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बिहार : नए समीकरण के आसार, कुशवाहा नीतीश के करीब तो 'उपेक्षित' चिराग को लुभा सकता है महागठबंधन

Janjwar Desk
29 Nov 2020 6:41 AM GMT
बिहार : नए समीकरण के आसार, कुशवाहा नीतीश के करीब तो उपेक्षित चिराग को लुभा सकता है महागठबंधन
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उपेंद्र कुशवाहा तीसरा मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ने के बावजूद राजनीतिक हाशिये पर खड़े हैं, अब वे नीतीश के बचाव व समर्थन में उतर आए हैं। वहीं नीतीश से बैर लेने के कारण एनडीए में चिराग पासवान के लगातार उपेक्षित रहने की संभावना बनी हुई है। रीना पासवान को राज्यसभा उम्मीदवार बनाने की मांग भी खारिज कर दी गई...

जनज्वार। बिहार में राजनीति के नए प्रयोग होते रहे हैं और विधानसभा चुनाव बाद उत्पन्न हुए हालात में और नए समीकरण बनने के संकेत मिल रहे हैं। बदले राजनीतिक हालात में रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री व जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के करीब जा सकते हैं तो चिराग पासवान भी एनडीए में उपेक्षित होने के बाद महागठबंधन के करीब जा सकते हैं।

उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव द्वारा की गई टिप्पणी की तीखी आलोचना की है। उन्होंने तेजस्वी के बयान पर छिः-छिः तक कहा है। कुशवाहा ने एक बार फिर नीतीश कुमार को अपना बड़ा भाई बताया है और कहा है कि उन पर अगर कोई कुछ बोलेगा तो उपेंद्र कुशवाहा चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने कहा है कि तेजस्वी का बयान बर्दाश्त करने के लायक नहीं है। नीतीश कुमार बिहार सम्मानित व वरिष्ठ नेता है और उनके प्रति इस तरह व्यवहार उचित नहीं है।

कुशवाहा एनडीए से अलग होने के बाद बिहार में एक तरह राजनीतिक हाशिये पर जी रहे हैं। उन्होंनेे मायावती व असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिल कर बिहार चुनाव लड़ा लेकिन इसका फायदा उन्हें होने के बजाय हैदराबाद से आए ओवैसी को हुआ।

कुशवाहा ने नीतीश कुमार के साथ जाने के सवाल पर कहा है कि भविष्य में क्या होगा यह किसने जाना है। उन्होंने कहा है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। उल्लेखनीय है कि उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश से अलग होकर अपनी पार्टी बनायी थी और नीतीश कुमार जब एनडीए से अलग हो गए थे तो उन्हें एनडीए में महत्व भी मिला, केंद्र में मंत्री भी बने और उन्होंने नीतीश के प्रति तल्ख तेवर अपनाए। अतीत में कुशवाहा को राजनीति में आगे बढाने में नीतीश कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।


राजद मैदान में दूसरे उम्मीदवार के पक्ष में

उधर, बिहार में चिराग पासवान की मां रीना पासवान को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाने से भाजपा के इनकार किए जाने के बाद उनकी तल्खी एनडीए से और बढ सकती है। चिराग के पिता दिवंगत रामविलास पासवान को भाजपा ने अपने कोटे से जदयू के सहयोग से राज्यसभा भेजा था, लेकिन अब भाजपा ने अपना प्रत्याशी सुशील कुमार मोदी को बनाया है। लोजपा चाहती थी कि इस सीट से चिराग की मां रीना पासवान को उम्मीदवार बनाया जाए, लेकिन एनडीए से अलग होकर उनके चुनाव लड़ने के कारण जदयू व भाजपा को हुए नुकसान के बाद इसकी संभावना खत्म हो गई थी।

अगर रीना पासवान को एक विधायक वाली पार्टी लोजपा राज्यसभा उम्मीदवार बनाती है तो उन्हें राजद व महागठबंधन के अन्य दलों का समर्थन मिल सकता है। अगर लोजपा ऐसा निर्णय नहीं लेती है तो राजद अपना उम्मीदवार दे सकता है, जिसमें रामविलास पासवान के दामाद अनिल साधु का नाम प्रमुख है।

राजद ने जिस तरह स्पीकर पद को लेकर उम्मीदवार देने का निर्णय लिया था उससे इस बात की पूरी संभावना है कि वह चाहेगा कि दूसरा उम्मीदवार भी मैदान में हो। वह रीना पासवान भी हो सकती हैं और खुद उसके कोटे से भी। हालांकि राज्यसभा उपचुनाव में विपक्षी पार्टी के प्रत्याशी का जीतना लगभग असंभव-सा होता है, लेकिन नाजुक बहुमत वाली नीतीश सरकार के सामने विपक्ष अपना उम्मीदवार खड़ा कर मुश्किल परिस्थिति उत्पन्न कर सकता है और चुनाव खासा रोमांचक हो सकता है।

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