Ayodhya News : 2 अक्टूबर को जल समाधि लेने वाले बड़बोले बाबाजी का क्या हुआ, या बार-बार हवाबाजी से साधू समाज की फजीहत भर कराते हैं
(हिंदू राष्ट्र की मांग पूरी ना होने पर जल समाधि लेने की घोषणा करने वाले बाबा) photo/twitter
Ayodhya (जनज्वार) : उत्तर प्रदेश के अयोध्या में एक तरफ भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर (Shriram Temple Ayodhya) का निर्माण कार्य जारी है, वहीं दूसरी तरफ संत समाज से कोई ना कोई आए दिन उल-जलूल बातों को लेकर चर्चा पा रहा है। यह लोग ऐसा तब कर रहे हैं जब परम महंत योगी आदित्यनाथ सूबे में सत्ता की सबसे बड़ी कुर्सी पर विराजमान हैं।
ऐसे में अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस आचार्य महाराज ने केंद्र सरकार (Central Government) के सामने अजीबोगरीब डिमांड रखी थी। मंगलवार 28 सितंबर को जगदगुरू ने कहा था कि, 'मेरी मांग है कि 2 अक्टूबर तक भारत को 'हिंदू राष्ट्र' घोषित कर दिया जाए वरना सरयू नदी में जल समाधि ले लूंगा। लेकिन आज की दो अक्टूबर उनका दिया निर्धारित समय निकल चुका है।
Ayodhya | I demand that India should be declared a 'Hindu Rashtra' by Oct 2 or else I'll take Jal Samadhi in river Sarayu. And Centre should terminate nationality of Muslims & Christians: Jagadguru Paramhans Acharya Maharaj (28.09) pic.twitter.com/QMAIkd6tLZ
— ANI UP (@ANINewsUP) September 29, 2021
इसके साथ ही अयोध्या के तपस्वी जगदगुरु परमहंस (Jagadguru Paramhans) आचार्य महाराज ने इसके साथ ही एक और विवादास्पद मांग की है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह देश के मुस्लिम और क्रिश्चन समुदाय के लोगों की नागरिकता समाप्त कर दे। उधर, एक अक्टूबर को कई हिंदू संगठनों ने परमहंस के समर्थन में हिंदू सनातन धर्म संसद का आयोजन करने का ऐलान किया था।
महंत की इस बात को लेकर लोगों में तमाम कौतुहल दिखा था। लोग उनसे जल्दी से जल्दी समाधि लेने की कहते नजर आ रहे थे। लेकिन साधू महाराज ऐसा कुछ भी नहीं करने वाले थे। उन्होने ना अभी कुछ किया ना ही इससे पहले की गई अपनी फर्जी घोषणाओं पर ही अमल किया है।
2019
— Alishan Jafri | अलीशान (@asfreeasjafri) September 29, 2021
2020
2021
Demand toh poori ho nahi rahi phir bhi... pic.twitter.com/d6gEsWgc4v
जगदगुरू परमहंस ने इससे पहले 2019, 2020 तथा 2021 को लगातार इसी तरह की फर्जी घोषणाएं की हैं। बीती 9 मई को जगदगुरू ने अपनी चिता तक तैयार कर ली थी। लेकिन फिर उस चिता में आग ही न लग सकी। चिता की लकड़ियां बाद में टिक्कड़ सेंककर खाने के काम आईं थीं।
लेकिन इस सबके बीच एक बात तो साफ होती है कि भले ही जगदगुरू हों या कोई और यह लोग अपनी इस तरह की फर्जी हवाबाजी से उन तमाम संतों का भी नाम खराब करते हैं जो असलियत के संत हैं। वो संत जो भिक्षा मांगकर जीवन यापन करते हैं। न कि मठ मंदिर, संपत्ति को लेकर राजनीति और हत्या जैसे काम करते हैं।
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार सुशील दुबे लिखते हैं, 'कटा दी न नाक, देखो ये मुहल्ला गुरु परमजोकर फिर नहीं मरा, ये कभी मरने के लिये अपनी चिता सजाता है, कभी हिन्दू राष्ट्र की मांग के लिए जल समाधि की घोषणा करता है, जबकि ये जानता है कि ये संभव नहीं। आज फिर निकल लिया, क्या आपको नहीं लगता है इस टाइप के मसखरे साधू सनातन संस्क्रति का उपहास करते हैं, क्या इन जैसे मानसिक बीमारों के लिये कोई अखाड़ा परिषद है, जो नियम कानून बना कर दंड दे, क्या इसे तत्काल साधु समाज से बहिष्कृत नहीं किया जाना चाहिये, वैसे जिंदा रहने के लिये बधाई।'