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बिहार

पटना में शौचालय की टंकी में उतरे 2 सफाई मजदूरों की मौत, लॉकडाउन के बाद से नहीं खुली थी टंकी

Janjwar Desk
2 July 2020 6:53 AM GMT
पटना में शौचालय की टंकी में उतरे 2 सफाई मजदूरों की मौत, लॉकडाउन के बाद से नहीं खुली थी टंकी
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पटना में यह हादसा हुआ है। बताया जाता है कि फरवरी में शौचालय की टँकी बन गयी थी। लॉकडाउन में शंटरिंग हट नहीं सकी थी ,जिस कारण जहरीली गैस भर गई थी।

जनज्वार ब्यूरो,पटना। पटना में लॉकडाउन के पहले फरवरी महीने में शौचालय बना था। लॉकडाउन में शंटरिंग नहीं खोला जा सका। लंबे समय तक टँकी ढंकी रहने से उसमें जहरीली गैस भर गई। मजदूरों को उसमें उतारने के पहले शंटरिंग हटा कर भी गैस नहीं निकाला गया। 1जुलाई को शंटरिंग खोलने के लिए मजदूर उतरे तो एक-एक कर तीन मजदूर बेहोश हो गए। इलाज के दौरान इनमें से दो मजदूरों की मौत हो गई है।

घटना पटना के बेऊर थाना क्षेत्र के महावीर कालोनी की है। यहां के एक मकान में 1 जुलाई को सैनेट्री टंकी में काम करने के दौरान जहरीले गैस से तीन मजदूर बेहोश हो गये। मजदूरों की बेहोशी के बाद वहां अफरा-तफरी मच गई। आनन-फानन मजदूरों को अस्पताल ले जाया गया। इलाज के दौरान इनमें से दो मजदूरों की मौत हो गयी है, जबकि एक मजदूर का इलाज चल रहा है।

मृतकों में बेऊर के जोड़ा कुआँ निवासी मजदूर विकास कुमार उर्फ विकास गोस्वामी (18 वर्ष) और तेज प्रताप नगर निवासी मजदूर निरंजन (उम्र 35 वर्ष) शामिल है। वहीं बेऊर के ही एक मजदूर छोटू की का इलाज अस्पताल में हो रहा है।

मृतकों के परिजनों को इसकी सूचना मिलते ही उनमें चीत्कार मच गया। 1 जुलाई बुधवार की रात्रि बेऊर निवासी मृतक विकास के परिजन शव को पीएमसीएच से एम्बुलेंस में लेकर बेऊर पहुंचे और प्रशासन से मुआवजा की मांग की जा रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बेऊर के महावीर कालोनी के रोड नंबर 2 सी में एक नवनिर्मित मकान के सैनेटरी टंकी की सेंटरिंग खोलने उतरे तीन मजदूर एक-एक करके बेहोश हो गये। इसके बाद तीनों मजदूरों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। बाद में सूचना मिलने पर मजदूरों के परिजन पहुंचे और अपने स्तर से बेहतर इलाज के लिए बड़े हॉस्पिटल ले गये।

आसपास के लोगों के अनुसार नवनिर्मित टंकी का कार्य फरवरी में ही समाप्त हो गया था, किंतु लाकडाउन में सेंटरिंग नहीं खोला जा सका था, जिससे जहरीली गैस से मजदूर बेहोश हो गये। बेहोश हुए तीनों मजदूरों को इलाज के लिए पहले स्थानीय निजी अस्पताल ले जाया गया।

चूँकि सभी मजदूर स्थानीय इलाके के रहने वाले थे, जिससे उनके परिजन दौड़े-भागे पहुंचे और फिर बेहतर इलाज के लिए अपने स्तर से दूसरे अस्पताल ले गये। इलाज के दौरान बेऊर के जोड़ा कुआं निवासी मजदूर विकास की मौत पीएमसीएच में हो गयी। वहीं तेजप्रताप नगर के निरंजन को एक निजी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गयी। बेऊर निवासी छोटू का इलाज हो रहा है। इधर बेऊर में मजदूरों के शव देर रात पहुंचते ही परिजनों में चीत्कार मच गया। मजदूरों के परिजनों ने प्रशासन से मुआवजे की मांग की है।

इस संबन्ध में डॉक्टरों का कहना है कि टँकी बन्द रहने से उसमें सल्फर डाइऑक्साइड और मिथेन गैस भर गया था। दोनों जहरीले गैस हैं। मजदूर जब घुसे तो ऑक्सीजन की कमी से उनका दम घुटने लगा। ब्रेन और शरीर के अन्य ऑर्गन्स में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो गई। अगर टँकी में घुसने के एक घण्टा पहले ढक्कन हटा दिया जाता तो सँभवतः गैस निकल जाती और हादसा नहीं होता।

मजदूरों के परिजन प्रशासन से मुआवजा की मांग को लेकर काफी देर तक शव को एम्बुलेंस में ही रखकर बेऊर मोड़ पर जमा थे। इसकी सूचना मिलते ही थानेदार ने अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों से सम्पर्क करके मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिलाया है।

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