असिस्टेंट प्रोफेसर का आरोप,योगी के विधायक के कॉलेज में सैलरी मांगने पर नौकरी से निकाला, अब शिकायत करने पर जानलेवा हमला
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना काल में किसी भी शिक्षक को वेतन से न वंचित करने की हिदायत दे रहे हैं, वही उन्हीं के पार्टी के विधायक के बेटी के कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर को मानदेय मांगना महंगा पड़ा। पहले नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद मुख्यमंत्री व कुलपति समेत उच्चाधिकारीयों से शिकायत करने पर कुछ लोगों ने लाठी डंडों से जानलेवा हमला कर घायल कर दिया। इनका प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है। यह घटना यूपी के देवरिया जिले की है।
इसकी सूचना घायल असिस्टेंट प्रोफेसर ने अपने फेसबुक वाल पर दी है। वे लिखते हैं, "मैं डॉ. देवेश नारायण शुक्ला रुद्रपुर का निवासी हूँ। मैं भाजपा विधायक सुरेश तिवारी के लगना देवी ताराकान्त महा विद्यालय में कार्यरत हूँ। कॉलेज में अनियमितता को लेकर मैंने आवाज़ उठाई तो उनके चमचे कामेश्वर पान्डेय निवासी खजुहा ने साजिश कर मुझे कॉलेज से निकलवा दिया। जिसकी लगातार मुख्यमंत्री पोर्टल पर मैं शिकायत कर रहा था। जिससे नाराज होकर विधायक सुरेश तिवारी और कामेश्वर पाण्डेय ने साजिश कर मेरी हत्या कराने का प्रयास किया।''
''आज सुबह मैं और मेरे साथ पद्माकर दुबे मंदिर की तरफ टहलने जा रहे थे, तब तक बाइक सवार बदमाश हमला बोल दिए। कामेश्वर पांडेय और सुरेश तिवारी नगर में बहुत लोगो के सामने हमें मरवा देने धमकी दे चुके है। अगर मेरी हत्या होती है तो भाजपा विधायक सुरेश तिवारी और कामेश्वर पांडेय जिम्मेदार होंगे। मैं कोतवाली में तहरीर देने जा रहा हूं। मेरी मदद कीजिए। इस अत्याचारी ने आज मुझे मरवा कर बुरी तरह से घायल कर दिया।"
इस घटना की तहकीकात करने पर यह बात सामने आयी कि डॉ. देवेश नारायण शुक्ला रुद्रपुर इमामबाड़ा रोड के निवासी हैं। ये लंबे समय से लगना देवी ताराकांत महाविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे थे। इस महाविद्यालय की प्रबंधक ममता पांडेय रुद्रपुर के भाजपा विधायक सुरेश तिवारी की बेटी है। मानदेय भुगतान मे अनियमितता की इनके द्वारा कुलपति से शिकायत करने पर फरवरी माह में नियम विरुद्ध तरीके से सेवा समाप्त कर दी गई। पिछले वर्ष भी कोरोनाकाल में वेतन नहीं दिया गया। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल के अलावा कुलपति से की।
सूचना के अधिकार के तहत कुलपति से भी नौकरी से निकालने के कारणों समेत कॉलेज से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारी मांगी है, जिसमें समस्त कर्मियों के वेतन भुगतान का ब्यौरा, सेवारत कर्मियों का विवरण आदि की जानकारी मांगी गई। डॉ0 देवेश का कहना है कि इसी से बौखला कर मेरे ऊपर अज्ञात लोगों द्वारा लाठी डंडों से जानलेवा हमला किया गया है,जब मैं सुबह टहलने निकला था। इस दौरान अज्ञात दो लोगों ने लाठी डंडा से मेरे ऊपर जानलेवा हमला किया।
हमले में बाएं आंख में व चेहरे पर गंभीर चोटें आई हैं। इनका देवरिया जिला मुख्यालय स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है। नाक से अत्यधिक रक्तश्राव होने की सूचना है।
इस घटना को लेकर आरोपों में घिरे प्रबंधतंत्र से संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन किसी अधिकृत पक्षकार से संपर्क नहीं हो सका। घायल देवेश ने बीजेपी के विधायक सुरेश तिवारी के इशारे पर घटना को अंजाम देने की बात कही है। इस पर विधायक से संपर्क करने पर उनका सेलफोन उनके पीएस निकुंज दुबे ने रिसीव करते हुए बताया कि देवेश के सभी आरोप गलत हैं। वे कई माह पहले ही नौकरी स्वयं छोड़ चुके हैं। उनके द्वारा सब मनगढ़ंत आरोप लगाया जा रहा है।
इस घटना की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होने पर लोगों के तरफ से अलग अलग प्रतिक्रिया आ रही है। लोगों ने घटना की निंदा करते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
उधर रुद्रपुर कोतवाल बृजेश मिश्र ने कहा कि घटना के संबंध में पीड़ित पक्ष के तरफ से कोई तहरीर नहीं मिली है। फेसबुक वाल से ही हमें भी घटना की जानकारी मिली है। इसकी तहकीकात कर रहा हूं। लिखित शिकायत मिलने पर पुलिस कारवाई करेगी। उन्होंने कहा कि घटना को लेकर जिसको आरोपीत किया जा रहा है, उससे संपर्क करने पर बताया गया कि जानबूझकर छबी को धूमिल करने का कार्य किया जा रहा है। कोतवाल ने बताया कि घटना की जांच कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
स्ववित्तपोषित /वित्तविहीन महाविद्यालय शिक्षक एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ चतुरानन ओझा एवं डॉ नंदलाल पाठक ने लगना देवी ताराकांत महाविद्यालय, देवरिया के शिक्षक डॉ देवेश नारायण शुक्ला रुद्रपुर पर हुए प्राणघातक हमले की घोर निंदा करते हुए इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कारवाई करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि डॉ शुक्ला ने महाविद्यालय में वेतन संबंधित अनियमितता के खिलाफ आवाज उठाई थी और मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायत किया था। इससे नाराज होकर विधायक सुरेश तिवारी और उनके गुर्गे कई बार उनको खामोश करने एवं जान से मारने की धमकी दे चुके थे।
शिक्षकसंघ के नेताओं ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि इस कोविड काल में भी प्राइवेट शिक्षकों के वेतन भुगतान कराने में योगी सरकार पूरी तरह असफल रही है। विगत एक वर्ष में प्राइवेट शिक्षकों के वेतन भुगतान का दो बार शासनादेश निकाला गया किंतु किसी शिक्षक का वेतन भुगतान नहीं कराया गया और ना ही उनके शिकायतों का निराकरण ही किया गया।
विश्वविद्यालय वेतन भुगतान संबंधित प्रबंधक के खिलाफ शिकायत करने वाले शिक्षकों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार करता है और निर्णय में कोई रुचि नहीं लेता। स्थिति यह है कि शिक्षक निराश होकर शिकायत करना भी छोड़ चुके हैं।
आज शिक्षक भूख, अपमान, अभाव और बीमारी से मर रहे हैं और डिप्रेशन में हैं। जो वेतन के लिए आवाज उठा रहे हैं उन्हें धमकी दी जा रही है और उनपर जानलेवा हमले कराए जा रहे हैं।सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए। शिक्षकों का नियमानुसार वेतन भुगतान सुनिश्चित करना चाहिए और दोषी प्रबंधक और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ कठोर कार्यवाही सुनिश्चित करना चाहिए।