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राष्ट्रीय

Chief Justice of India News : कुछ जिला अदालत ऐसे जहां महिला अधिवक्ताओं को भी प्रवेश करने में लगता है डर, महिला मुवक्किलों की बात ही छोड़िए- CJI एनवी रमना

Janjwar Desk
30 April 2022 1:30 PM IST
CJI on Judiciary : न्यायपालिका पर पेंडिंग केसों का बोझ, कोर्ट जाते समय लोगों के मन में शंका रहती है कि जाने कब न्याय मिलेगा : चीफ जस्टिस
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CJI on Judiciary : न्यायपालिका पर पेंडिंग केसों का बोझ, कोर्ट जाते समय लोगों के मन में शंका रहती है कि जाने कब न्याय मिलेगा : चीफ जस्टिस

Chief Justice of India News : कोर्ट न्याय के मंदिर हैं उनकी आस्था और गरिमा बरकरार रहनी चाहिए : CJI NV Ramana

Chief Justice News : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) ने कहा है कि न्यायालय (Courts) न्याय के मंदिर (Temples of Justice) हैं ऐसे में हमें इनकी आभा (Aura) और ​गरिमा (Dignity) का ख्याल रखना चाहिए। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि हमारे देश में कुछ जिला अदालतों का माहौल ऐसा है कि वहां महिला अधिवक्ताओं (Lady Advocates) को भी अदालत कक्ष में प्रवेश करने में डर लगता है, महिला मुवक्किलों की तो बात ही छोड़िए। चीफ जस्टिस (Chief Justice) शनिवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधिशों के 11 वें संयुक्त कांफ्रेंस (Joint Conference of the Chief Ministers and Chief Justices) के उद्घाटन (inauguration) के दौरान बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में न्यायपालिका में बुनियादी ढांचे और लोगों की अनुमानित न्याय जरूरतों के बीच एक गंभीर अंतर है। उन्होेंने कहा कि न्यायिक बुनियादी ढांचे के मानकीकरण और सुधार के लिए मैं स्पेशल पर्पस वीकल के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं, इसके तहत एनएएलएसए और एसएलएसए की तर्ज पर राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण और राज्य न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण बनाए जाएंगे।

इस संबंध में बोलते हुए उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इस रास्ते में पैसा कोई मुद्दा नहीं है केंद्र सरकार सरकार की ओर से इस उद्देश्य के लिए इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उचित बजटीय आवंटन की जा रही है।

सीजेआई ने कहा है कि 1993-94 में योजना की शुरुआत के बाद से अब तक के आंकड़े बताते हैं कि प्रक्रियात्मक कठिनाइयों के कारण आवंटित धन का उपयोग नहीं किया जा सका है। पर अब वर्तमान तदर्थ समितियों को अधिक सुव्यवस्थित और जवाबदेह बनाने के साथ-साथ संगठित ढांचे की ओर बढ़ने का समय आ गया है।

इस विषय पर बोलते हुए सीजेआई एनवी रमना ने यह भी कहा कि मैं इस प्रस्ताव पर कुछ वर्गों की आशंकाओं को दूर करना चाहता हूं। प्रस्तावित प्राधिकरणों का उद्देश्य किसी भी सरकार की शक्तियों को हड़पना नहीं है। प्रस्तावित प्राधिकरणों में सभी हितधारकों का प्रतिनिधित्व होगा। हालांकि यहां उन्होंने यह भी कहा कि यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि यह न्यायपालिका है जो अपनी आवश्यकताओं सबसे अच्छी तरह समझती है।

इस दौरान मुख्य न्यायधीश ने यह भी कहा कि वर्तमान प्रस्ताव का उद्देश्य संबंधित मुख्य न्यायाधीशों की अध्यक्षता में स्पेशल पर्पस वेकल की देखरेख में बुनियादी ढांचे के विकास को लाना और केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों को शामिल करना है।


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