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Bhima Koregaon Violence : VKIC ने शरद पवार को फिर भेजा समन, एनसीपी प्रमुख ने जताई थी इस बात की आशंका

Janjwar Desk
28 April 2022 3:08 AM GMT
Sharad Pawar के घर पर हमले के मामले में 107 गिरफ्तार, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने मानी खुफिया विफलता
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Sharad Pawar के घर पर हमले के मामले में 107 गिरफ्तार, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने मानी 'खुफिया विफलता'

Bhima Koregaon Violence : शरद पवार ने चार साल पहले वीकेआईसी को बताया था कि हिंसा के पीछे हिंदुत्व ग्रुप का हाथ हो सकता है लेकिन मैं सबूत देने की स्थिति में नहीं हूं।

Bhima Koregaon Violence : महाराष्ट में हनुमान चालीसा और लाउडस्पीकर विवाद को लेकर जारी महासंग्राम के बीच भीमा कोरेगांव इन्क्वायरी कमीशन ( VKIC ) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस के सर्वेसर्वा शरद पवार ( Sharad pawar ) को एक बार समन भेजा है। वीकेआईसी ने बतौर गवाह आयोग के समक्ष भीमा कोरेगांव हिंसा ( Bhima Koregoan Violence ) मामले में पूछताछ के लिए पेश को होने का आदेश दिया है। उन्हें 5 और 6 मई को पेश होने का आदेश दिया गया है।

इससे पहले भीमा कोरेगांव इन्क्वायरी कमीशन ( VKIC ) ने 23 व 24 फरवरी को शरद पवार ( Sharad Pawar ) को पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन शरद पवार ने 21 फरवरी को कमीशन के दफ्तर जाकर सुनवाई को स्थगित करने की मांग की थी। उनका कहना था कि अपना जवाब दाखिल करने के लिए उन्हें कुछ और वक्त की जरूरत है। कमीशन के सचिव ने कहा कि एनसीपी प्रमुख ने शरद पवार ने कुछ दिनों पहले अपना अतिरिक्त हलफनामा दाखिल कर दिया था। फिलहाल हमने उन्हें लैटर ऑफ रिक्वेस्ट भेजा है। उनसे कहा गया है कि वो 5 और 6 मई को कमीशन के सामने उपस्थित होकर अपना जवाब दाखिल करें।

हिंसा के पीछे हो सकता है हिंदूवादी संगठनों का हाथ

दरअसल, शरद पवार ने 2018 में भीमा कोरेगांव जांच आयोग के सामने पेश अपने हलफनामे में कहा था कि हिंदुत्व ग्रुप की इस घटना में भूमिका संदिग्ध है लेकिन अपने हलफनामे में उनका कहना था कि वो इस स्थिति में नहीं हैं कि दावे के साथ कह सकें कि कौन से संगठन का हिंसा में हाथ था। शरद पवार का कहना था कि ये दुख की बात है कि तत्कालीन सरकार आम आदमी के हितों की रक्षा नहीं कर सकी। दक्षिण पंथी ताकतों का इसमें हाथ होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। इस बारे में जांच एजेंसी पुख्ता तौर पर कह सकती हैं।

गणेश मोरे ने की थी हिंदूवादी नेता मिलिंद और संभाजी से पूछताछ

दूसरी तरफ बुधवार को आयोग ने 26 अप्रैल को पुलिस अधिकारी गणेश मोरे का क्रास एग्जामिन किया जिसने हिंदुत्ववादी नेता मिलिंद एकबोते औक संभाजी भिंडे के मामले की जांच की थी। गणेश मोरे पुणे ग्रामीण पुलिस में तैनात थे। घटना के समय वो धौड में बतौर सब डिवीजनल अफसर नियुक्त थे। वो दिसंबर 2018 में रिटायर हुए थे। उन्हें एडवोकेट बीजी बानसोदे ने क्रास एग्जामिन किया। वो दलित गवाहों की पैरवी कर रहे हैं।

यहां पर गौर फरमाने की बात यह है कि दलित कार्यकर्ता अनिता ने भिडें और एकबोते के खिलाफ केस दर्ज कराया था। उन पर हिंसा का आरोप है। एकबोते को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अभी वो जमानत पर है। जबकि भिंडे को न तो गिरफ्तार किया गया और न ही पुलिस ने उसके खिलाफ कोई चार्जशीट दाखिल की।

Bhima Koregaon Violence : बता दें कि हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस जेएन पटेल की अगुवाई वाला दो सदस्यीय जांच आयोग 1 जनवरी 2018 को कोरेगांव भीमा इलाके में हुई हिंसा की जांच कर रहा है। भीमा कोरेगांव हिंसा में 1 शख्स की मौत हुई थी जबकि कई लोग जख्मी हो गए थे।


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