बिहार की राजनीति में चर्चा के केंद्र में आए भाजपा के हिंदुत्ववादी व दलित चेहरे कामेश्वर चौपाल, डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन करते हुए कामेश्वर चौपाल। File Photo.
जनज्वार, पटना। बिहार की राजनीति की चर्चा के केंद्र में अचानक से भाजपा के दलित चेहरे कामेश्वर चौपाल (Kameshwar Chaupal) आ गए हैं। कामेश्वर चौपाल अयोध्या राम मंदिर न्याय के सदस्य हैं और भाजपा के दलित चेहरा हैं। चर्चा है कि कामेश्वर चौपाल को बिहार में उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। शुक्रवार को पटना पहुंचने पर एयरपोर्ट पर कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया और इस दौरान उन्होंने मीडिया से कहा कि बिहार में जो भी भूमिका उन्हें दी जाएगी उसका वह निर्वहन करेंगे।
कामेश्वर चौपाल बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र के हैं और मधुबनी जिले के रहने वाले हैं। 1989 में राम मंदिर आंदोलन के समय हुए शिलान्यास में उन्होंने पहली ईंट रखी थी। मिथिलावासी होने के कारण उन्होंने इस साक्षात्कार में कहा था कि जब हम बड़े हो रहे थे तो भगवान राम को अपने रिश्तेदार के रूप में देखते थे।
कामेश्वर चौपाल एमएलसी हैं और 1991 में उन्होंने रामविलास पासवान के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था। 2014 में वे सुपौल से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। भाजपा की बिहार इकाई के एससी मोर्चा की ओर से भी उनके नाम की पैरोकारी हो रही है।
हालांकि एक तबका उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में भी प्रोजेक्ट कर रहा है। हालांकि ऐसा हो पाना इतना आसान नहीं है, क्योंकि बिहार चुनाव की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार में संकल्प सिद्ध करेंगे। वहीं, नीतीश कुमार ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तो एनडीए की बैठक में तय होगा। नीतीश ने ऐसा कर एक रहस्य भी बनाया है। मालूम हो कि बिहार चुनाव में जदयू की 43 सीटों की तुलना में भाजपा को 73 सीटें मिली हैं। ऐसे में दबी जुबान से ही सही भाजपा का एक तबका अपना सीएम की मांग कर रहा है।
आज ही पटना में एनडीए विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें नेता व उपनेता चुना जाएगा। जिसे एनडीए विधायक नेता चुनेंगे वह सीएम और जिसे उपनेता चुनेंगे वे डिप्टी सीएम बनेंगे। अगर सुशील कुमार मोदी की जगह कामेश्वर चौपाल या किसी और नए चेहरे को उपनेता चुना जाता है, तो सुशील मोदी को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।