बिलकिस रेप केस : दोषी मितेश ने 2 साल पहले एक महिला का किया था शीलभंग, FIR है दर्ज, फिर भी भगवा सरकार ने बताया 'चरित्रवान'
Bilkis Bano Gang rape case : ये क्या, नैतिकता को भूलने वाले मंत्री सभी को पढ़ा रहे कानून का पाठ, दोषियों की रिहाई को जबरन ठहरा रहे सही, कहां हैं मोरल पुलिसिंग के हिंदूवादी ठेकेदार। अब बोलते क्यों नहीं।
Bilkis Bano Gang rape case : ये तो हद है भाई। कहना नहीं चाहिए, फिर भी लगता तो यही है कि गुजरात में रेपिस्टों की सरकार है। ऐसा, मैं नहीं कह रहा, गुजरात सरकार ( Gujrat Government ) की ओर से सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) में दर्ज हलफनामे से ही इस बात का परत दर परत खुलासा हो रहा है। दरअसल, गुजरात दंगा 2002 ( Gujrat riots 2002 ) के दौरान बिलकिस बानो ( Bilkis Bano Gang rape case ) के 11 दोषियों को 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था। तभी से इस बात लेकर देश-दुनिया में मोदी सरकार ( modi government ) की भी किरकिरी हो रही है। गुजरात सरकार के इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) में तीन याचिकाएं लंबित है। तीनों पर सुनवाई जारी है।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) के आदेश पर दो दिन पहले गुजरात सरकार ने शीर्ष अदालत के सामने बिलकिस बानो रेप केस मामले में एक हलफनामा दायर किया है। गुजरात सरकार के हलफनामे से सबसे पहले इस बात का खुलासा हुआ कि सभी दोषी सजायाफ्ता होते हुए भी रिहा होने से पहले 1000 दिन से ज्यादा समय जेल से बाहर गुजार चुके हैंं। केवल एक दोषी ही 1000 से कम दिनों तक जेल से बाहर रहा।
लाइव लॉ वेबसाइट के मुताबिक एक और चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि बिलकिस ( Bilkis Bano rape case ) के 11 दोषियों में एक मितेश ( Bilkis rapist Mitesh ) जब दो साल पहले पैरोल पर जेल से बाहर आया तो उसने रंधिकपुर में एक महिला का जबरन शीलभंग ( rape ) किया था। मितेश से इस शर्मनाक घटना को जून 2020 में अंजाम दिया था। इस घटना की एफआईआर ( FIR ) रंधिकपुर थाने में दर्ज हुई थी लेकिन किसी को इस बात का पता नहीं चला। लाइव लॉ का दावा है कि गुजरात सरकार के हलफनामे से इस बात का खुलासा हुआ है। ऐसे में सवाल यह है कि गुजरात सरकार ने उसका आचरण ठीक होने का प्रमाण पत्र कैसे दे दिया। उसे जेल से रिहा क्यों किया गया।
ताज्जुब तो यह है कि कुछ रेपिस्ट ने पैरोल पर आने के बाद गवाहों को धमकाया भी था। लाइव लॉ की खबर के मुताबिक दस्तावेजों में यह भी बताया गया है कि चार चश्मदीद गवाहों ने पैरोल पर आए दोषियों के खिलाफ अलग-अलग थानों में शिकायत दर्ज कराई थी।
FIR के बाद भी जेल से बाहर था मितेश
57 साल के मितेश भट्ट ( Rapist Mitesh Bhatt ) पर 19 जून 2020 को रंधिकपुर पुलिस थाने में IPC की धारा 354, 504, 506 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया था। मितेश को 25 मई 2020 तक 954 दिनों की पैरोल, फरलो लीव्स मिल चुकी थीं। 2020 में एफआईआर दर्ज होने के बाद भी वह 281 दिनों तक जेल से बाहर था। जिला पुलिस अधीक्षक दाहोद को इसकी सूचना तब दी गई जब गुजरात सरकार बिलकिस बानो मामले में 14 साल की कैद के बाद मितेश चिमनलाल भट्ट सहित सभी दोषियों को रिहा करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही थी।