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Bihar liquor ban: बिहार में जहरीली शराब ले रही जान, होली के उमंग में नशे का शौक न बन जाए जान पर आफत

Janjwar Desk
18 March 2022 5:23 AM GMT
Bihar liquor ban: बिहार में जहरीली शराब ले रही जान, होली के उमंग में नशे का शौक न बन जाए जान पर आफत
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Bihar liquor ban: बिहार में जहरीली शराब ले रही जान, होली के उमंग में नशे का शौक न बन जाए जान पर आफत

Bihar liquor ban: होली के रंग में सब सराबोर हो रहे हैं।खुशियों का यह त्योहार बिहार में नशे के शौकिनों के लिए रंग में भंग न डाल दे इससे प्रशासन सकते में है।

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

Bihar liquor ban: होली के रंग में सब सराबोर हो रहे हैं।खुशियों का यह त्योहार बिहार में नशे के शौकिनों के लिए रंग में भंग न डाल दे इससे प्रशासन सकते में है। हर जागरूक नागरिकों के जेहन में यही सवाल आ रहा है कि पूर्व की भांति एक बार फिर जहरीली शराब के मौत का खेल यहां देखने को न मिल जाए। यह संशय इस लिए बना हुआ है कि आए दिन यहां जहरीली शराब से मौत के हादसे सामने आ रहे हैं। होली के दिन नशे का शौक ऐसी घटनाओं को फिर दोहरा सकता है।

पूर्ण शराबबंदी वाला राज्य बिहार देश का पांचवा प्रदेश है। नीतीश कुमार ने वर्ष 2015 के विधान सभा चुनाव में शराबबंदी का वादा किया था। सरकार बनने के बाद अप्रैल 2016 में बिहार में शराबंबदी का कानून लागू कर दिया गया। जिसका नतीजा रहा कि चोरी छूपे शराब निर्माण का धंधा बढ़ गया। जिसका परिणाम जहरीली शराब के रूप में आए दिन सामने आ रहे हैं। वर्ष 2021 की मात्र बात करें तो सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जहरीली शराब ने 66 लोगों की जान ले ली। हालांकि यह संख्या वास्तव में काफी अधिक रही है। जहरीली शराब के एक-दो नहीं पूरे 13 मामले सामने आए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जनपद नालंदा में दिसंबर में जहरीली शराब से आधा दर्जन लोगों की मौत हो गई। इस घटना से पहले 28 अक्टूबर की रात मुजफ्फरपुर के सरैया थाना क्षेत्र में आठ लोगों की मौत हो गई। नवादा जिले में 13 लोगों से अधिक की शराब पीने से मौत हो गई। इसके अलावा समस्तीपुर, बेतिया और गोपालगंज में जहरीली शराब से करीब 40 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने विशेष बैठक बुलाई। तब पुलिस-प्रशासन हरकत में आया। कई लोगों की गिरफ्तारियां हुईं। लेकिन एक बार फिर नालंदा में छह की मौत ने प्रशासनिक दावे की पोल खोल दी।

खजुरबन्नी कांड से हिल गया था बिहार

शराबबंदी कानून लागू होने के कुछ ही महीने बाद गोपालगंज के खजुरबानी की घटना ने तहलका मचा दिया था। स्वतंत्रता दिवस के दिन 2016 में नगर थाने के खजुरबानी में जहरीली शराब से 19 लोगों की मोत हो गई। एक दर्जन लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इस मामले में कोर्ट ने पहली बार शराब कांड में किसी को मौत की सजा दी। कुल नौ को फांसी और चार को उम्रकैद की सजा दी गई।

होली को लेकर प्रशासन ने बढ़ाई चौकसी

होली पर्व व शब-ए-बरात एक ही दिन पड़ने के कारण विधि-व्यवस्था को लेकर जिला नियंत्रण कक्ष, सीवान को 20 मार्च तक अथवा स्थिति सामान्य होने तक एलर्ट रहने का कहा गया है। पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार सिन्हा के मुताबिक सभी थाना के थानाध्यक्ष व ओपी प्रभारी के साथ ही अंचलों के अंचल अधिकारी तथा निरीक्षक, मद्य निषेध को धावा दल के रूप में गठन गया गया है। धावा दल चिन्हित हाट-स्पाट क्षेत्रों में नियमित अंतराल पर छापामारी करेगा। इसके साथ ही उत्पाद विभाग की टीम भी शराब के धंधेबाजों के खिलाफ लगातार छापेमारी अभियान चलाएगी। इसके अलावा लोगों को जागरूक करने के लिए फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में विशेष अभियान चलाया गया। जहरीली शराब निर्माण व सेवन करने वालों की सूचना देने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इनकी पहचान भी छूपाए रखने का पुलिस अफसरों को निर्देश दिया गया है। उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती हिस्से में विशेष चैकसी बरती जा रही है।

बिहार में शराब की खपत महाराष्ट्र से ज्यादा

बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद भी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां शराब की खपत महाराष्ट्र से भी ज्यादा है, जबकि महाराष्ट्र में शराबबंदी नहीं है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा शराब की खपत होती है। आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में 15.5 पुरूष पुरुष शराब पीते हैं। जबकि, महाराष्ट्र में शराब पीने वाले पुरुषों की तादात 13.9 प्रतिशत है। हालांकि, 2015-16 की तुलना में बिहार में शराब पीने वाले पुरुषों में काफी कमी आई है। 2015-16 के सर्वे के मुताबिक, बिहार में करीब 28 फीसदी पुरुष शराब पीते थे। आंकड़े ये भी बताते हैं बिहार के ग्रामीण और शहरी इलाकों में महाराष्ट्र की तुलना में शराब पीने वालों की संख्या ज्यादा है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में 15.8 प्रतिशत और शहर में 14 प्रतिशत पुरुष शराब पीते हैं। वहीं, महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में 14.7 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 13 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन करते हैं।

शराब बंदी का वादा कर नीतीश बन गए थे महिलाओं की पहली पसंद

बिहार में नीतीश कुमार 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार शराबबंदी करने का वादा किया था। उनके इस वादे का असर ये हुआ था कि महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 60 के करीब हो गया था। कई इलाकों में तो 70 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने वोट दिया था। अर्थात महिलाओं के लिए नीतीश कुमार पहली पसंद बन गए।सरकार बनने के बाद अप्रैल 2016 में बिहार में शराबंबदी का कानून आया। 1 अप्रैल 2016 को बिहार देश का 5वां ऐसा राज्य बन गया जहां शराब पीने और जमा करने पर प्रतिबंध लग गया

शराब बंदी को लेकर बने कड़े कानून

शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2016 से दिसंबर 2021 तक बिहार में शराबबंदी कानून के तहत 2.03 लाख मामले सामने आए हैं। इनमें 3 लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से 1.08 लाख मामलों का ट्रायल शुरू हो गया है। 94 हजार 639 मामलों का ट्रायल शुरू होना अब भी बाकी है। रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर तक 1 हजार 636 मामलों का ट्रायल पूरा हो चुका है। इनमें से 1 हजार 19 मामलों में आरोपियों को सजा मिल चुकी है। जबकि, 610 मामलों में आरोपी बरी हो चुके हैं।

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