बिहार : कैमूर मुक्ति मोर्चा के आंदोलनकारियों पर पुलिस ने चलाईं गोलियां, 5 लोगों को उठा ले गई पुलिस
कैमूर (बिहार)। कैमूर मुक्ति मोर्चा के बैनर तले अधौरा में 10 और 11 सितम्बर को प्रस्तावित बाघ अभ्यारण्य और वन सेंचुरी के खिलाफ दो दिवसीय धरना का आयोजन किया गया और मांग किया जा रहा था कि उनके हित में जो कानून भारत सरकार ने बनाया है उसे कैमूर पठार में भी लागू किया जाए। जैसे पांचवी अनुसूची, पेशा अधिनियम 1996 या वन अधिकार अधिनियम 2006। लेकिन धरनास्थल पर प्रदर्शनकारियों से मिलने अंतिम दिन भी कोई अधिकारी नहीं आया।
प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगो को मनवाने के लिए ब्लॉक कार्यालय और वन विभाग में ताला लगाया गया था। उसे भी स्थानीय दरोगा द्वारा बिना प्रदर्शनकारियों के अनुमति के तोड़ दिया गया। इससे जनता और उग्र हो गयी और जब वो फिर से तालाबंदी करने गयी तो पुलिस से झड़प हो गया। इससे जनता और उग्र हो गयी और सीआरपीएफ के द्वारा लाठीचार्ज करने के बाद जनता भी जबाव में पुलिस पर हमला कर दिया।
कैमूर मुक्ति मोर्चा के मुताबिक, 'इसके बाद पुलिस ने गोली चलाना शुरू कर दिया जिससे एक क्रांतिकारी का कान कट गया है। अगर गोली सर में लगा होता तो उनकी मौत भी हो सकती थी। इस विस्फोटक स्थिति का सारा जिम्मेदार यहां के असंवेदनशील अधिकारी है जो जनता से मिलने तक नहीं आए। आज वहीं इस हिंसा के प्रदर्शनकारियों को दोषी बता रहे हैं जबकि इसके दोषी वे खुद हैं।' इस हिंसा में दोनों तरफ से लोगो घायल हुए है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 'हम बाघ अभ्यारण्य के खिलाफ अधौरा मे शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, लेकिन आंदोलन के दूसरे दिन भी हम से मिलने कोई अधिकारी नहीं आया। इससे गुस्सा कर जनता वन विभाग के ऑफिस मे ताला लगाने गयी। जहां उसकी पुलिस से कहा-सुनी हो गयी और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया तो जनता भी जवाब देने लगी। इसके बाद पुलिस गोली चला रही है और जनता भी डटी हुई है। हम तमाम जनवादी ताकतों और पत्रकारों से अपील करते है वे हमारे साथ खड़े हो और अधौरा आए।'
उन्होंने बताया कि 'बाघ अभ्यारण्य और वन सेंचुरी के खिलाफ चल रहे हमारे आंदोलन को कुचलने के लिए बिहार सरकार ने पूरी ताकत झोंक दिया है। हमारे नेतृत्वकारी 5 साथियों को पुलिस पकड़कर आज विक्रमगंज थाने में ले गयी है। इसके अलावा दस और साथियों को पकड़ने के लिए पुलिस रात-दिन छापामारी कर रही है। आस-पास के सभी थानों से अतिरिक्त पुलिस के साथ सीआरपीएफ को भी बुलाया गया है। उसका सबसे ज्यादा जोर हमारे साथी विनोद शंकर को पकड़ने पर है।'
'उनके गांव और घर पर दिन में दो-दो बार छापेमारी की जा रही है और उनके घरवालों को धमकी दी जा रही है। उन पर पुलिस जिस तरह गुस्सा है उसको देखते हुए लगता है कि उनके पकड़े जाने पर कुछ भी किया जा सकता है। इसके अलावा अन्य साथियों के घरो पर भी लगातार छापेमारी किया जा रहा है। हम पूरे देश से आह्वान करते है कि अधौरा में चल रहे इस पुलिसिया दमन के खिलाफ आवाज उठाए।'