व्यवस्था की बेदर्दी: अस्पताल में मृत बच्चे की डेथ रिपोर्ट बनवाने के लिए लाचार पिता घण्टों लगाता रहा गुहार
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
जनज्वार ब्यूरो/पटना। बेदर्द हाकिम हों तो फरियाद क्या करना। हाकिमों-हुक्मरानों और व्यवस्था की बेदर्दी का जीवंत नमूना राज्य के भागलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू मायागंज अस्पताल में देखने को मिला, जहां दुर्घटना में घायल होने के बाद इलाज के दौरान अस्पताल में मृत हुए बच्चे की डेथ रिपोर्ट पाने के लिए लाचार पिता घण्टों एक हाकिम के द्वार से दूसरे के द्वार तक गुहार लगाता रहा। अंततः काफी जद्दोजहद करने पर पूरे 18 घण्टे के बाद अस्पताल द्वारा बच्चे की डेथ रिपोर्ट दी गई। मृत बच्चे के परिजनों ने इस दौरान जो तकलीफ और मानसिक पीड़ा झेली होगी, उसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
दरअसल, भागलपुर जिला के भवनाथपुर निवासी मिथुन मंडल सड़क दुर्घटना में घायल अपने ढाई साल के बच्चे को लेकर इलाज के लिए मायागंज अस्पताल पहुंचे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इलाज शुरू हुआ, पर बच्चे की स्थिति में सुधार नहीं होने पर उसे पीएमसीएच, पटना रेफर कर डॉक्टरों ने अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली।
उधर आर्थिक तंगी के कारण लाचार परिजन उसे किसी दूसरे अस्पताल में इलाज के लिए नहीं ले जा पाए और वहीं दवा और दुआ के भरोसे पड़े रहे। आखिरकार गुरुवार की रात 10 बजे के लगभग बच्चे की मौत हो गयी। आरोप है कि इसके बाद उन्हें अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से बाहर कर दिया गया।
परिजन बच्चे के शव को इमरजेंसी के पास रखकर लगभग 18 घंटे तक डीआर यानी डेथ रजिस्टर बनवाने के लिए यहां से वहां दौड़ लगाते रहे। इस दौरान मृत बच्चे के परिजन नम आंखों के साथ डॉक्टर से लेकर कंट्रोल रूम के जिम्मेदारों तक से बच्चे की डेथ रिपोर्ट बना देने की गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी को रहम नहीं आई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भवनाथपुर निवासी मिथुन मंडल दिहाड़ी मजदूरी का काम करता है। उसका ढाई साल का बेटा अभिमन्यु कुमार बुधवार की दोपहर अपने घर के दरवाजे के बाहर खेल रहा था। इसी दौरान सड़क से गुजर रहे ट्रैक्टर की चपेट में आकर बुरी तरह से घायल हो गया।
परिजनों ने घायल बच्चे को बुधवार की शाम जेएलएनएमसीएच के इमरजेंसी विभाग में डॉ. सीएम उपाध्याय की यूनिट में भर्ती कराया। परिजनों का कहना है कि उनके बच्चे को गुरुवार को करीब डेढ़ बजे डॉक्टरों ने रेफर कर दिया, लेकिन पैसे नहीं थे तो पटना इलाज के लिए नहीं ले जा पाये और JLNMCH के इमरजेंसी में इलाज के लिए रखे रहे। जहां इलाज के दौरान मौत हो गयी।
परिजनों का आरोप है कि मौत के बाद अस्पताल के स्टाफ ने शव को इमरजेंसी वार्ड से बाहर कर दिया। शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए परिजन बरारी पुलिस के पास गये तो पुलिस ने कहा कि जब तक बच्चे का डीआर नहीं बनता है, तब तक पोस्टमार्टम नहीं करा सकते हैं।
डेथ रिपोर्ट के लिए परिजन हर मुमकिन जगह घण्टों गुहार लगाकर थक गए। शुक्रवार को दोपहर बाद इसकी सूचना मायागंज अस्पताल के आला अधिकारियों को दी गयी तो इमरजेंसी में सर्जन ऑन ड्यूटी डॉ. पवन कुमार ने बच्चे का डीआर बनाया और बरारी पुलिस को सौंपा।