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Ayodhya Ram Mandir: मंदिर के जमीन में फिर 'हेरा-फेरी', योगी के कई विधायक और नौकरशाहों के रिश्तेदारों ने खरीदे प्लॉट

Janjwar Desk
23 Dec 2021 4:56 AM GMT
मंदिर के जमीन में फिर हुई हेराफेरी, योगी के कई विधायक और नौकरशाहों के रिश्तेदारों ने लिए प्लॉट
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 अयोध्या में जमीन खरीद पर फिर छिड़ा विवाद, मीडिया रिपोर्ट में कई नेता-अफसरों के नाम (file photo)

Ayodhya Ram Mandir: मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अयोध्या में भूमि लेन-देन में कम से कम 15 खरीदारों में स्थानीय विधायक, नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार, जो अयोध्या में सेवा दे रहे हैं या पहले कभी सेवा दे चुके हैं...

Uttar Pradesh News: यूपी के अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद मंदिर के लिए जमीन खरीद-बेचने (Ayodhya Land Deal Scam) का मामला अक्सर विवादो में रहा है। जमीन खरीद में धाधंली का ऐसा ही मामला एक बार फिर से उजागर हुआ है। अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस (The Indian Express) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, जिस ट्रस्ट के खिलाफ राम मंदिर जमीन (Ram Mandir Land Scam) में धांधली के आरोप मामले की जांच चल रही हैं, उसी ट्रस्ट की दूसरी गैर विवादित जमीन उन अधिकारियों के करीबी रिश्तेदारों ने खरीदे जो इस मामले की जांच से जुड़े रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट सामने आने के बाद राज्य सरकार के अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों द्वारा मंदिर के आसपास जमीन खरीदने के मामले में जांच के आदेश दिये गए हैं। बता दें कि इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट सामने आने के बाद प्रदेश की योगी सरकार ने जमीन खरीद सौदे जांच के आदेश देते हुए एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है।

दरअसल, अयोध्या (Ayodhya) में 9 नवंबर, 2019 को राम मंदिर के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Ram Mandir) के फैसले के बाद से ही मंदिर के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में जमीन खरीदने की होड़ मच गई। यहां प्लॉट खरीदारों में स्थानीय विधायक, नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार बड़ी संख्या में शामिल हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अयोध्या के भूमि सौदों से जुड़ा लेन-देन का एक सेट हितों के टकराव और औचित्य से जुड़े गंभीर सवाल उठाता है। जमीन के कम से कम चार खरीदार, दलित निवासियों से भूमि के ट्रांसफर में कथित अनियमितताओं के लिए विक्रेता की जांच कर रहे अधिकारियों के करीबी संबंधी हैं।

इन लोगों ने खरीदी जमीन

रिकॉर्ड बताते है कि 28 मई, 2020 को अयोध्या के मुगलपुरा में 320.631 वर्ग मीटर का एक भूखंड, जोकि राम मंदिर स्थल से करीब 1 किमी दूर पर था, वो उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आईएएस अधिकारी अनुज झा के पिता बद्री झा के नाम पर पंजीकृत था। जिसकी लागत 23.40 लाख रुपये है। अयोध्या में जमीन खरीदने में अन्य 12 निर्वाचित प्रतिनिधि और अधिकारी शामिल है जिन्होंने खुद जमीन खरीदी या जिनके रिश्तेदारों ने जमीन खरीदी है। इनमें अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, अयोध्या शहर के विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, गोसाईगंज के विधायक इंद्र प्रताप तिवारी (अब अयोग्य), तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज झा, राज्य सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही, ओबीसी आयोग के सदस्य बलराम मौर्य शामिल हैं।

कई IAS और रिश्तेदारों के नाम शामिल

वहीं पूर्व अनुमंडल दंडाधिकारी आयुष चौधरी अंचल अधिकारी, प्रांतीय पुलिस सेवा अधिकारी अरविंद चौरसिया, यूपी कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी उमाधर द्विवेदी, गांजा सुधांशु रंजन सहित कई गांवों के कानूनगो, गांजा गांव बद्री उपाध्याय के लेखपाल और एमआरवीटी के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहे सहायक अभिलेख अधिकारी भान सिंह के पेशकर दिनेश ओझा शामिल हैं। जमीन खरीदारों में उन नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार शामिल है जो अयोध्या में सेवाएं दे रहे हैं या पहले कभी दे चुके हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक, 15 व्यक्तियों द्वारा खरीदी गई कुल भूमि 70,826 वर्ग मीटर, लगभग 17 एकड़ है।

विशेष सचिव को योगी ने सौंपी जांच

वहीं, मंदिर के करीब जमीन खरीद सौदे की जांच को लेकर उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) मनोज कुमार सिंह ने जानकारी दी कि सीएम योगी ने अगले 5-7 दिनों में जमीन खरीद संबंधित दस्तावेजों के साथ रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए जांच का आदेश दिया है।' एक अधिकारी ने कहा कि राजस्व विभाग के विशेष सचिव राधेश्याम मिश्रा को जांच करने के लिए कहा गया है।

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