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बिहार

नियुक्ति घोटाले को लेकर घिरे मंत्री मेवालाल चौधरी की पत्नी की मौत मामले की SIT जांच की पूर्व IPS ने उठा दी मांग

Janjwar Desk
18 Nov 2020 4:06 AM GMT
नियुक्ति घोटाले को लेकर घिरे मंत्री मेवालाल  चौधरी की पत्नी की मौत मामले की SIT जांच की पूर्व IPS ने उठा दी मांग
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मंत्री मेवालाल चौधरी file phito

मंत्री मेवालाल चौधरी की पत्नी नीता चौधरी की अप्राकृतिक मौत का यह मामला साल 2019 का है, 27 मई 2019 को मेवालाल चौधरी की पत्नी नीता चौधरी की अप्राकृतिक मौत को लेकर मुंगेर जिला के तारापुर थाने में अननेचुरल मौत का मामला दर्ज किया गया था...

जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार सरकार के नए शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी के नियुक्ति घोटाले में आरोपित होने के बावजूद मंत्री बनाने की चर्चाएं अभी चल ही रहीं थीं कि अब एक नए मामले को लेकर उनपर सवाल उठ गए हैं। मामला उनकी पत्नी की मौत से जुड़ा है। राज्य के एक पूर्व आईपीएस ने डीजीपी को पत्र भेज उनकी पत्नी नीता चौधरी की मौत मामले की जांच की मांग उठा दी है।

मंत्री मेवालाल चौधरी की पत्नी नीता चौधरी की अप्राकृतिक मौत का यह मामला साल 2019 का है। 27 मई 2019 को मेवालाल चौधरी की पत्नी नीता चौधरी की अप्राकृतिक मौत को लेकर मुंगेर जिला के तारापुर थाने में अननेचुरल मौत का मामला दर्ज किया गया था।


इस यूडी केस के अनुसार 27 मई 2019 को नीता चौधरी किचेन में काम कर रहीं थीं, इसी दौरान आग लग गई। घटना रात के 8 से 9 बजे के बीच की बताई गई। आग लगने से वे बुरी तरह से झुलस गई थीं और बाद में इलाज के क्रम में 3 जून 2019 को उनकी मौत हो गई थी। उस दौर में यह खबर सामने आई थी कि घटना के समय मेवालाल चौधरी भी घर में मौजूद थे और पत्नी को बचाने के क्रम में उनका हाथ झुलस गया था।

अब पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने इस मामले को लेकर राज्य के डीजीपी एसके सिंघल को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने मंत्री मेवालाल चौधरी की पत्नी नीता चौधरी की मौत की चर्चा करते हुए इसमें राजनीतिक षडयंत्र की आशंका जताई है। दास ने यह भी लिखा है कि संभवतः मौत के तार नियुक्ति घोटाले से जुड़े हैं।

उन्होंने लिखा है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में बिहार पुलिस ने अद्भुत ततपरता दिखाई थी। अब नीता चौधरी की मौत मामले में एसआईटी का गठन कर मंत्री मेवालाल चौधरी से गहन पूछताछ की जाय।

जब मेवालाल चौधरी भागलपुर के सबौर स्थित एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में वीसी थे और उस वक्त वहां असिस्टेंट प्रोफेसर और कनीय वैज्ञानिकों की नियुक्ति में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी हुई थी।

उस नियुक्ति घोटाला में मेवालाल चौधरी आरोपित थे और इसे लेकर राजभवन के आदेश पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस ने जांच की थी। फिर गंभीर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें मेवालाल चौधरी को भी आरोपित किया गया था, हालांकि बाद में उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई थी। अभी कोर्ट में इस केस की चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है।

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