बिहार में बाढ़ से तबाह किसानों को राहत की जगह मिला नया जुमला, अब ऊर्जादाता बनेंगे किसान
पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सोमवार (31 August 2020बिहार की जदयू-भाजपा सरकार ने अब किसानों को सोलर इनर्जी का उत्पादक बनाएगी, जबकि बाढ से हुई तबाही को लेकर राहत को कोई पक्का प्लान सरकार पेश नहीं कर सकी है...) को यहां कहा कि सरकार सौर ऊर्जा आधारित कृषि पम्प को प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा कि किसान सौर ऊर्जा पैनल से उत्पादित अतिरिक्त बिजली विद्युत कंपनियों को बेचकर अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी बनेंगे। भाजपा किसान मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति के वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री मोदी ने कहा कि डेडिकेटेड कृषि फीडर द्वारा अब तक राज्य के 1 लाख 42 हजार किसानों को कृषि कनेक्शन दिया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि किसानों से प्रति यूनिट 6़15 रुपये लागत की बिजली के लिए मात्र 65 रुपये लिया जा रहा है और 5़50 रुपये सरकार की ओर से वहन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, अगले कार्यकाल में राज्य सरकार सौर ऊर्जा आधारित कृषि पम्प को प्रोत्साहित करेगी। किसान सौर ऊर्जा पैनल से उत्पादित अतिरिक्त बिजली विद्युत कम्पनियों को बेच कर अन्नदाता के साथ.साथ ऊर्जादाता भी बनेंगे।
मोदी ने कहा कि खेती की लागत कम करने के लिए ही डीजल से सिंचाई की जगह बिजली को प्राथमिकता दी गई है। एक कट्ठा जमीन की सिंचाई में डीजल से जहां 20 रुपये की लागत आती थी, वहीं बिजली से मात्र 82 पैसे के खर्च पर सिंचाई हो जाती है।
बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति .2020 की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नई नीति को स्वीकृति दी गई है, जिससे कृषि व्यवसाय से जुड़े सात क्षेत्रों मखाना, फल-सब्जियां, शहद, औषधि व सुगंधित पौधे, मक्का, चाय व बीज आदि के प्रसंस्करण के लिए 25 लाख से 5 करोड़ तक के निवेश पर 15 से 25 प्रतिशत तक पूंजीगत अनुदान व 30 प्रतिशत ब्याज अनुदान के साथ ही औद्योगिक प्रोत्साहन नीति - 2016 के तहत अन्य लाभ दिए जा सकेंगे।
उन्होंने कहा, इसके साथ ही राज्य सरकार ने 2019-20 में 33 लाख 71 हजार किसानों को फसल क्षति अनुदान के तौर पर 1, 220 करोड़ रुपये का वितरण किया है, जिससे औसतन प्रति किसान को 4,400 रुपये प्राप्त हुआ है।