Drugs Case : बाम्बे हाईकोर्ट ने पहली नजर में नवाब मलिक के आरोपों को सही बताया, नपेंगे वानखेड़े?
(बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश ने बढ़ाई वानखेड़े की मुश्किलें)
Drugs Case : एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े को बॉम्बे हाई कोर्ट से निराशा हाथ लगी है। कोर्ट ने उनकी उस मांग को ठुकरा दिया है जिसमें नवाब मलिक को उनके परिवार के खिलाफ बोलने से रोकने की मांग की गई थी। हालांकि, कोर्ट ने मलिक को तथ्यों की जांच करने के बाद ही कोई आरोप लगाने की हिदायत दी है।
Satyamev Jayate
— Nawab Malik نواب ملک नवाब मलिक (@nawabmalikncp) November 22, 2021
The fight against wrongdoings will continue...
नवाब मलिक ने बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद ख़ुशी जाहिर की है। मलिक ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से इस फैसले के बाद एक ट्वीट करते हुए कहा कि, 'सत्यमेव जयते, अन्याय के खिलाफ हमारी जंग जारी रहेगी'
मलिक को बोलने का अधिकार
सोमवार 22 नवंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने ज्ञानदेव वानखेड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि समीर वानखेड़े एक सरकारी अधिकारी हैं और इसलिए उनके काम पर नवाब मलिक को टिप्पणी करने से नहीं रोका जा सकता। हाई कोर्ट के जस्टिस माधव जामदार ने कहा कि, 'वानखेड़े एक सरकारी अधिकारी हैं। मलिक द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोप NCB के जोनल डायरेक्टर के सार्वजनिक कर्तव्यों से संबंधित गतिविधियों से जुड़े हैं, इसलिए मंत्री को उनके खिलाफ कोई भी बयान देने से पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।'
आरोप नहीं लगते गलत
इस दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि समीर वानखेड़े ने खिलाफ मलिक द्वारा लगाए गए आरोप गलत नहीं लगते। लेकिन वानखेड़े की निजता के अधिकार और मलिक के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को भी संतुलित करना आवश्यक है। इसलिए, नवाब मलिक को बोलने से पहले तथ्यों का वेरिफिकेशन करना चाहिए।
नवाब मलिक के दामाद को 13 जनवरी, 2021 को NDPS मामले में एनसीबी ने गिरफ्तार किया था और उन्हें 27 सितम्बर, 2021 को जमानत मिल गई। जबकि नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ 14 अक्टूबर, 2021 से प्रेस कांफ्रेंस और ट्विटर आदि के जरिये आरोप लगाने शुरू किए। ऐसे में जाहिर है कि ये आरोप द्वेष और व्यक्तिगत दुर्भावना से प्रेरित हैं।
लेकिन प्रथम दृष्टया ये कहना सही नहीं होगा कि जो आरोप मलिक ने लगाए हैं, वो पूरी तरह से गलत हैं। हालांकि किसी भी अधिकारी के बारे में बयान देने से पहले हर पहलू की जांच की जानी चाहिए। नवाब मलिक पोस्ट कर सकते हैं, लेकिन पूरी तरह से वेरीफाई करने के बाद ही कुछ भी पोस्ट करें।'
मलिक के वकील ने कोर्ट में दी ये दलील
नवाब मलिक के वकील अतुल दामले ने कोर्ट में कहा कि नवाब मालिक ने ट्वीट और प्रेस कॉन्फ्रेंस, दो अहम बातों के बारे में लोगों को जागरूक करने के मकसद से किए थे। पहले ये कि समीर वानखेड़े जन्म से मुस्लिम हैं और उन्होंने सरकारी नौकरी यह बोलकर हासिल की है कि वह अनुसूचित जाति से आते हैं। दूसरा यह कि इस बात के सबूत हैं कि समीर वानखेड़े ने NCB में चल रहे कई मामलों में रिश्वत ली है।