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राजनीति

भागवत ने कहा-हिंदू हैं देशभक्त, ओवैसी ने पूछा-सावरकर के बारे में क्या ख्याल है

Janjwar Desk
2 Jan 2021 5:09 AM GMT
भागवत ने कहा-हिंदू हैं देशभक्त, ओवैसी ने पूछा-सावरकर के बारे में क्या ख्याल है
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मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा था कि अगर कोई हिन्दू है तब वह देशभक्त होगा और यह उसका बुनियादी चरित्र व प्रकृति है..

जनज्वार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नए साल के पहले दिन हिंदुओं के देशभक्त होने के संबन्धी बयान पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है। ओवैसी ने तंज करते हुए भागवत से पूछा है कि सावरकर के बारे में क्या ख्याल है।

मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा था कि अगर कोई हिन्दू है तब वह देशभक्त होगा और यह उसका बुनियादी चरित्र व प्रकृति है। संघ प्रमुख ने महात्मा गांधी की उस टिप्पणी को उद्धृत करते हुए यह बात कही, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी देशभक्ति की उत्पत्ति उनके धर्म से हुई है।


वहीं मोहन भागवत के इस बयान के बाद एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करक उन पर पलटवार किया है। ओवैसी ने ट्वीट कर लिखा, 'क्या भागवत जवाब देंगे कि गांधी के हत्यारे गोडसे के बारे मे क्या कहना है? नेल्ली नरसंहार, 1984 सिख विरोधी दंगे और 2002 गुजरात नरसंहार के ज़िम्मेदार लोगों के लिए क्या कहना है?'

ओवैसी ने अगले ट्वीट में लिखा, 'एक धर्म के अनुयायियों को अपने आप देशभक्ति का प्रमाण जारी किया जा रहा है, जबकि दूसरे को अपनी पूरी ज़िंदगी यह साबित करने में बितानी पड़ती है कि उसे यहां रहने और ख़ुद को भारतीय कहलाने का अधिकार है।'


जेके बजाज और एमडी श्रीनिवास की लिखित पुस्तक 'मेकिंग ऑफ ए हिन्दू पैट्रियट : बैकग्राउंड आफ गांधीजी हिन्द स्वराज' का लोकार्पण करते हुए मोहन भागवत ने कहा था कि किताब के नाम और मेरा उसका विमोचन करने से अटकलें लग सकती हैं कि यह गांधी जी को अपने हिसाब से परिभाषित करने की कोशिश है।

उन्होंने कहा, 'महापुरुषों को कोई अपने हिसाब से परिभाषित नहीं कर सकता।' उन्होंने कहा कि यह किताब व्यापक शोध पर आधारित है और जिनका इससे विभिन्न मत है वह भी शोध कर लिख सकते हैं।'

इसके बाद एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने उनपर निशाना साधते हुए दो ट्वीट किए हैं। अगले ट्वीट में ओवैसी ने लिखा 'यह युक्तिसंगत है कि बिना धर्म में भेदभाव के अधिकतर भारतीय देशभक्त है। यह सिर्फ आरएसएस की बेतुकी विचारधारा हो सकती है कि एक धर्म के लोग को ऑटोमेटिकली देशभक्ति का सर्टिफिकेट दे दिया जाता है जबकि अन्य को अपना जीवन यह साबित करने में लगाना पड़ता है, यहां तक कि उन्हें अपने भारतीय कहने में।'

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