'बिहार में का बा' फेम भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर पर मुकदमा दर्ज
जनज्वार। 'बिहार में का बा' फेम गायिका नेहा सिंह राठौड़ कानूनी पचड़े में उलझ गईं हैं। उनके गाए एक गाने को लेकर उत्तरप्रदेश के जौनपुर की अदालत में मुकदमा दायर किया गया है। जौनपुर के बीएड कॉलेजों पर गाए गए एक गाने को लेकर यह मुकदमा दायर किया गया है।
'चल देखि आईं जौनपुर के बीएड कॉलेज' बोल वाले गाने को लेकर यह केस दायर हुआ है। इस गाने को आपत्तिजनक होने का आरोप लगाया गया है। बिहार की चर्चित भोजपुरी गायिका नेहा सिंह के खिलाफ मंगलवार को जौनपुर एसीजेएम चतुर्थ की कोर्ट में यह मुकदमा दायर किया गया है।
इससे पहले अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव एवं उपेंद्र विक्रम सिंह द्वारा लीगल नोटिस जारी कर लिखित मांफी के लिए कहा गया था। गायिका की ओर से जवाब न मिलने पर वादी बरसठी के पुरेसवा निवासी रवि प्रकाश पाल की ओर से मुकदमा दायर किया गया है। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 20 फरवरी की तारीख दी है।
'बिहार में का बा' सीरीज के गाने गाकर नेहा सिंह राठौर लॉकडाउन के दौरान सुर्खियों में आ गई थीं। विधानसभा चुनाव के पहले भी अपनी कई गानों को लेकर उन्होंने सुर्खियां बटोरी थीं।
लोगों के बीच उनकी क्षवि आम लोगों की आवाज उठाने वाली गायिका की बन गई थी। खासकर सोशल मीडिया पर वे काफी चर्चित हैं तथा फेसबुक और यूट्यूब जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर उनके लाखों फॉलोवर और प्रशंसक बन चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर की मीडिया में भी उन्हें खूब कवरेज मिल रहा है।
नेहा सिंह राठौर के खिलाफ दायर किए गए मुकदमे में यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने इस गाने में आपत्तिजनक शब्दों और भाव भंगिमाओं का इस्तेमाल किया और सोशल मीडिया पर उसे प्रमोट किया। मुकदमे में यह भी आरोप लगाया गया है कि गाने में जौनपुर से बीएड करने वाली महिलाओं के बारे में अपमानजनक के शब्द कहे गए हैं और इससे महिलाओं की गरिमा को नुकसान पहुंचा है।
कोर्ट से यह आग्रह किया गया है कि वह इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने की मंजूरी दे। हालांकि गायिका नेहा सिंह राठौर को लेकर उठे विवाद का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय को लेकर उनके गाए हुए एक गाने के बाद वहां के छात्रों ने उनके ऊपर कुछ इसी तरह का आरोप लगाया था।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र छात्राओं ने उनके ट्विटर और फेसबुक अकाउंट को रिपोर्ट भी किया था। तब नेहा ने ट्विटर के जरिए सफाई दी थी और कहा था कि गाने को लेकर इतना भावुक होने की आवश्यकता नहीं है। जो लोग इलाहाबाद विश्वविद्यालय की संस्कृति को अपमानित करने का आरोप लगा रहे हैं उन्हें समझना चाहिए कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय को ऑक्सफोर्ड कहा जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है।