CG NAN scam : दोनों पक्ष सील कवर लिफाफे में दाखिल करें दस्तावेज, हम तय करेंगे 36000 करोड़ के घोटाले में सुनवाई हो या नहीं - SC

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Chhattisgarh NAN scam 2015 : सात साल पहले छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम घोटाला ( Chhattisgarh PDS Scam ) मामले में प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) द्वारा सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) का दरवाजा खटखटाने के बाद से नया मोड़ आ गया है। ईडी ने एनएएन घोटाले ( CG NAN Scam ) को लेकर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आरोपियों को संवैधानिक पदों पर बैठे लोग बचाने की कोशिश कर रहे हैं। ईडी के दावे पर सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पहले दोनों पक्ष सील कवर लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल करें। हम तय करेंगे कि दस्तावेजों के आधार पर इस मामले में आगे सुनवाई हो या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के इस रुख के बाद ईडी के स्टैंड का विरोध करने वाली छत्तीसगढ़ सरकार भी अब सील कवर दस्तावेज मुहैया कराने के लिए राजी हो गई है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को 22 सितंबर को लिखित दलीलें देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट 26 सितंबर को तय करेगा कि सील कवर के दस्तावेजों पर सुनवाई की जाए या नहीं।
हाईकोर्ट में संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति कर रहे हैं आरोपी की मदद
ईडी ( ED ) की ओर से सॉलिसिटटर जनरल तुषार मेहता ने कहा मैंने सीलबंद लिफाफे में सामग्री दी है। इसमें हाईकोर्ट के जज आरोपी से बात कर रहे हैं। क्या यह अदालत चाहती है कि यह सबके सामने आए। हमें कोई परेशानी नहीं है। इस मामले में 70 गवाह मुकर चुके हैं। साल भर से बार-बार आग्रह कर चुके हैं लेकिन हमारी याचिका पर सुनवाई नहीं की गई। ताजा घटनाक्रम में ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई यूयू ललित से कहा कि जांच से पता चला है कि हाईकोर्ट का एक न्यायाधीश संवैधानिक पदाधिकारियों के संपर्क में था जो आरोपियों की मदद कर रहे थे।
कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं
आरोपी की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा क्यों नहीं, कोई जज कानून से ऊपर नहीं है। वहीं राज्य सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा फिर हम भी सील कवर में कुछ सामग्री दाखिल करेंगे। हम इस मामले में और दस्तावेज देंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी और कपिल सिब्बल ने मामले में प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व किया। प्रतिवादी के एक वकील ने तर्क दिया कि यह घोटाला छत्तीसगढ़ में भाजपा के शासन के दौरान हुआ था। मेहता ने कहा कि अन्य सह-आरोपियों के अनुसूचित अपराधों की गंभीरता को कम करने का प्रयास किया गया था और आरोपी ने गवाह को ईडी के समक्ष दिए गए बयानों को वापस लेने के लिए भी प्रभावित किया।
हमने खुलासा कर दिया तो लोगों का सिस्टम से भरोसा उठ जाएगा
उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप चैट ने आरोपी आईएएस अधिकारियों और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के बीच संलिप्तता का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि मेरे पास व्हाट्सएप चैट हैं। हमने नामों का खुलासा नहीं किया है। ताकि सिस्टम से लोगों का विश्वास न डगमगाए। क्या हमें संवैधानिक पदाधिकारी के संपर्क में व्यक्ति का खुलासा करना चाहिए। इस पर रोहतगी ने जवाब दिया तो क्या जज कानून से ऊपर हैं? छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम घोटाला मामले में एसजी ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी और मामले को छत्तीसगढ़ से बाहर ट्रांसफर करने की भी मांग की थी। यह मामला आरोपी अफसरों डॉ आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा की अग्रिम जमानत रद्द करने से जुड़ा है। एनएएन घोटाले के दोनों आरोपियों डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को ईडी रिमांड पर लेकर पूछताछ करना चाहती है।
EOW की जांच में हुआ था 36000 करोड़ के घोटाले का खुलासा
Chhattisgarh NAN scam 2015 : साल 2015 में छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली में 36000 करोड़ रुपए का कथित घोटाला सामने आया था। इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्लू ( EOW and ACB ) और एंटी करप्शन ब्यूरो ने 12 फरवरी 2015 को नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था। इस कार्रवाई में करोड़ों रुपए बरामद किए गए थे। इसके अलावा भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, हार्ड डिस्क और डायरी जब्त हुई थी। छत्तीसगढ़ पीडीएस घोटाले में आरोपी बनाए गए लोगों में खाद्य विभाग के तत्कालीन सचिव डॉ. आलोक शुक्ला और नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक अनिल टुटेजा भी हैं। ईओडब्लू ने 15 जुलाई 2015 को चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें नागरिक आपूर्ति निगम के तीन अफसरों गिरीश शर्मा, अरविंद ध्रुव और जीत राम यादव को मुख्य गवाह बनाया गया था। इन तीनों अफसरों ने अपने बयान में कहा था कि उन्हें घूस की रकम में हिस्सा मिलता था।
वहीं ईडी ( ED Chhattisgarh PDS Scam ) ने घोटाले के सिलसिले में दो आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। ईडी ने छत्तीसगढ़ से मुकदमे को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है। ईडी ( ED ) ने आरोप लगाया है कि एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी आरोपी के खिलाफ विधेय अपराध को कमजोर करने का प्रयास हो रहा है।










