Bihar News: नल जल योजना के तहत डिप्टी CM ही नहीं, JDU नेता के परिवार को भी 80 करोड़ का ठेका, विपक्ष हुआ आक्रामक
(बिहार की नल जल योजना में डिप्टी सीएम ही नहीं, जदयू नेता के परिवार को भी 80 करोड़ के ठेके दिए जाने का खुलासा हुआ है)
जनज्वार। एक दिन पहले बुधवार को बिहार में नल जल योजना के तहत डिप्टी सीएम के परिवार और रिश्तेदारों को ठेके दिए जाने की खबरें सुर्खियां बनीं थीं। अब गुरुवार को नया खुलासा हुआ है कि ठीकेदारी के इस खेल में क़ई अन्य राजनेताओं (Political leaders) के परिजनों के नाम भी शामिल हैं। यह खुलासा अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने किया है। वहीं, बिहार के विपक्षी दल (Opposition Parties of Bihar) इस मुद्दे को लेकर खासे आक्रामक हो गए हैं और सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके 'जीरो टॉलरेंस' के दावों पर निशाना साध रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, कॉन्ट्रैक्ट के जरिए फायदा लेने वाली लिस्ट में सबसे पहला नाम भाजपा विधायक दल के नेता और बिहार डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद (Tarkishor Prasad) का आता है। इसके अलावा लिस्ट में प्रदेश के JDU और बीजेपी के कुछ और नेता भी हैं।
करीब पांच साल पहले शुरू हुई इस योजना को अबतक काफी सफल रहने का दावा किया जाता है। 1.08 लाख पंचायत वॉर्ड तक इसे पहुंचाने का टारगेट था, जिसका 95 फीसदी कवर होने का दावा है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, टेंडर रिकॉर्ड में पाया गया कि PHED ने 2019-20 में कटिहार जिले (Katihar District) की 9 पंचायतों के अलग-अलग वॉर्ड में स्कीम के 36 प्रॉजेक्ट को मंजूरी दी। कटिहार से ही डिप्टी सीएम चार बार विधायक रहे हैं। ये प्रोजेक्ट जिन कंपनियों को दिए गए उनमें से एक उनके बेटे की बहू पूजा कुमारी, दो साले प्रदीप कुमार भगत से जुड़ी हैं।
इतना ही नहीं कॉन्ट्रेक्ट (Contract) हासिल करने वाली कुछ कंपनियां उनके करीबी प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार से संबंधित हैं। खासकर पूजा कुमारी की कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट मिलने पर सवाल इसलिए उठे हैं क्योंकि कुछ अधिकारियों (Ofgicials) ने बताया है कि उनकी कंपनी को इस फील्ड के काम का कोई अनुभव भी नहीं था।
खबर में बताया गया है कि बिहार में चलाई जा रही 'हर घर नल का जल' योजना से जुड़े 20 जिलों के दस्तावेज देखे गए। इनको रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी (RoC) और बिहार पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (PHED) के रिकॉर्ड से मिलाकर देखा गया। PHED पर इस स्कीम को लागू कराने का जिम्मा था। इसमें पंचायती राज और शहरी विकास विभाग को उसका साथ देना था।
वहीं, डिप्टी सीएम ने इसे लेकर सफाई भी दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने कहा, "कटिहार में कुल 2800 यूनिट हैं। मेरे परिवार के सदस्यों को सिर्फ चार मिली हैं। बिजनेस करने में कुछ गलत नहीं।
जब डिप्टी सीएम से इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मामले में किसी तरह राजनीतिक संरक्षण नहीं दिया गया। वह बोले कि कॉन्ट्रेक्ट मिलने के वक्त वह कटिहार से सांसद (MP of Katihar) थे और डिप्टी सीएम बाद में नवंबर 2020 में बने थे। तारकिशोर ने कहा कि कंपनियों से सीधे तौर पर उनका कोई लिंक नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस सूची में सबसे ऊपर जद (यू) के पूर्व राज्य सचिव (State secretary of JDU) अनिल सिंह का परिवार है, जिसे लगभग 80 करोड़ रुपये का ठेका मिला था। अनिल सिंह अभी भी राज्य की राजनीति में एक प्रमुख नेता हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व वाली सत्ताधारी पार्टी के सभी प्रमुख कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
रिपॉर्ट की सूची में भाजपा विधायक विनोद नारायण झा (Vinod Narayan Jga) के भतीजे भी हैं, जिन्हें 2019-20 में लगभग 3.5 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था। उस वक्त उनके चाचा PHED (लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग) मंत्री थे।
योजना के तहत अधिकांश परियोजनाएं पीएचईडी द्वारा कार्यान्वित की जाती हैं, जो बोली प्रक्रिया के माध्यम से चयनित कंपनियों या ठेकेदारों को प्रत्येक अनुबंध के लिए 30-57 लाख रुपये का वितरण करती है। विभाग ठेके की राशि का 60-65 प्रतिशत काम के दौरान ठेकेदारों को और 35-40 प्रतिशत समान भागों में पांच साल में रखरखाव के लिए देता है।
इस योजना के तहत प्रत्येक परियोजना (Scheme) में एक टावर पर 5,000 लीटर के दो प्लास्टिक टैंक स्थापित करना, कंपनी संचालक द्वारा बनाए जाने वाले बोरवेल (Borewell) से इन टैंकों में पानी पंप करना और निकटतम स्थान पर एक पीतल के नल को पाइप लाइन के माध्यम से पानी की आपूर्ति करना शामिल है।
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उसने 20 जिलों के बोली दस्तावेजों की समीक्षा की है। इसमें पाया गया कि इनमें से कई अनुबंध शीर्ष राजनीतिक नेताओं के परिवार और सहयोगियों के पास गए। रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि अदालती मामलों में फंसे एक को छोड़कर, ये सभी परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, रिकॉर्ड बताते हैं कि सिंह के गृह जिले समस्तीपुर (Samastipur) में दो फर्मों को ठेके दिए गए थे। एक- एलेट्रा इंफ्रास्टेट लिमिटेड और दूसरी- फडले केम प्राइवेट लिमिटेड। समस्तीपुर में पीएचईडी के कार्यकारी अभियंता राजेश कुमार रोशन के अनुसार, परियोजना लागत का 60 प्रतिशत दोनों फर्मों को वितरित किया गया है। .
"फडले केम और इलेक्ट्रा इंफ्रास्टेट (Electra Infrastate) दोनों ने काम पूरा कर लिया है और समझौते के अनुसार निर्माण लागत का भुगतान किया गया है। लेकिन कुछ शिकायतें हैं कि ये दोनों और कुछ अन्य कंपनियां रखरखाव का काम ठीक से नहीं कर रही हैं।" रोशन ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया।
रिकॉर्ड बताते हैं कि अनिल सिंह की बहू अंकिता सिंह, एलेट्रा इंफ्रास्टेट के तीन निदेशकों में से एक हैं। अन्य निदेशक अजय कुमार सिंह और उनके बेटे कुणाल कुमार हैं, दोनों समस्तीपुर निवासी और जद (यू) नेता के ज्ञात सहयोगी हैं।
PHED अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि कंपनी को 2018-19 में अनुबंध के 11 सेट आवंटित किए गए थे, जिनमें से प्रत्येक में 2-4 वार्ड शामिल थे। अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक वार्ड के लिए पीएचईडी की परियोजना लागत कम से कम 40 लाख रुपये है और आकार और आबादी के आधार पर 50 लाख रुपये से अधिक हो सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रिकॉर्ड बताते हैं कि मृत्युंजय कुमार और अंकिता सिंह, अनिल सिंह के बेटे और बहू, फडले केम प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं। जिस फर्म को 2019-20 में अनुबंध आवंटित किया गया था। रिकॉर्ड्स सूची में अखबार ने फडले केम का पता न्यू कॉलोनी, धरमपुर, समस्तीपुर, 848101 के रूप में पाया और वही पता अनिल सिंह द्वारा उपयोग किया गया था।
वहीं, अनिल सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस के सवालों का जवाब नहीं दिया। उनके बेटे मृत्युंजय कुमार ने कहा: "फडले केम को समस्तीपुर के 200 से अधिक वार्डों में नल जल का ठेका मिला है। हमने इनमें से अधिकांश क्षेत्रों में काम पूरा कर लिया है।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि दस्तावेजों (record) से पता चलता है कि मधुबनी के एक ठेकेदार सुनील कुमार झा को 2019-20 में जिले में लगभग 3.5 करोड़ रुपये के ठेके के दो सेट आवंटित किए गए थे। झा के चाचा विनोद नारायण झा, जो अब मधुबनी में भाजपा के बेनीपट्टी विधायक हैं, उस समय बिहार के पीएचईडी मंत्री थे।
अखबार द्वारा संपर्क करने पर, विनोद नारायण झा ने कहा, "मैं ठेका देने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं था ... सिर्फ इसलिए कि मैं मंत्री बन गया, इसका मतलब यह नहीं था कि मैं अपने रिश्तेदारों को अपना अनुबंध व्यवसाय (Contract business) छोड़ने के लिए कहूंगा। यदि कुछ रिश्तेदारों को ठेके मिल गए होते तो वे बोली प्रक्रिया के माध्यम से अर्हता प्राप्त कर लेते।"
रिपोर्ट के मुताबिक, दस्तावेजों से पता चलता है कि खुशी कंस्ट्रक्शन, जिसमें जद (यू) नेता दीपक कुमार, भाई राजीव कुमार और एक रिश्तेदार भागीदार (Partners) हैं, को पूर्णिया, सहरसा, अररिया और शेखपुरा में 900 से अधिक वार्डों में अनुबंध दिया गया था। PHED अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि कंपनी को लगभग 80 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, जो 2020 की शुरुआत तक काम करती थी, जब इसे अनुबंध नियमों (Contract regulations) के कथित उल्लंघन और जालसाजी (Fraud) के आरोप में अदालती मामलों का सामना करना पड़ा, और इसे प्रतिबंधित और ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। दीपक कुमार टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके।
खुशी कंस्ट्रक्शन के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Atorny) रखने वाले राजीव कुमार ने द इंडियन को बताया कि कंपनी ने अनुबंध प्राप्त करने के लिए सभी मानदंडों का अनुपालन किया था। "मामला हाई कोर्ट में है। हालांकि हमें अभी के लिए काली सूची में डाल दिया गया है, फिर भी हमें बाद में काम वापस मिल सकता है।"उन्होंने कहा।
कमल पीएचईडी में पंजीकृत ठेकेदार है और जमुई के लक्ष्मीपुर का रहने वाले हैं। उन्हें जमुई में तीन ठेके आवंटित किए गए थे। कमल टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। कमल के परियोजना अभियंता रमन कुमार ने कहा, "हमें लक्ष्मीपुर की दिग्घी पंचायत (वार्ड 1,3,4,5,6, 8 और 10), घोड़पाडन की गौड़ा पंचायत (वार्ड 4 और 14) और एक-एक वार्ड में काम आवंटित किया गया है। बरहट और पारो पंचायतों में। हमने काम पूरा कर लिया है।"
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राजन तिवारी, भाजपा प्रवक्ता ने PHED में अपनी कंपनी, जय श्री श्याम कंस्ट्रक्शन के लिए अनुबंध किया। परियोजना लागत 17 करोड़ रुपये थी। तिवारी के स्वामित्व वाली जय श्री श्याम कंस्ट्रक्शन को अररिया के खैरखा और अमहारा पंचायत के 28 वार्डों में 2019-20 में पीएचईडी का ठेका मिला था। तिवारी फोर्ब्सगंज विधायक विद्यासागर केसरी और अररिया के सांसद प्रदीप सिंह के करीबी सहयोगी हैं। तिवारी ने कहा, "मैं भी एक व्यवसायी हूं और ठेकेदार के रूप में अच्छा काम करने की कोशिश की है।"
मनोज गुप्ता, पूर्व राज्य समन्वयक, भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ PHED ने अपनी फर्म, R.M के लिए अनुबंध किया।परियोजना की निर्माण लागत 23 करोड़ रुपये थी। आर.एम. समस्तीपुर में निर्माण को 2018-19 और 2019-20 में लगभग 23 करोड़ रुपये के 12 सेट ठेके दिए गए। गुप्ता टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके।
धर्मेंद्र कुमार साह, अध्यक्ष, जद (यू) ईबीसी विंग, समस्तीपुर ने समस्तीपुर में पीएचईडी का ठेका लिये।जिसकी नलागत 4 करोड़ रुपये थी। ठेकेदार साह को 2019-20 में 4 करोड़ रुपये के दो ठेके मिले। उन्होंने टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया।
रिपोर्ट के अनुसार, अन्य लाभार्थियों में अहमद अख्तर (कांग्रेस, बगहा) भी शामिल हैं, जिन्हें 2019-20 में दो वार्डों में कुल 85 लाख रुपये का ठेका मिला है। अख्तर ने कहा कि वह जेपी एंटरप्राइजेज के लिए काम करते हैं,, जिसका स्वामित्व स्थानीय निवासी जनार्दन प्रसाद के पास है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रिशु सिंह (शेखपुरा में पीएचईडी कार्यालय परिचारक रवींद्र सिंह का बेटा) को शेखपुरा की सनैया पंचायत में 2019-20 में कुल 1 करोड़ रुपये का ठेका मिला। वह टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
मोहम्मद खालिद (मोहम्मद सरफराज के भाई, जद (यू), शेखपुरा) को शेखपुरा के अरियारी ब्लॉक के नौ वार्डों के लिए 2019-20 में कुल 3.6 करोड़ रुपये का पीएचईडी अनुबंध मिला। उन्होंने कहा: "मैंने लगभग 95 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है। मुझे बोली मानदंडों का पालन करने के बाद काम आवंटित किया गया था।"
मुकेश सिंह (गोपालगंज में जद (यू) के पूर्व नेता रामाशीष सिंह के बेटे) को पंचायती राज विभाग ने 12 वार्डों में काम आबंटित किया। विष्णुपुरा और बसडीहा पंचायतों में छह-छह - कुल 1.3 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजना थी। मुकेश सिंह ने कहा: "मुझे 2016-17 में काम आवंटित किया गया था और इसे बहुत पहले पूरा कर लिया था।"
उधर, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav ) गुरुवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) जमकर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार में नल-जल योजना ( Nal-Jal Yojna ) नहीं 'नल-धन' योजना चल रहा है। जमकर लूट हो रही है और सरकार जानते हुए भी चुपचाप देख रही है।
दरअसल, बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ( Deputy CM Tarkishore Prasad ) की बहू, साले और दामाद को सरकारी नल-जल योजना का 58 करोड़ का ठेका दिये जाने का मामला सामने आने के बाद तेजस्वी यादव सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं। हालांकि अब इस बीच ऐसे कुछ और नए मामले भी सामने आ गए हैं।
गुरुवार को आरजेडी नेता ने 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अगस्त 2020 में ही इस घोटाले को पर्दाफाश किया गया था, लेकिन जांच नहीं की गई। तेजस्वी ने दावा किया इस घाटाले का पर्दाफाश राम प्रकाश महतो ने किया था। उन्होंने कहा कि फरवरी 2021 में राम प्रकाश महतो ने सीएम नीतीश को इस संबंध में पत्र भी लिखा था, इसके बावजूद सीएम नीतीश ने इस मामले को लेकर संज्ञान नहीं लिया।
तेजस्वी ने डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के बहाने सीएम नीतीश पर तीखा हमला बोला। तेजस्वी ने सवाल उठाया किया कि आज तक इस मामले में कार्रवाई क्यों नहीं की गई। सीएम नीतीश से उन्होंने पूछा कि वे 50 पंचायतों का नाम ही बता दें जहां नल जल योजना ढंग से काम कर रहा हो।
बुधवार को भी उन्होंने डिप्टी सीएम के बहाने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निशाना साधा था और कहा था कि वे भ्रष्टाचार के इस खेल के और तथ्यों को सबसे सामने रखेंगे और सरकार को बेनकाब करेंगे.