खरमास बाद हो सकता है नीतीश कैबिनेट का विस्तार, सीएम के साथ बीजेपी नेताओं की अहम बैठक
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में एनडीए सरकार के दोनों मुख्य घटक दलों बीजेपी और जेडीयू के बड़े नेताओं की बैठक सीएम हाउस में हो रही है। कहा जा रहा है कि इस बैठक के बाद कई अहम बातें साफ हो जाएंगी। कैबिनेट विस्तार से लेकर विधान परिषद की सीट आदि का मसला भी आज की बैठक में बहुत हद तक सुलझ जाने की संभावना बताई जा रही है।
इस बैठक के लिए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास सीएम हाउस पहुंचे हैं। पार्टी के इन दोनों बड़े नेताओं के साथ राज्य के दोनों उप मुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद और रेणु देवी भी मौजूद हैं।
सीएम हाउस में यह अहम बैठक शाम से चल रही है। बैठक में किन मुद्दों पर क्या बात चली है, इसका तो अभी खुलासा नहीं हो सका है, पर राजनीतिक हलकों में ऐसी चर्चा है कि खरमास बाद बिहार में नीतीश कैबिनेट का विस्तार हो सकता है।
कहा जा रहा है कि कैबिनेट विस्तार की अंतिम रूपरेखा तैयार की जा रही है, जिसे लेकर ही एनडीए की दोनों मुख्य पार्टियों के नेता एकसाथ बैठे हैं।
बता दें कि इससे पहले गुरूवार को दोपहर में जेडीयू के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के साथ बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और प्रभारी भूपेंद्र यादव ने जदयू के प्रदेश कार्यालय में बैठक हो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में जब एनडीए को बहुमत प्राप्त हुई थी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कुल 15 लोगों ने पहले दौर में शपथ ली थी। इनमें से एक मंत्री मेवालाल चौधरी इस्तीफा दे चुके हैं।
इसके बाद चर्चा थी कि जल्द ही कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा। लेकिन अबतक कैबिनेट विस्तार नहीं हो सका है और आलम यह है कि सरकार गठन के बाद से ही एक-एक मंत्री को कई-कई विभागों का प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है।
कैबिनेट विस्तार में देरी को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं चल रहीं हैं और एनडीए की आपसी खींचतान को एक वजह बताया जा रहा है। इस बीच एनडीए के एक और घटक दल 'हम' पार्टी के सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने अपनी पार्टी के लिए एक और मंत्री पद की मांग कर गठबंधन के मुख्य घटक दलों की टेंशन बढ़ा दी है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं और 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। हालिया संपन्न विधानसभा चुनावों में एनडीए की ओर से बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसे 74 सीटें मिली थीं। वहीं जेडीयू को इन चुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ा था और उसे मात्र 43 सीटें ही प्राप्त हो सकीं थीं। वहीं एनडीए के दो अन्य घटक दल जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी को 4-4 सीटें मिली थीं।