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राष्ट्रीय

CJI एनवी रमना का बड़ा बयान - निष्पक्षता की कमी और राजनीतिक जुड़ाव के चलते पुलिस ने खोया लोगों का विश्वास

Janjwar Desk
2 April 2022 5:25 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना पीआईएल को बताया Personal Interest Litigation, क्यों?
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना पीआईएल को बताया 'Personal Interest Litigation', क्यों?

पुलिस को राजनीतिक वर्ग के साथ अपने गठजोड़ को तोड़कर सामाजिक वैधता और जनता के विश्वास को फिर से हासिल करने का प्रयास करना चाहिए।

नई दिल्ली। अपनी कार्यशैली और बयानों के चलते सुर्खियों में रहने वाले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ( CJI NV Ramana ) ने पुलिस को लेकर कई बड़े बयान दे दिए हैं जो देश भर में चर्चा का विषय रहे हैं। ताजा मामले में CJI ने कहा, "निराशा के समय लोग पुलिस (Police) के पास जाने से कतराते हैं क्योंकि निष्पक्षता की कमी और राजनीतिक वर्ग के साथ घनिष्ठ संबंध की वजह से खाकी वर्दी की इमेज काफी डाउन हुई है।"

CJI रमना ने यह भी कहा कि, "कुछ पुलिसवालों की भ्रष्टाचारी और उनकी ज्यादतियों के कारण लोगों में उनको लेकर विश्वास कम हुआ है।" रमना यहीं नहीं रुके उन्होंने यह भी कह दिया कि अक्सर पुलिस अधिकारियों ने शासन परिवर्तन के बाद परेशान किए जाने की शिकायत की है।

चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि पुलिस को राजनीतिक वर्ग के साथ अपने गठजोड़ को तोड़कर सामाजिक वैधता और जनता के विश्वास को फिर से हासिल करने का प्रयास करना चाहिए। पुलिस को नैतिकता और अखंडता के साथ खड़ा होना चाहिए और यह सभी संस्थानों के लिए सही है।

सीजेआई रमना ने अपनी बात रखते हुए यह भी कहा कि लोकतांत्रिक पुलिस व्यवस्था के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। रमना ने कहा, "सरकारी रिपोर्टों ने स्वीकार किया है कि पुलिस को अब बुनियादी ढांचे के संबंध में सुधार की जरूरत है, हमारी जांच एजेंसियां ​​अभी भी एक आम कानून द्वारा निर्देशित नहीं हैं।" रमना ने कहा कि, "संस्थाओं के रूप में हमें अभी भी सामाजिक वैधता हासिल करनी है, पुलिस को अपराध की रोकथाम में काम करना चाहिए और देखना चाहिए कि कानून-व्यवस्था बनी रहे।"

देश की राजधानी नई दिल्ली से आए CJI एनवी रमना ये बयान लगातार सोशल मीडिया पर post किए जा रहे हैं। एक तरफ लोग उनकी निष्पक्षता की जमकर तारीफ कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो CJI एनवी रमना की बात को अस्वीकार कर रहे हैं।

गौरतलब की बात है कि आए दिन ऐसे मामले देखने को मिलते रहते हैं जब पुलिस अपने राजनीतिक संबंधों के चलते FIR नहीं लिखती है और अगर लिखती है तो उन पर कार्रवाई नहीं करती है।

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