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2G Spectrum Scam : न्यूज एजेंसी की गफलत से 15 साल बाद फिर जागा 2G स्पेक्ट्रम घोटाले का जिन्न, ये हस्तियां थीं शामिल

Janjwar Desk
5 Oct 2022 1:18 PM GMT
न्यूज एजेंसी की गफलत से 15 साल बाद फिर जागा 2G स्पेक्ट्रम घोटाले का जिन्न, ये हस्तियां थीं शामिल
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न्यूज एजेंसी की गफलत से 15 साल बाद फिर जागा 2G स्पेक्ट्रम घोटाले का जिन्न, ये हस्तियां थीं शामिल

देश की चर्चित और बड़ी न्यूज एजेंसियों में गिनी जाने वाली @ians_india ने आज इतिहास रच दिया है। दरअसल, टाईम्स ऑफ इंडिया के एक विज्ञापन को खबर समझ कर उन्होंने एक न्यूज रिलीज कर दी, कि CBI ने 2G स्कैम में A राजा के खिलाफ चार्जशीट दायर की...

2G Spectrum Scam : देश की चर्चित और बड़ी न्यूज एजेंसियों में गिनी जाने वाली @ians_india ने आज इतिहास रच दिया है। दरअसल, टाईम्स ऑफ इंडिया के एक विज्ञापन को खबर समझ कर उन्होंने एक न्यूज रिलीज कर दी, कि CBI ने 2G स्कैम में A राजा के खिलाफ चार्जशीट दायर की। हैरानी की बात तो ये है कि यह सालों पुरानी खबर बिना वेरीफाई किए कई पोर्टल पर छाप भी दी गयी।

2G स्पेक्ट्रम घोटाला 2007 में हुआ था। इस माले का खुलासा साल 2010 के आखिरी महीने में हो सका था। 2017 के बाद इसे भारत का एक कथित घोटाला कहकर दिसम्बर महीने में CBI कोर्ट ने इस मुकद्दमे के सभी आरोपियों को रिहा कर दिया और कहा की ये ग़लत मुकद्दमा किया गया था। सीबीआई ने कहा था कि, वास्तव में ये घोटाला हुआ ही नहीं था। हालांकि इससे पहले भारत के महालेखाकार और नियंत्रक (CAG) ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए थे।

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, जिसमें भारत के महालेखाकार और नियंत्रक (CAG) के अनुसार सरकारी खजाने को अनुमानत एक लाख 76 हजार करोड़ रुपयों का नुक़सान हुआ था।

मामला तूल पकड़ता इससे पहले न्यूज एजेंसी @ians_india की तरफ से सफाई दी गई। जिसमें कहा गया कि, 'कहानी, शीर्षक "2 जी घोटाला: सीबीआई ने पहली चार्जशीट दायर की, राजा को 'मास्टरमाइंड' के रूप में नामित किया", बुधवार को लगभग 10.18 बजे स्थानांतरित किया गया था, जिसे गलती से जारी किया गया था, और इसे वापस ले लिया गया है। कृपया उपयोग/प्रकाशन से सावधान रहें। असुविधा के लिए खेद है।'

न्यूज ऑउटलेट्स जिन्होने छापी 15 वर्ष पुरानी खबर

बहरहाल अब जब मामले की चर्चा चल ही गई है तो यह भी जान लीजिए की इस घोटाले में कौन-कौन हस्तियां शामिल थीं जिन्हें दोषी ठहराया गया था। यहां तक की उन्हें जेल तक काटनी पड़ी थी...

ए. राजा : पूर्व केंद्रीय दूर संचार मंत्री और द्रमुक नेता को इस मामले में पहले तो मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा, इसके बाद 2011 में इन्हें जेल भी जाना पड़ा। करीब 15 महीने के बाद इन्हें ज़मानत मिली। इन पर आरोप था कि इन्होंने नियम क़ायदों को दरकिनार कर 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी षड्यंत्रपूर्वक की। सीबीआई के अनुसार इन्होंने 2008 में साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेच दिया और अपनी पसंदीदा कंपनियों को पैसे लेकर ग़लत ढंग से स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिया। हालांकि बाद में राजा बरी कर दिए गए।

कनिमोरी : द्रमुक सुप्रीमो एम करुणानिधि की बेटी राज्य सभा सदस्य थीं और इन पर राजा के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगा था। आरोप था कि इन्होंने अपने टीवी चैनल के लिए 200 करोड़ रुपयों की रिश्वत डीबी रियलटी के मालिक शाहिद बलवा से ली और बदले में उनकी कंपनियों को ए राजा ने ग़लत ढंग से स्पेक्ट्रम दिलाया।

सिद्धार्थ बेहुरा : जब राजा केंद्रीय दूरसंचार मंत्री थे तब सिद्धार्थ बेहुरा दूरसंचार सचिव थे। सीबीआई का आरोप था कि इन्होंने ए. राजा के साथ मिलकर इस घोटाले में काम किया और उनकी मदद की। बेहुरा भी ए राजा के साथ ही दो फ़रवरी 2011 को गिरफ़्तार हुए थे।

आर के चंदोलिया : ए राजा के पूर्व निजी सचिव पर आरोप था कि इन्होंने ए राजा के साथ मिलकर कुछ ऐसी निजी कंपनियों को लाभ दिलाने के लिए षड्यंत्र किया जो इस लायक़ नहीं थीं। चंदोलिया भी बेहुरा और राजा के साथ ही दो फ़रवरी 2011 को गिरफ़्तार हुए थे।

शाहिद बलवा : स्वॉन टेलिकॉम के महाप्रबंधक बलवा पर सीबीआई का आरोप ये था कि उनकी कंपनियों को जायज़ से कहीं कम दामों पर स्पेक्ट्रम आवंटित हुआ। बलवा आठ फ़रवरी 2011 को जेल में बंद किए गए थे।

संजय चंद्रा : यूनिटेक के पूर्व महाप्रबंधक चंद्रा की कंपनी भी इस घोटाले में सीबीआई के अनुसार सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक थे। स्पेक्ट्रम लेने के बाद उनकी कंपनी ने स्पेक्ट्रम को विदेशी कंपनियों को ऊँचे दामों पर बेच दिया और मोटा मुनाफ़ा कमाया। चंद्रा को 20 अप्रैल 2011 को गिरफ़्तार किया गया था।

विनोद गोयनका : स्वॉन टेलिकॉम के निदेशक पर सीबीआई ने आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने साझीदार शाहिद बलवा के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र में भाग लिया था।

गौतम दोषी, सुरेन्द्र पिपारा और हरी नायर : अनिल अंबानी समूह की कम्पनियों के ये तीन शीर्ष अधिकारी थे। इन तीनों पर भी षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप था। इन तीनों अधिकारियों को भी 20 अप्रैल 2011 को जेल में बंद किया गया था।

राजीव अग्रवाल : कुसगाँव फ्रूट्स और वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक पर आरोप था कि उनकी कंपनी से 200 करोड़ रुपए रिश्वत के लिए करीम मोरानी की कंपनी सिनेयुग को दिए गए जो आख़िरकार करुणानिधि की बेटी कनिमोड़ी तक पहुँच गए। राजीव अग्रवाल 29 मई 2011 को गिरफ़्तार किया गया था।

आसिफ़ बलवा : शाहिद बलवा के भाई कुसगावं फ्रूट्स और वेजीटेबल प्राइवेट लिमिटेड में 50 फ़ीसदी के हिस्सेदार थे। राजीव अग्रवाल के साथ आसिफ़ बलवा को भी 29 मई 2011 को गिरफ़्तार किया गया था।

करीम मोरानी : सिनेयुग मीडिया और एंटरटेनमेंट के निदेशक पर आरोप था कि उन्होंने कुसगावं फ्रूट्स और वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड से 212 करोड़ रुपए लिए और कनिमोरी को 214 रुपये रिश्वत दिए ताकि शहीद बलवा की कंपनियों को ग़लत ढंग से स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिया जाए।

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