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BJP सरकार का 9 साल बेमिसाल का दावा झूठा : खिरिया बाग, अंडिका बाग से लेकर दिल्ली तक किसान, मजदूर, पहलवान धरने पर बैठने को मजबूर

Janjwar Desk
27 May 2023 7:20 PM IST
BJP सरकार का 9 साल बेमिसाल का दावा झूठा : खिरिया बाग, अंडिका बाग से लेकर दिल्ली तक किसान, मजदूर, पहलवान धरने पर बैठने को मजबूर
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file photo

एयरपोर्ट के नाम पर किसानों की जमीन छीनकर उन्हें जबरन मजदूरी की तरफ धकेलने की साजिश में सरकार, आजमगढ़ किसान मजदूर आंदोलन ने 28 मई को दिल्ली में नई संसद भवन के सामने आयोजित होने वाली महिला सम्मान पंचायत का किया समर्थन....

आजमगढ़ 27 मई 2023. जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय (एनपीएम) और पूर्वांचल किसान यूनियन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान कि हर मंडल में एयरपोर्ट होगा की आलोचना करते हुए कहा कि योगी को किसानों मजदूरों की चिंता नहीं है, उनकी चिंता यह है कि कैसे किसानों की जमीन अधिग्रहण करके पूंजीपतियों के हवाले की जाए. आजमगढ़ किसान मजदूर आंदोलन ने 28 मई को दिल्ली में नई संसद भवन के सामने आयोजित होने वाली महिला सम्मान पंचायत का समर्थन किया. अंडिका बाग में 67 वें दिन किसानों, मजदूरों का धरना जारी रहा.

एनएपीएम के राष्ट्रीय समन्वयक किसान नेता राजीव यादव और पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव ने कहा कि आजमगढ़ के खिरिया बाग में 8 महीने से धरने पर बैठे किसान मजदूर यह जानते हैं कि उनकी जमीन जबरन छीनकर उनको जबरन बधुआ मजदूरी में झोंक दिया जाएगा.

आज उनकी बातों को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन भी कह रहे हैं. एयरपोर्ट बनाने की होड़ दरअसल जमीन की लूट है. कृषि को ताक पर रखकर उद्योग के नाम पर रोजगार का झुनझुना बजाने वाली सरकार बताए कि रिक्त पदों पर भर्तियां क्यों नहीं हुईं. भाजपा सरकार के 9 साल बेमिसाल के दावे को झूठा और बेबुनियाद बताते हुए कहा कि किसान की आय दोगनी नहीं हुई लेकिन खाद, बिजली, बीज को दोगुना महंगा करके आज किसानों का बुरा हाल कर दिया गया है.

किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि प्रदेश के हर मंडल में एक एयरपोर्ट होगा, क्या उन्हें मालूम है प्रदेश की किसान मजदूर जनता की बदहाली. शिक्षा, चिकित्सा की जरूरत है. कैंसर जैसी बीमारी महामारी की तरह फैल गई हैं. एयरपोर्ट के नाम पर किसानों की जमीनों को कब्जा करके पूजीपतियों के हवाले करने की साजिश की जा रही है. रेल, सड़क परिवहन, हवाई परिवहन निजी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है तो सरकार बताए कि किसके लिए जमीन ले रही है.

एयरपोर्ट या उद्योगों के नाम पर कृषि भूमि से समझौता नहीं किया जा सकता है. कृषि आज भी देश में सबसे ज्यादा रोजगार देती है. यह कितना शर्मनाक है कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन कह रहे हैं कि भारत में 1.1 करोड़ लोग आधुनिक दासता के शिकार हैं.

दुनिया के 20 सबसे धनी देशों में बढ़ रही आधुनिक दासता पर ऑस्ट्रेलिया स्थित एक अधिकार समूह वाक फ्री फाउंडेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि जी-20 देशों के 6 सदस्यों में आधुनिक दासता, जबरन श्रम अथवा जबरन विवाह में रहने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है. सबसे डरावना हमारे देश के लिए है कि सूची में भारत शीर्ष पर है. जबरन मजदूरी को लेकर जो आंकड़ा आया है उसके ज्यादातर मजदूर पूर्वांचल और बिहार के ही होंगे.

विकास की बात करने वाले योगी बताएं कि पूर्वांचल विकास निधि, पूर्वांचल विकास आयोग, माइग्रेशन कमीशन, कामगार आयोग कहां हैं. यह कितना शर्मनाक है कि एयरपोर्ट के हवाई दावे किए जा रहे हैं और जमीन पर जबरन मजदूरी करवाई जा रही है.

खिरिया बाग में पिछले 8 महीने से अधिक समय से चल रहे आंदोलन ने साफ कर दिया है कि कृषि भूमि से कोई समझौता नहीं होगा और किसी भी कीमत पर अपना जमीन मकान नहीं देंगे. खिरिया बाग और अंडिका बाग के किसान मजदूर जानते हैं कि एयरपोर्ट और औद्योगिक क्षेत्रों, पार्कों के नाम पर उनकी जमीन छीनकर उन्हें जबरन मजदूरी की तरफ धकेल दिया जाएगा. इसीलिए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के नाम पर जिन किसानों ने जमीन दे दी थी आज एक इंच भी जमीन नहीं देने के संकल्प के साथ पिछले 2 महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं.

पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव ने कहा कि सरकार का 9 साल बेमिसाल का दावा झूठा और बेबुनियाद है. सरकार कहती है कि 2014 की तुलना में 2023 में सभी फसलों का समर्थन मूल्य दोगुना हो गया है जबकि सच्चाई है कि धान का समर्थन मूल्य 1360 रुपए था अब 2140 रुपए है. गेहूं का 1400 रुपए था अब 2125 रुपए. कहां दोगुना हुआ, सच्चाई तो यह है कि खुले बाजार में पहले 900 रुपए में प्रति कुंटल धान बेचा जाता था अब 1200 रुपए में. 325 रुपए प्रति कुंटल गन्ना था आज 350 रुपए हो गया. सरकार ने किसान आंदोलन की मांग मान ली होती और एमएसपी की कानूनी गारंटी दे देती तो किसानों को अपनी उपज औने पौने दाम में नहीं बेचनी पड़ती.

खाद की कीमत पर सरकार कहती है कि स्थिर है जबकि सच्चाई है कि जो डीएपी 900 रुपए की थी आज 1400 रुपए से ज्यादा है. घास नष्ट करने की जो दवा 400 रुपए की थी वह 800 रुपए में बिक रही है. किसानों के नलकूपों पर बिजली विभाग मीटर लगा रहा है और सरकार कह रही है कि बिजली फ्री में दे रही है.

सरकार ने किसानों की आय दोगुनी नहीं की बल्कि खेती किसानी से जुड़े डीजल, बीज से लेकर सबका दाम दोगुना कर दिया. मसूरी धान का बीज 30 रुपए किलो था आज 100 रुपए किलो हो गया. डीजल 50 रुपए के करीब था आज 90 रुपए हो गया. महंगाई की वजह से खेतों की जुताई महंगी हो गई. गेहूं, धान कटाई के हार्वेस्टर 1000 रुपए प्रति बीघा लेते थे, आज 2200 रुपए प्रति बीघा लगने लगा. ट्रैक्टर मालिक जो जुताई ढाई सौ रुपए में प्रति बीघा करते थे आज पांच सौ रुपए में करते हैं, जिनके पास ट्रैक्टर नहीं है उन्हें अट्ठारह सौ से दो हजार रुपए देने पड़ते हैं.

सरकार दावा कर रही है कि 6000 रुपए मिलने से बीज खरीदने के लिए कर्ज नहीं लेना पड़ता. सच्चाई यह है कि जितना पैसा सरकार दे रही है उससे ज्यादा कई गुना महंगाई बढ़ा दे रही है. एक हाथ से दे रही है और दूसरे हाथ से 10 गुना ले रही है. ठीक यही पांच किलो मुफ्त राशन योजना का भी है. खेती, बागवानी सिर्फ कागजों में है. पशु पालने वालों को किसान क्रेडिट कार्ड देने की बात थी जिस पर एक लाख 60 हजार रुपए तक देने की बात थी. लेकिन इस योजना का पता नहीं है. जो फसल बीमा कराई जाती है उसका कोई कागज किसान को नहीं दिया जाता है. नुकसान होने पर किसान कहां जाएगा.

किसान नेताओं ने कहा कि 9 साल बेमिसाल जो सरकार कह रही है उसमें यह भी देखे कि इस 9 साल में 13 महीने किसान को दिल्ली के चारो तरफ धरने पर बैठना पड़ा. बेमिसाल यही है कि सबसे गरीब पूर्वांचल के किसानों मजदूरों को खिरिया बाग में 8 महीने और अंडीका बाग में 2 महीने से अधिक समय से अपनी जमीन बचाने के लिए धरने पर बैठना पड़ रहा है.

दिल्ली में किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की शहादत हुई, तब जाकर काले कृषि कानूनों को रद्द किया गया. किसान आंदोलन के साथ जो समझौता हुआ, लागू नहीं किया गया. एमएसपी की गारंटी क्यों नहीं दी गई. किसानों की आय दोगुनी सिर्फ कागजों में है. असल में आय तो अडानी अंबानी की बढ़ाई.

धरने में पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव, मेवाती, सुनील पंडित, चमेला, कौशल्या, हरिलाल, विद्या, बिजुला आदि थे.

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