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Bahadurgarh News: सेप्टिक टैंक साफ करते समय चार लोगों की मौत, बिना सेफ्टी किट के ही टैंक में उतार दिए गए श्रमिक

Janjwar Desk
4 Aug 2022 4:40 PM IST
सेप्टिक टैंक साफ करते समय चार लोगों की मौत, बिना सेफ्टी किट के ही टैंक में उतार दिए गए श्रमिक
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सेप्टिक टैंक साफ करते समय चार लोगों की मौत, बिना सेफ्टी किट के ही टैंक में उतार दिए गए श्रमिक

Bahadurgarh News: बुधवार को गांव रोहद औद्योगिक क्षेत्र स्थित फैक्टरी ऐरोफ्लेक्स लिमिटेड में भी ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा हुआ। जिसमे 4 मजदूरों ने फैक्ट्री के सेप्टिक टैंक में सफाई करते दौरान अपनी जान गवा दी...

Bahadurgarh News: हरियाणा के बहादुरगढ़ में औद्योगिक इकाईयों में श्रमिक सुरक्षा के पर्याप्त संसाधन न होने की समस्या काफी बढ़ गई है। सुरक्षा की पर्याप्त संसाधन न होने की शिकायत आती ही रहती है। जहां श्रमिक अपने काम के दौरान अपनी जान गवा देते हैं। तब भी इस पर ज्यादा गौर नहीं दिया जाता। बुधवार को गांव रोहद औद्योगिक क्षेत्र स्थित फैक्टरी ऐरोफ्लेक्स लिमिटेड में भी ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा हुआ। जिसमे 4 मजदूरों ने फैक्ट्री के सेप्टिक टैंक में सफाई करते दौरान अपनी जान गवा दी। ये चारों मजदूर अपने कुछ अन्य साथियों के साथ फैक्ट्री के सेप्टिक टैंक में सफाई के लिए उतरे थे। सफाई के दौरान टैंक से जहरीली गैस निकलने की वजह से चारों की मौत हो गई।

मजदूरों की मौत का कारण मिथेन गैस

मरने वालों की इस सूची में 4 नाम शामिल हैं राजबीर, अजय कुमार, जगतपाल और प्रकाश। इनके अलावा दो और मजदुर बेहोशी की हालत में मिले हैं। दोनों की स्थिति काफी नाजुक है। इन्हें जीवन ज्योति अस्पताल में भर्ती कराया गया है। झज्जर जिले के डीसी शक्ति सिंह और एसपी वसीम अकरम को जैसे ही इस हादसे की सुचना मिली वह तुरंत मौके पर घटनास्थल पहुंच गए। दोनों ने पहुंचते ही पूरी स्थिति का जायजा लिया। इंडस्ट्रियल सेफ्टी अधिकारियों ने मजदूरों की मौत का कारण मिथेन गैस बताया है। उन्होंने बताया कि फैक्ट्री के वेस्ट टेंक की सफाई लंबे समय से नहीं हुई थी। गंदगी काफी समय से जमा होने के कारण वहां पर मिथेन गैस बन गई थी। इसी गैस की चपेट में आने की वजह से मजदूरों की मौत हो गई। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।

सेफ्टी किट के बिना ही उतार दिया गया टैंक में

अधिकारीयों ने बताया कि जांच के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी एक टीम बनाई गई है। जांच के दौरान जो भी बात सामने आएगी उसी के अनुसार कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी। जांच में जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। इन सभी कामगारों को बिना किसी सेफ्टी किट के टैंक में उतार दिया गया था। जिन कामगारों की जिम्मेदारी ये टैंक साफ करने की नहीं थी, उन्हें इस अलग तरह के काम में लगाया गया। रोहद के पास 44 फुटा रोड स्थित इस फैक्टरी में हुए इस हादसे के बाद से रोहद औद्योगिक क्षेत्र में मातम छा गया।

परिजनों के ऊपर दुख का पहाड़

सभी छह कामगारों को सेफ्टी किट के बिना ही इस टैंक में उतार दिया गया था। श्रमिक नेता सतीश कुमार ने कहा कि इस पूरी घटना की जांच करवा कर फैक्टरी प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि फैक्टरी मालिक बचाव कार्यों में लगने के बजाय वहां से कहीं और चले गए। सभी मृतकों के परिजनों के ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। सभी भारी सदमे में हैं। फैक्टरी में काम करने वाले सभी श्रमिकों को भी इस हादसे से गहरा सदमा लगा है। हादसे में प्रभावित हुए सभी श्रमिकों को जीवन ज्योति अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

जून महीने में भी हुआ था बड़ा हादसा

यहां जून महीने में भी ऐसा ही हादसा हुआ था। सीवेज टैंकर को सीवर के मेन होल में खाली करते वक्त दो श्रमिकों की मौत हो गई थी। उनकी मौत का कारण भी सीवर की जहरीली गैस था। इस घटना में बिहार के नालंदा के रवीश पुत्र चंद्रशेखर और मुंगेर जिले के अरङ्क्षवद की जान चली गई थी। दोनों दिल्ली की बाबा हरिदास कॉलोनी में रहते थे। सेप्टिक टैंक को खाली करने का कार्य करते थे। अरविंद ट्रैक्टर चालक था और रवीश हेल्पर का काम करता था। उनके टैंकर का एक पाइप सीवर केमेन होल में गिर गया था। जिसे निकालने के लिए रवीश सीवर में उतरा जहरीली गैस चढने से अंदर ही गिर गया। रवीश को बचाने के प्रयास में अरविंद भी मेनहोल में गिर गया था और दोनों की मौत हो गई थी।

पहले हुए हादसों के बाद भी नहीं लिया सबक

सेप्टिक टैंक में सफाई के दौरान होने वाली मौतों का यह कोई पहला वाकया नहीं है। इसके पहले भी देश के कई बड़े शहरों में इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी है। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक बीते 10 वर्षों में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान अब तक 600 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग ने सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान साल 2010 से मार्च 2020 के बीच हुई मौतों के संबंध में सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी दी है। इस दौरान 631 लोगों की मौत हुई है। इनमें सबसे ज्यादा मौतें साल 2019 में 115 लोगों की हुई थी। वहीं बीते 10 सालों में इस वजह से सबसे ज्यादा 122 लोगों की मौत तमिलनाडु में हुई। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 85, दिल्ली और कर्नाटक में 63- 63 गुजरात में 61 और हरियाणा में 50 लोगों की मौत हुई है।

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