नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों और उत्तर बिहार में बारिश से फिर बढ़ने लगा नदियों का जलस्तर
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में बाढ़ की स्थिति में कोई सुधार आता नहीं दिख रहा। बाढ़ से 16 जिलों के 127 प्रखंडों के 1271 पंचायतों की 77 लाख 18 हजार 788 लोगों की आबादी प्रभावित है। हाल-फिलहाल प्रमुख नदियों का जलस्तर कुछ स्थिर हुआ था, पर उत्तर बिहार व नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र में हुई बारिश के बाद चंपारण में नदियों के जलस्तर में फिर बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
ऐसे में यदि बारिश आगे जारी रही तो बाढ़ एक बार फिर खतरनाक रूप ले सकती है। वैसे मुजफ्फरपुर व दरभंगा में बुधवार को जलस्तर तो स्थिर पाया गया, लेकिन अगले दो दिनों में इन दोनों जिलों में भी पानी बढ़ने के आसार हैं।
पूर्वी चंपारण के मोतिहारी के चटिया में गंडक नदी के जलस्तर में बुधवार को बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वही लालबकेया में बूढ़ी गंडक के जलस्तर में भी बढ़ोतरी हुई। वाल्मीकिनगर बराज से 1.77 लाख क्यूसेक पानी गंडक में छोड़ा गया है, जिससे नदी में और जलवृद्धि की आशंका है।
मोतिहारी में पिछले तीन दिनों से नदियों के जलस्तर में गिरवाट आने लगी थी, लेकिन मंगलवार शाम से लेकर बुधवार तक हुई अच्छी बारिश के बाद यह जलस्तर फिर बढ़ने लगा है। नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र में भी अच्छी बारिश हुई है, जिसका असर अगले दो दिनों में उत्तर बिहार के नदियों पर पड़ना तय माना जा रहा है।
वहीं मुजफ्फरपुर में गंडक के जलस्तर में कमी दर्ज की गई है, लेकिन बागमती व बूढ़ी गंडक के तेवर अभी भी कड़े हैं। इनके जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। प्रखंडों में फैले बाढ़ के पानी का बहाव कुछ कम होने लगा था, लेकिन बारिश के कारण एक बार फिर बाढ़ की समस्या गहराने की आशंकाहै।
उधर, दरभंगा में बागमती के जलस्तर में तीन सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई है, जबकि कमतौल में अधवारा नदी का जलस्तर भी 16 सेमी नीचे आया है। सोनवर्षा में कमला नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान से 21 सेमी नीचे आया है। नदियों के जलस्तर में गिरावट के बाद शहर में बाढ़ की स्थिति में भी तेजी से सुधार होने लगी है। हालांकि हनुमान नगर सहित शहर के कई मोहल्लों में अभी स्थिति विकट है। इन इलाकों में पंप से बाढ़ का पानी निकाला जा रहा है।
सरकार के स्तर पर जारी की गई सूचना के अनुसार बाढ़ प्रभावित इलाकों में 7 जगहों पर राहत शिविर चलाए जा रहे हैं, जिनमें 12 हजार से ज्यादा बाढ़ पीड़ित हैं। वहीं 1121 सामुदायिक किचेन चलाए जा रहे हैं, जिनमें 8 लाख 90 हजार लोगों को भोजन कराया जा रहा है।