उत्तर बिहार में नदियां उफनाईं, निचले इलाकों के कुछ गांवों में पानी घुसने से हजारों की आबादी प्रभावित
जनज्वार ब्यूरो, पटना। नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों और बिहार में लगातार बारिश से उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति धीरे-धीरे गंभीर होती जा रही है। उत्तर बिहार से होकर गुजरने वाली प्रमुख नदियों में कई स्थानों पर जलस्तर खतरे का निशान पार कर गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राहत और बचाव का काम शुरू करते हुए निचले इलाके के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का निर्देश दिया है। इस बीच गंडक बराज में 2.51 लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिए जाने से गंडक नदी उफना गई है।
मानसून की शुरुआत से ही नेपाल के तराई क्षेत्रों और उत्तर बिहार में लगातार बारिश हो रही है। बारिश के कारण उत्तर बिहार से होकर गुजरने वाली गंडक, बागमती, कमला और लाल बकैया नदी खतरे का लाल निशान पार कर गईं हैं। इससे करीब आधा दर्जन जिलों के कई इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। लोग ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राहत और बचाव तथा प्रभावित लोगों को ऊंचे स्थानों पर ले जाने का निर्देश दिया है। इसे लेकर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जिलों के डीएम को आवश्यक निर्देश दिया है। उन्होंने संबंधित डीएम को लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने और राहत व बचाव कार्य चलाए जाने का निर्देश दिया है।
इन नदियों में उफान से उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, सीतामढ़ी, दरभंगा और शिवहर जिले ज्यादा प्रभावित हुए हैं। मुजफ्फरपुर, शिवहर और सीतामढ़ी में बागमती तो दरभंगा में कमला बालान, बेतिया में गंडक तो मोतिहारी में लाल बकैया नदी ने कोहराम मचाया है। कुछ जगहों पर मुख्य सड़क पर पानी चढ़ गया है। कई गांवों का संपर्क जिला और प्रखंड मुख्यालयों से कट गया है।
सीतामढ़ी जिले में बागमती नदी उफना गई है। जलस्तर खतरे का निशान पार कर गया है। बागमती का पानी बेलसंड प्रखंड के दरियापुर गांव में घुस गया है, वहीं लखनदेई का पानी सोनवर्षा के भासर गांव में घुस गया है। ढेंग, डुब्बा घाट कटौझा में भी बागमती का जलस्तर खतरे का निशान पार कर गया है, जिससे लोगों की चिंता बढ़ी हुई है।
मुजफ्फरपुर जिला के निचले इलाकों में बसे कई गांवों में पानी प्रवेश कर गया है। बड़ा बुजुर्ग, मछुआरा, राघोपुर, चैनपुर, तरबन्ना आदि गांवों में पानी घुस गया है। लोग बांध आदि ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं। जलस्तर बढ़ता जा रहा है, इसे देख अन्य निचले इलाकों के लोग भी घबराए हुए हैं।
गंडक बराज से 2.51 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से बूढ़ी गंडक और लाल बकैया दोनों उफना गईं हैं। पताही से शिवहर जानेवाली मुख्य सड़क पर बाढ़ का पानी चढ़ गया है, जिससे आवागमन ठप्प हो गया है।
बेतिया के बाल्मीकिनगर के कई इलाकों में पानी घुस गया है। बिनटोली, झंडाहवा टोली, पिपरासी, मदरहवा, कांटी टोला आदि गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। लोग बांध और NH पर शरण ले रहे हैं।
शिवहर जिला में बागमती नदी का जलस्तर खतरे का निशान पार कर गया है। जिले के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी तेजी से प्रवेश कर रहा है। कई स्थानों पर कटाव भी हो रहा है।
गोपालगंज जिला में भी 2-3 स्थानों पर गंडक नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। 10 और 11 जुलाई को गंडक बराज से पानी छोड़े जाने से सदर प्रखंड के निचले इलाकों के कुछ गांवों में पानी घुस गया है। लोगों को एलर्ट कर दिया गया है।
बिहार और बाढ़ का काफी पुराना नाता है। अमूमन हर वर्ष बाढ़ का प्रकोप हो जाता है। खासकर नेपाल से जुड़े इलाकों और उत्तर बिहार में बाढ़ से काफी नुकसान होता है। इससे लोग भयभीत हो गए हैं। हर बार बाढ़ पूर्व तैयारी सरकारी स्तर पर होती है, पर विभीषिका सामने आने के बाद सब फेल हो जाता है। लिहाजा लोग अभी से बाढ़ को लेकर खुद की तैयारी में जुट गए हैं। निचले स्थानों के लोग सुरक्षित शरणस्थली की खोज कर रहे हैं। अनाज, सत्तू, चूड़ा, गुड़, नमक आदि की व्यवस्था कर रहे हैं। प्लास्टिक, तिरपाल, मोमबत्ती, पशु चारा का भी लोग इंतजाम कर रहे हैं।