिहार पूछती हैं- नरेंद्र मोदी सरकार को किसानों की जान से कोई फर्क क्यों नहीं पड़ता है? अपराधी को ऐसी सुविधाएं क्यों प्रदान की जा रही हैं?

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद मंत्रीपुत्र आशीष मिश्रा ने 24 अप्रैल को सीजेएम कोर्ट में सरेंडर किया था। हाईकोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगाई गईं थीं।

मंत्रीपुत्र के लिए जमानत का फैसला हाईकोर्ट ने कैसे सुना दिया इस पर खूब चर्चा भी हुई थी। वकील की दलील के बाद हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था कि अभियोजन की दलीलें मान भी लें तो स्पष्ट है कि घटनास्थल पर हजारों प्रदर्शनकारी थे। ऐसे में संभव है कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई और यह घटना हो गई।

याची ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें व लाठियां लिए हुए थे। बहस के दौरान कहा गया कि एसआईटी ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी

याची ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें व लाठियां लिए हुए थे। बहस के दौरान कहा गया कि एसआईटी ऐसा कोई साक्ष्य नहीं पेश कर सकी जिससे साबित हो कि गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया गया।

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