बिहार में आज से बंद हो जायेंगे क्वारंटीन सेंटर, जबकि कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही तेजी से
पटना ब्यूरो, जनज्वार। बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या अब साढ़े छह हजार के करीब पहुंच चुकी है। विगत एक माह, जबसे प्रवासियों का ज्यादा संख्या में आगमन शुरू हुआ, बिहार में कोरोना पॉजिटिव की संख्या बुलेट की रफ्तार से बढ़ रही है। 22 मार्च को का पहला मामला सामने आने के बाद से 1 मई तक 40 दिनों की अवधि में राज्य में कुल 466 पॉजिटिव मरीज ही थे।
आज से ठीक एक माह पूर्व यानी 15 मई को बिहार में कुल पॉजिटिवों की संख्या मात्र 1033 थी। ये आंकड़े बता रहे हैं कि विगत एक.डेढ़ माह में राज्य में एक तरह से कोरोना विस्फोट हो गया है। मृतकों की संख्या भी इस डेढ़ माह में 39 गुनी बढ़ी है। अर्थात 1 मई तक बिहार में कोरोना से सिर्फ 1 संक्रमित की मौत हुई थी और 15 जून तक 39 संक्रमितों की मृत्यु हो चुकी है। इस डेढ़ माह की अवधि में कोरोना के जो नए मामले सामने आए हैं, उनमें से लगभग 80 फीसदी मामले बाहर से आए प्रवासियों के हैं।
बिहार में बाहर से आए प्रवासियों के लिए क्वारंटीन कैंपों की व्यवस्था की गई थी। ये क्वारंटीन कैंप राज्य के सरकारी स्कूलों और अन्य सरकारी भवनों में बनाए गए थे। इन कैंपों में उन लोगों को क्वारंटीन किया जा रहा था जो दूसरे राज्यों से बिहार वापस आ रहे थे। ब्लॉक और पंचायत स्तर पर बिहार में आधिकारिक रूप से 12291 क्वारंटीन केंद्र चल रहे थे। इन केंद्रों में बाहर से बिहार आए लगभग 14 लाख लोग क्वारंटीन किए गए थे।
विगत 31 मई को ही बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क सचिव अनुपम कुमार ने सरकार के इस निर्णय से अवगत करा दिया था। उन्होंने कहा था कि बिहार के लिए शेड्यूल की गईं सभी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें आ चुकीं हैं। 1433 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 19 लाख 47 हजार 127 प्रवासी बिहार आ चुके हैं। उन्होंने दावा किया था कि जितने प्रवासियों को बिहार वापस आने की इच्छा थी, वे सभी आ चुके हैं और इन सबकी क्वारंटीन अवधि 14 जून तक पूरी हो जाएगी। लिहाजा 15 जून के बाद ब्लॉक क्वारंटीन केंद्रों की उपयोगिता नहीं रहेगी। उन्होंने यह भी बताया था कि सरकार का पूरा जोर अब मास लेबल पर अवेरनेस ड्राइव चलाने पर रहेगा।
क्वारंटीन सेंटर बंद किए जाने के निर्णय से लोग चिंतित हो गए हैं। लोगों का कहना है कि कई क्वारंटीन सेंटरों पर भले ही कुव्यवस्था का आलम रहा हो पर बाहर से आए लोगों को ब्लॉक लेबल पर ही क्वारंटीन किए जाने से गांवों में संक्रमण नहीं फैल पाया था। बाहर से आए लोग क्वारंटीन केंद्र पर रहते थे और कोई लक्षण मिलने पर जांच हो जाती थी। जांच में पॉजिटिव पाए जाने पर इन्हें जिला अस्पतालों के आइसोलेशन वार्डों या फिर पटना के कोरोना डेडिकेटेड अस्पतालों में भर्ती कर इलाज किया जाता था।
ऐसे में गांव-मुहल्लों के लोग निश्चिंत रहते थे कि क्वारंटीन पीरियड पूरा कर और स्वस्थ होकर ही कोई प्रवासी अपने घर आ रहा है। पर अब इन क्वारंटीन सेंटरों के बंद किए जाने से लोगों की चिंता बढ़ गई है। ये कह रहे हैं कि बड़ी संख्या में लंबी दूरी की ट्रेनें चलने लगीं हैं। बस आदि भी चलने लगे हैं। लोगों के कहीं आने.जाने पर अब कोई पाबंदी नहीं। ऐसे में ज्यादा संक्रमण वाले इलाकों से जो लोग आ रहे हैं, अगर उनमें से कोई संक्रमित हुआ तो घर-गांव में संक्रमण फैल सकता है।
इधर सरकार की सोच है कि अब बाहर से आने वाले प्रवासी आ चुके हैं। अब जो लोग ट्रेन-बसों से आ.जा रहे हैं, वे सामान्य रूप से जरूरी कार्यवश आ-जा रहे हैं। इन लोगों को 14 दिनों के होम क्वारंटीन का आदेश दिया गया है। इसके अलावा मास लेबल पर अवेयरनेस ड्राइव, रैंडम टेस्टिंग, पूल टेस्टिंग आदि के तरीके अपनाए जाएंगे।