Ban on Wheat Export : आपकी थाली में रोटी का फ्लो बना रहे इसलिए सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला, पर क्या इससे फायदा मिलेगा?
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Ban on Wheat Export : देश में गेहूं की किल्लत ना हो इसे देखते हुए भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात (Ban on Wheat Export) पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। आपको बता दें कि देश में गेहूं की कीमतों में बीते कई दिनों से उछाल देखा जा रहा था। कुछ इलाकों में आटा की कमी की खबरें में मीडिया में चल रही थी। विशेषज्ञ अंदेशा जता रहे थे कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले महीनों में देश में गेहूं, उससे बना आटा और उसके उत्पादों की कीमतो में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
इस बीच, शुक्रवार की शाम को भारत सरकार की ओर से इस बारे में नोटिफिकेशन (Ban on Wheat Export) जारी कर दिया गया है। आपको बता दें कि रूस यूक्रेन युद्ध के कारण दुनियाभर में गेहूं की कीमतों में 40 प्रतिशत तक का उछाल आया गया है, जिसके कारण देश के भीतर भी इसकी कीमतों में अच्छी खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस का कारण यह है कि ज्यादातर किसान विदेशों में गेहूं का निर्यात करने लगे थे। इसके कारण घरेलू बाजार में भी इसकी मांग और कीमतें बढ़ने लगी है।
खबरों के मुताबिक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश भारत गेहूं के निर्यात पर रोक (Ban on Wheat Export) लगाकर देश में बढ़ रही गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने की कवायद में जुट गया है। हालांकि सरकार की ओर से गेहूं निर्यात पर रोक के लिए जारी नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि अगर कोई देश अपने यहां गेहूं की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भारत से गेहूं निर्यात के लिए गुहार लगता है तो ऐसी स्तिथि में गेहूं निर्यात को मंजूरी दी जाएगी।
नोटिफिकेशन (Ban on Wheat Export) में यह भी कहा गया है कि ऐसे शिपमेंट्स जिनके पास इरेवोकेबल लेटर्स होंगे उन्हें निर्यात करने की इजाजत अब भी दी जाएगी। आपको बता दें कि ग्लोबल बाजार में गूहें की कीमतो में उछाल के बाद भारत से गेहूं के निर्यात में बढ़ोतरी हो गयी थी जिसके चलते देश में गेहूं और दूसरे खाद्यानों की कीमतें बढ़नी शुरू हो गयी है। खबरों के मुताबिक देश में आने वाले महीनें में खाद्यान्न की कमी हो सकती है क्यों कि इस साल रबी की फसल का उम्मीद से कम उत्पादन हुआ है।
उद्योगों से जुड़े लोग इस बात के संकेत दे रहे हैं कि गेहूं के पंजाब और हरियाणा जैसे देश के बड़े उत्पादक राज्यों में फसल को हुए नुकसान की वजह से इसकी सप्लाई में कमी आ सकती है।अप्रेल में गेहूं की होलसेल कीमतों में रिकॉर्ड तेजी (Ban on Wheat Export) देखने को मिली हैं इसके दाम 5 से 7 फीसदी तक चढ़े हैं। खुले बाजार में गेहूं के दाम एमएसपी से ज्यादा हैं। किसना अपनी उपज खुले बाजार में बेच रहे हैं। किसनों की दिलचस्पी सरकार को गेहूं बेचने में नहीं है।
इधर, समय से पहले तेज गर्मी पड़ने से फसल पर बुरा असर पड़ा है। सरकार ने 2021-22 फसल वर्ष के लिए गेहूं उत्पादन का अनुमान 5.7 फीसदी घटाया हैं यह अनुमान 11.13 करोड़ टन घटकर 10.50 करोड़ टन किया गया है। आपको बता दें कि पिछले साल गेहूं का उत्पादन 10.95 करोड़ टन हुआ था।
गेहूं की कीमतों में तेजी से फ्लोर मिल्स परेशान हैं। आटे के दाम करीब 10 फीसदी तक बढ़ चुके हैंं। ऐसे में मिल एसोसिएशन ने सरकार के सामने मांग रखी है कि आटे के स्टोरेज के नियम स्पष्ट किए जाने चाहिए। फ्लोर मिल्स को एफसीआई से गेहूं नहीं मिल रहा है। ऐसे में उन्हें बाजार मूल्य पर खुले बाजार से गेहूं की खरीदारी करनी पड़ रही है। खुले बाजार में गेहूं की कीमत 15 से 20 फीसदी अधिक है। ऐसे में यह मिलरों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए गेहूं के निर्यात पर पाबंदी (Ban on Wheat Export) लगाने का फैसला लिया है।