Mi-17V5 Helicopter Crash : हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जान गंवाने वाले के देश के पहले रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत ( CDS General Bipin Rawat ) क्रैश के बाद भी जिंदा थे। हादसे के बाद Mi-17V5 के मलबे से निकाले जाने पर उन्होंने हिंदी में अपना नाम भी बताया था। यह जानकारी बचाव दल के एक सदस्य ने दी। जनरल रावत के साथ एक अन्य सवार को भी जिंदा निकाला गया जिनकी पहचान ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के रूप में हुई। ग्रुप कैप्टन हादसे में जिंदा बचे एकमात्र व्यक्ति हैं।
सीरियर फायरमैन को बिना पूछे बताया अपना नाम
दुर्घटना के बाद घटना स्थल पर पहुंचे वरिष्ठ फायरमैन और बचावकर्मी एनसी मुरली ने बताया कि हमने दो लोगों को जिंदा बचाया। इनमें से एक सीडीएस रावत थे। मुरली ने बताया कि जैसे ही हमने उन्हें बाहर निकाला, उन्होंने रक्षा कर्मियों से हिंदी में धीमे स्वर में बात की और अपना नाम बिपिन रावत बोला। अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई। मुरली के मुताबिक वो तुरंत दूसरे व्यक्ति की पहचान नहीं कर सके जिसे अस्पताल ले जाया गया और उसका अभी इलाज चल रहा है।
पास के घरों से पानी लाकर बुझाया आग
फायरमैन मुरली ने बताया कि जनरल बिपिन रावत ने बताया कि उनके शरीर के निचले हिस्से में गंभीर चोटें आई हैं। इसके बाद उन्हें चादर में लपेट कर एम्बुलेंस में ले जाया गया। बचाव दल को इस इलाके को बचाव कार्यों में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आग बुझाने के लिए दमकल वाहन को ले जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था। मुरली ने कहा कि हमें पास की नदी और घरों से बर्तनों में पानी लाना पड़ता था। ऑपरेशन इतना कठिन था क्योंकि हमें लोगों को बचाने या शवों को निकालने के लिए हेलिकॉप्टर के नुकीले टुकड़ों को अलग करना पड़ा।
टूटा पेड़ बना बचाव कार्य में सबसे बड़ी बाधा
मुरली ने बताया कि बचाव कार्य में एक उखड़ा हुआ पेड़ बाधा बन गया। इसे काटना पड़ा। इस सबने हमारे बचाव कार्य में देरी की। उन्होंने बताया कि हमने 12 शव बरामद किए। दो लोगों को जिंदा निकाल लिया गया, दोनों गंभीर रूप से झुलस गए थे। बाद में भारतीय वायुसेना के जवान आधे रास्ते में बचाव अभियान में शामिल हो गए। वे टीम को हेलिकॉप्टर के क्षतिग्रस्त हिस्सों में ले गए। सीनियर फायरमैन ने कहा कि मलबे के बीच हथियार पड़े थे। इसलिए हमें सावधानी से ऑपरेशन करना पड़ा।