बाढ़ से राहत के आसार नहीं, गंडक में फिर बढ़ने लगा पानी तो सहमे लोग
पानापुर में बाढ़ के पानी से घिरा गांव। फोटो: जनज्वार
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में नदियों का जलस्तर स्थिर होने के बाद से बाढ़ग्रस्त इलाकों में थोड़ी राहत पहुंची थी, पर अब गंडक के जलस्तर में फिर से वृद्धि होने लगी है। नेपाल के जलग्रहण इलाकों में जलस्तर में वृद्धि के बाद बाल्मीकिनगर बराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे सारण के पानापुर में गंडक नदी के जलस्तर में फिर से 2-3 फिट की वृद्धि हो गई है। इसे देख बाढ़ पीड़ित परेशान हैं।
एक बार फिर से जलस्तर में बृद्धि होने के कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मुश्किलें बढ़ने की संभावना हो गई है। सारण जिला के पानापुर में गंडक नदी के जलस्तर में बृद्धि हो रही है, इससे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो में लोग सहमे हुए हैं।
बताया जा रहा है कि नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र में पानी बढ़ने से गंडक नदी के बाल्मीकि नगर बराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। बुधवार की शाम को गंडक नदी के जलस्तर में डेढ़ से दो फिट की बृद्धि हो गई। इसके बाद गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के फैजुल्लाहपुर गांव के समीप पूर्व से टूटे गंडक नदी के सारण मुख्य तटबंध से पानी बाहर आने लगा।
इससे बाढ़ प्रभावित पानापुर प्रखंड क्षेत्र सेमरी, सेमराहां, मुरलीमठ, बेतौरा, पीपरा बगडीहा, सतजोरा आदि गांवो में पानी का स्तर एक बार फिर से बढ़ने लगा है। इसे देख ग्रामीणों की बेचैनी बढ़ गई है।
ग्रामीणों ने बताया कि एक पखवाड़ा पूर्व आया बाढ़ का पानी कुछ कम हुआ था, जिससे अब धीरे धीरे जन-जीवन सामान्य होने लगा था, लेकिन पानी के दूसरी बार आने से एक बार फिर से मुश्किलें बढ़ गई है। हांलाकि जो लोग घर-बार छोड़े हुए है, उनमें से अधिकांश लोग अभी भी शरणस्थली पर ही शरण लिए हुए हैं। उनको भी उम्मीद थी कि जल्द ही वे लोग अपने घरो में चले जाएंगे, लेकिन बाढ़ के दूसरे अटैक ने उनकी उम्मीदो पर पानी फेर दिया है।
उधर सारण के दरियापुर प्रखण्ड क्षेत्र के दिघवारा-भेल्दी मुख्य पथ पर भगवानपुर स्थित कोल्ड स्टोरेज के समीप बाढ़ का पानी चढ़ गया। अब इस पथ पर कभी भी आवागमन ठप्प हो सकता है। पानी की तेज धारा के कारण सड़क भी क्षतिग्रस्त होने की आशंका है। पानी की रफ्तार इतनी तेज है कि पिछले चौबीस घण्टे में ही विश्वम्भरपुर, खानपुर, फतेहपुर चैन व बेला पंचायत के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। हजारों एकड़ में लगी धान व मकई की फसल बर्बाद हो गयी है, जिससे मवेशियों के लिए चारा की समस्या भी उत्पन्न हो गयी है। हजारों एकड़ में लगी धान और मक्के की फसल बर्बाद हो गयी है, जिससे मवेशियों के लिए चारा की समस्या भी उत्पन्न हो गयी है।