Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

Chhattisgarh News : दवा कारोबारी के पूरे परिवार ने लिया संन्यास, 30 करोड़ की संपत्ति दान कर जैन बगीचे में ली दीक्षा

Janjwar Desk
28 Jan 2022 9:49 AM GMT
Chhattisgarh News : दवा कारोबारी के पूरे परिवार ने लिया संन्यास, 30 करोड़ की संपत्ति दान कर जैन बगीचे में ली दीक्षा
x

 दवा कारोबारी के पूरे परिवार ने लिया संन्यास

Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ में दवा का कारोबार करने वाला डाकलिया परिवार ने 30 करोड़ की संपत्ति दान कर दी है और जैन धर्म के संस्कारों के तहत दीक्षा ले ली है, यह परिवार अब अपनी आराम की जिंदगी को त्याग कर संयम के कठिन रास्ते पर निकल पड़ा है...

Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ में दवा का कारोबार करने वाला डाकलिया परिवार ने 30 करोड़ की संपत्ति दान कर दी है और जैन धर्म के संस्कारों के तहत दीक्षा ले ली है। बता दें कि यह परिवार अब अपनी आराम की जिंदगी को त्याग कर संयम के कठिन रास्ते पर निकल पड़ा है। बीते गुरुवार 27 जनवरी को जैन बगीचे में परिवार के मुखिया मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया समेत परिवार के 5 लोगों को भगवती दीक्षा दिलाई गई थी।

ऐसे आया संन्यासी बनने का ख्याल

'जनसत्ता' में छपी खबर के अनुसार परिवार के मुखिया मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया ने कहा कि उनके करोड़ों की प्रॉपर्टी में जमीन, दुकान से लेकर अन्य संपत्तियां शामिल है। साथ ही उन्होंने बताया है कि जब वह साल 2011 में रायपुर में स्थित कैवल्यधाम गए थे तो वहां जाने के बाद से ही उनके मन में सन्यास लेने का ख्याल आया। इसके बाद 9 नवंबर 2021 को उनके परिवार ने आराम युक्त जीवन छोड़कर दीक्षा लेने का अंतिम फैसला किया।

बच्चों के मन में आया दीक्षा लेने का भाव

बता दें कि इस मामले में जैन धर्म के लोगों का कहना है कि ऐसा खतरगच्छ पंथ में पहली बार हुआ है कि जब पूरे परिवार ने एक साथ दीक्षा ग्रहण की है। उधर मुमुक्षु भूपेंद्र का कहना है कि 'कैवल्यधाम जाने के दौरान हमारे सबसे छोटे बच्चे हर्षित के मन में इस दीक्षा को लेने का भाव आया था। उस वक्त हर्षित की उम्र 6 साल की थी।'

इसके साथ ही मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया ने बताया कि 'हर्षित ने हंसते-हंसते गुरु के सानिध्य में अपना केश लोचन कराया था। यहीं से चारों बच्चों के मन में दीक्षा का भाव पैदा हुआ था। कैवल्यधाम से लौटने के बाद बच्चों ने दीक्षा लेने की बात कही लेकिन कम उम्र होने के चलते उस वक्त शिक्षा नहीं ली थी। अब 10 साल बाद भी उनके मन में दीक्षा का भाव बना हुआ देख मैंने उनके फैसले पर सहमति दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दीक्षा संस्कार के बाद परिवार के सभी मुमुक्षु हो को अलग कर दिया गया।

पूरे परिवार ने ली दीक्षा

जनसत्ता में प्रकाशित खबर के अनुसार छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के गांधी चौक में रहने वाले 47 वर्षीय मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया के परिवार में दीक्षा ली है। दीक्षा लेने वालों में उनकी 45 साल की पत्नी सपना डाकलिया और उनके चार बच्चे शामिल हैं। उनके 4 बच्चों में 22 वर्षीय महिमा डाकलिया, 16 साल के हर्षित डाकलिया, 18 वर्षीय देवेंद्र डाकलिया शामिल हैं। हालांकि 20 वर्षीय मुमुक्षु मुक्ता डाकलिया ने इन लोगों के साथ स्वास्थ्य कारणों से दीक्षा नहीं ली है। मुमुक्षु मुक्ता डाकलिया की दीक्षा अब फरवरी में होगी।

Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध