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Bastar News : न्याय के इंतजार में परिजनों ने दो साल से नहीं किया शव का अंतिम संस्कार

Janjwar Desk
8 March 2022 6:07 PM IST
Bastar News : न्याय के इंतजार में परिजनों ने दो साल से नहीं किया शव का अंतिम संस्कार
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(न्याय के इंतजार में परिजनों ने दो साल से नहीं किया शव का अंतिम संस्कार)

Bastar News : दो साल पहले पुलिस ने जिस बदरू माड़वी नाम के शख्स की नक्सली बताकर हत्या कर दी थी उसके परिजनों ने छह फीट गहरा गड्ढा खोदा और नमक, तेल और कई जड़ी-बूटियों का लेप लगाने के बाद उसके शव को सफेद कपड़ों में लपेटकर उसके भीतर रख दिया.....

Bastar News : 19 मार्च 2020 की सुबह के करीब साढ़े सात बज रहे थे। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा (Dantewada) के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र गमपुर गांव के जंगलों में सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ (Encounter) का दावा किया था। सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ के बारे में बताते हुए कहा था कि नक्सलियों के गंगालूर कमेटी की मेडिकल टीम के कथित प्रभारी और IED बनाने के कथित एक्सपर्ट बदरू माड़वी को उन्होंने मुठभेड़ में मारकर गिरा दिया है। सुरक्षा बलों के अनुसार बदरू पर दो लाख रुपये का इनाम रखा गया था।

अब लौटते हैं आज की तारीख में। जिस बदरू माड़वी (Badru Madvi) को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था उसका अंतिम संस्कार आज तक उसके परिजनों ने नहीं किया है। उसके शव को आज तक अपनी अंत्येष्टि का इंतजार है।

बताया जा रहा है कि दो साल पहले पुलिस ने जिस बदरू माड़वी नाम के शख्स की नक्सली बताकर हत्या कर दी थी उसके परिजनों ने छह फीट गहरा गड्ढा खोदा और नमक, तेल और कई जड़ी-बूटियों का लेप लगाने के बाद उसके शव को सफेद कपड़ों में लपेटकर उसके भीतर रख दिया।

मौसम की मार से बचाने के लिए शव को लकड़ी के गत्ते से ढक दिया गया। इतना ही नहीं शेड के तौर पर शव को पॉलिथीन से लपेटा गया और फिर उसे मिट्टी से दबा दिया गया। हालांकि अब बदरू का शव काफी हद तक कंकाल में बदल चुका है, लेकिन गांववालों और मृतक के परिजनों का कहना है कि जब तक बदरू माड़वी को इंसाफ नहीं मिल जाता तब तक वे उसके शव को ऐसे ही सुरक्षित रखेंगे।

बदरू माड़वी का छोटा भाई सन्नू जो इस मुठभेड़ का चश्मदीद है। उसका कहना है कि उसके भाई को उसके सामने ही पुलिस के जवानों ने घेरकर मार दिया। उसका नक्सलियों से कोई लेन- देना नहीं था। अब जब तक हमें इस मामले में इंसाफ नहीं मिल जाता हम बदरू का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। इस घटना को अब 2 साल बीतने को है, लेकिन गांववालों ने बदरू माड़वी के शव को गांव के पास स्थित श्मशान के किनारे पूरी तरह से सुरक्षित रखा हुआ है। उन्होंने ऐसा इसलिए किया जिससे मृतक के सिर से नक्सली होने का दाग हटाया जा सके।

परिजनों का कहना है कि सुरक्षाबलों ने बदरू को नक्सली बताकर मार डाला। परिजनों का कहना है कि जब तक मृतक को इंसाफ नहीं मिलता है तब तक वो उसका अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में पूरा गांव उसके परिजनों के साथ है।

गांववाले न्यायिक जांच कर दोषियों को सजा देने की कर रहे मांग

बदरू माड़वी के सुरक्षाबलों द्वारा एनकाउंटर किए जाने के बाद उसके परिवार की माली हालत काफी दयनीय हो गयी। बदरू की मां मारको माड़वी के अनुसार बदरू के पिता की मौत के बाद घर में पुरुष के तौर पर वही सबसे बड़ा सदस्य था, उसी पर परिवार की सारी जिम्मेदारियां थीं। एनकाउंटर के चार साल पहले बदरू की शादी पोदी नामक महिला से हुई थी, लेकिन उसके कोई बच्चे नहीं हैं। बदरू पर अपने दो छोटे भाई शन्नू और पंडरू के देखभाल का भी जिम्मा था।

बदरू के शव को अभी तक सहेजकर रखने की बात पर उनकी मां फूट-फूट कर रोते हुए बताती है कि पुलिस बेवजह ग्रामीणों की हत्या कर रही है और नक्सलवाद के खिलाफ अभियान के नाम पर उनके बेटे की हत्या कर दी गई।

उनका कहना है कि जब तक इस मामले को न्यायालय द्वारा संज्ञान में लेकर दोषियों को सलाखों के पीछे नहीं डाला जाता तब तक बदरू का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। वहीं बदरू की पत्नी पोदी की उदास आंखें भी न्याय के इंतजार में पथरा गयी हैं।

पोदी का कहना है कि पुलिस ने उनका सबकुछ छीन लिया। आज घर की जिम्मेदारी उठाने वाला कोई भी नहीं है। घर की छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए और घर खर्च के लिए भी उन्हें ही जद्दोजहद करनी पड़ती है। पोदी का कहना है कि हालांकि अब उनका सब कुछ लुट चुका है, पर अभी भी उसे न्याय की उम्मीद है। उनका कहना है कि इस मामले की जांच हो और दोषी पुलिस वालों को जेल भेजा जाए, जिससे उनके गांव में दोबारा ऐसी घटना न दोहराई जाए।

दरअसल छत्तीसगढ़ के बस्तर और दंतेवाड़ा जैसे जिलों में ग्रामीणों के सामने एक तरफ कुआं तो एक तरफ खाई जैसी स्थिति है। एक तरफ पुलिस मुखबिरी के शक में ग्रामीणों की हत्या कर देती है तो दूसरी तरफ नक्सली बताकर सुरक्षा बल भी भोले-भाले लोगों अपने निशाने पर ले लेते हैं। न जाने बस्तर के नक्सल प्रभावित जिलों में दर्जनों मामले हैं जिनमें इन मासूम ग्रामीणों को मुखबिर बताकर नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया है तो दूसरी तरफ सुरक्षाबलों ने नक्सली बताकर ग्रामीणों का एनकाउंटर कर दिया।

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