नीतीश के विधायक गोपाल मंडल ने कहा जेब में रखते हैं रिवॉल्वर, जरूरत पड़ी तो ठोक देंगे
जनज्वार, पटना। नीतीश की पार्टी जदयू से विधायक नरेंद्र कुमार नीरज यानी गोपाल मंडल की छवि दबंग नेता के तौर पर है। वे अक्सर अपनी गलतबयानी और दबंगई के कारण चर्चा में रहते हैं। बिहार में भी योगीराज जैसे ठोक देने की चाहत रखने वाले विधायक महोदय अपनी गुंडागर्दी के चलते चर्चा में हैं।
रविवार 7 मार्च को गोपाल मंडल हथियारों से लैस अपने दल—बल के साथ बांका जिले के बौसी थाना क्षेत्र में मंदिर के पास वाली एक जमीन पर कब्जा करने गये थे, जहां उन्हें लेने के देने पड़ गये। बौसी के श्याम बाजार स्थित दुर्गा मंदिर के पास जमीन को अपने कब्जे में करने के लिए हथियार से लैस होकर पहुंचे गोपाल मंडल ने वहां हंगामा काटा तो भीड़ ने उल्टा उन्हें बंधक बना लिया।
जानकारी के मुताबिक गोपाल मंडल चार गाड़ियों में करीब एक दर्जन हथियार और दर्जनों लाठियों के साथ अपने गुर्गों के साथ वहां पहुंचे थे और वहां के स्थानीय नेता नंदकिशोर साह का कॉलर पकड़कर बदतमीजी की, इतना ही नहीं गोपाल मंडल के गुंडों ने नंदकिशोर को जबरन गाड़ी में बिठाने की कोशिश भी की। इससे गुस्साई भीड़ ने गोपाल मंडल को ही बंधक बना लिया। बाद में पुलिस के हस्तक्षेप से माफी मांगने के बाद वह छूटे।
मगर छूटने के बाद भी विवादित विधायक महोदय के तेवर कम नहीं हुए, बल्कि वह सोशल मीडिया पर आये एक वीडियो में कहते सुने जा रहे हैं कि जरूरत पड़ी तो ठोक देंगे जातिसूचक गाली देते हुए गोपाल मंडल कह रहे हैं, मुझे कौन बंधक बना सकता है, कोई हम कमजोर आदमी हैं जो कोई कुछ कर लेगा। हम भी रिवाल्वर रखते हैं, उसी से ठोक देते।
हालांकि अब ठोक देने की बात कहने वाले गोपाल मंडल जनता से मुश्किल से अपनी जान बचा पाये थे। पुलिस के मौके पर पहुंचने के बाद जेडीयू विधायक नरेंद्र कुमार उर्फ गोपाल मंडल ने स्थानीय लोगों से माफी भी मांगी तब जाकर लोगों का गुस्सा शांत हुआ। इस दौरान करीब 1 घंटे तक चले हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद विधायक अपने गुर्गों के साथ वहां से रवाना हुए।
जानकारी के मुताबिक जिस जमीन को कब्जाने विधायक पहुंचे थे, वह श्याम बाजार स्थित दुर्गा मंदिर के पास स्थित है। करीब 20 एकड़ जमीन को विधायक नरेंद्र कुमार खुद की जमीन बता रहे थे। विधायक के मुताबिक यह जमीन उसने शंभू राय सहित अन्य भाइयों से खरीदी है, मगर विधायक को बंधक बनाने वाले लोगों का कहना है कि विधायक उस पर जबरन कब्जा करना चाहता था, क्योंकि उस जमीन पर करीब 50 सालों से इस जमीन पर स्थानीय लोगों का कब्जा है, जिस पर वह लोग मकान बनाकर रह रहे हैं।
BJP विधायक ने किया चाहत का इजहार, कहा बिहार में भी UP की तरह अपराधियों की पलटनी चाहिए गाड़ी
विवादों से गोपाल मंडल का पुराना नाता रहा है। भागलपुर के गोपालपुर से 2005 से लगातार चार बार विधायक रहे गोपाल मंडल अपनी करतूतों के वजह से सुर्खियों में रहते हैं। बेतुके बयानबाजी के साथ बांका के बौंसी में अपने लठैतों के साथ जमीन कब्जाने पहुंचे गोपाल मंडल इससे पहले भागलपुर में हाउसिंग कॉलोनी की जमीन पर कब्जा कर अपने कार्यालय के साथ गौशाला का निर्माण करा चुके हैं। कई बार नोटिस के बावजूद कब्जे वाले जमीन को उनसे खाली कराने की किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं हुई।
इसी तरह गोपाल मंडल 2020 बिहार विधानसभा में जीत दर्ज करने के बाद भागलपुर के तिलकामांझी चौक पर एक मकान पर कब्जा करने पहुंचे थे। काफी हंगामे और प्रशासनिक दखल के बाद धारा 107 लगाकर तब मामला तत्काल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। गोपाल मंडल की गुंडई प्रशासन के लिए भी अकसर परेशानी का सबब बनती रही है।
गोपाल मंडल कई बार थानों में गाली-गलौज और पुलिसकर्मियों के साथ बदतमीजी भी कर चुके हैं। लगभग चार साल पहले विक्रमशिला सेतु पर जाम में फंस जाने के कारण डीएसपी रैंक के अधिकारी से उन्होंने बदतमीजी की थी। तब उन्होंने एक सीनियर अधिकारी को गंगा में फेंकने की कोशिश की थी, जिसके बाद उन पर एफआईआर भी दर्ज हुई थी।
इस दबंग विधायक ने 2020 के दिसंबर में जीत के बाद जश्न के तौर पर ऑर्केस्ट्रा का आयोजन किया था और मंच पर डांसर के साथ जमकर ठुमकेलगाए थे। इसी साल जनवरी के पहले सप्ताह में इस्माइलपुर के सुददन टोला स्थित मध्य विद्यालय परिसर में अपनी जीत पर एक कार्यक्रम आयोजित करते हुए अपने भाषण में गोपाल मंडल ने विवादित और मनबढ़ू बातें की थी। इतना ही नहीं, भागलपुर जिले की सात सीटों में से पांच पर अपने आदमी को जीत दिलाने का दावा भी किया था, जाहिर तौर पर यह जीत वह दबंगई या हेरफेर से ही दर्ज करा पाते।
गोपाल मंडल वही विधायक है, जिसने विधानसभा कैंपस में अपराधियों को गोली से उड़ा देने की धमकी दी थी। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों, सरकारी कर्मचारियों से बदतमीजी के कारण भी वह चर्चा बटोर चुके हैं। स्थानीय पत्रकारों से गाली-गलौज करना वह अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं। हालांकि अपनी इन्हीं करतूतों और अनर्गल बयानबाजी के कारण ही गोपाल मंडल जदयू से निष्कासित किये जा चुके हैं, मगर निष्कासन समाप्त होने के बाद पार्टी में वापसी के बावजूद जुबान पर लगाम नहीं गा पा रहे।