CM योगी के गोरखपुर में गोरख धंधा, तिल 200 रुपए किलो लेकिन इसका तेल बिक रहा सिर्फ 90 रुपए लीटर, करोड़ों का बिका नकली तेल
CM योगी के गोरखपुर में गोरख धंधा, तिल 200 रुपए किलो लेकिन इसका तेल बिक रहा सिर्फ 90 रुपए लीटर, करोड़ों का बिका नकली तेल
Gorakhpur News : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर में दीपावली पर नकली तिल के तेल का कारोबार हो रहा है। 200 रुपए किलो बिकने वाले तिल के तेल बाजार में 90 रूपए लीटर में उपलब्ध हैं। धनतेरस से पहले ही करोड़ों रुपए का नकली तिल का तेल बाजारों में बेचा जा चुका है। खास बात यह है कि इस तिल के तेल में तिल का एक दाना भी नहीं पड़ा है।
शहर में तेल बेचने के लिए बनाए गए दो डिपो
यह नकली तेल सिर्फ वाइट ऑयल में रंग मिलाकर बनाया जा रहा है, जो कि एक पेट्रोलियम प्रोडक्ट है। शहर के इलाहीबाग में अपने घर पर जगमग नकली कपूर, मोमबत्ती और नकली तिल का तेल दिन रात बना रहा है। इस नकली तेल की सप्लाई शहर के साहबगंज मंडी से लेकर पूरे गोरखपुर मंडल में हो रही है। शहर में इस बेचने के लिए तो डिपो भी बनाए रही है।
90 रुपए लीटर मिलेगा नकली तिल का तेल
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार नकली तेल का असली गढ़ शहर का इलाहीबाग इलाका है। इलाही बाग चौराहे से करीब 200 मीटर की दूरी पर स्थित एक घर के अंदर कुछ लोग काम करते हैं। दैनिक भास्कर की पड़ताल के अनुसार इनके द्वारा खुद को महाराजगंज का व्यापारी बताते हुए तिल के तेल की डिमांड की गई तो कहा गया कि यहां से माल नहीं मिलेगा। सभी माल बिक चुके हैं। अगर चाहिए तो साहिबगंज मंडी जाना होगा लेकिन 100 से अधिक गत्ता तेल की डिमांड करने पर घर के अंदर से ही कहा गया कि यहां तेल मिल जाएगा लेकिन 2 से 3 दिनों का समय लगेगा। माल तैयार हो रहा है। जिनका पहले से आर्डर है, पहले उन्हें माल दिया जाएगा। तेल की कीमतों पर कहा गया कि सिर्फ 1 लीटर का बोतल ही मिल पाएगा। इससे छोटे माल नहीं मिल पाएंगे। 1 लीटर की पैकिंग में नकली तिल का तेल 90 रुपए लीटर पड़ेगा जो कि बाहर मार्केट में आराम से 150 रुपए लीटर तक बिक जाएगा।
वाइट ऑयल मिलकर बनाते हैं नकली तिल का तेल
दैनिक भास्कर के अनुसार यहां एक कारखाने में नकली तेल बनाने का कारोबार चल रहा है। कुछ लोग बैठकर बोतलों में तेल की पैकेजिंग करते हैं। कारखाने में काम कर रहे लड़कों ने बताया कि वाइट ऑयल आता है, जिसमें रंग मिलाकर उसे अच्छी तरह से पीटना पड़ता है ताकि तेल का कलर आ जाए। इसके बाद इसे बोतलों में पैक कर स्टीकर लगा दिया जाता है।
55 से 60 रुपए में तेल हो जाता है तैयार
बता दें कि खास बात यह है कि इन बोतलों पर कहीं भी तिल का तेल नहीं लिखा गया है। अलग-अलग नामों से पैक्ड इन तेल की बोतलों पर शातिरों ने सिर्फ पूजा का तेल ही लिखा है ताकि वह भगवान की नजरों में ज्यादा ना गिर जाए। व्यापारी के अनुसार वाइट ऑयल बाजार में 50 रुपए से 55 रुपए लीटर में उपलब्ध हो जाता है। इसके बाद सिर्फ इसमें 5 से 10 रुपए का रंग मिलाकर 100 से अधिक लीटर का तेल तैयार किया जाता है। इसके बाद करीब 3 50 रुपए कि प्रति प्लास्टिक की बोतलों में इसे पैक कर उस पर एक कागज का स्टीकर लगाया जाता है।इसके बाद तेलों को गत्तों में पैक कर मार्केट में सप्लाई करने के लिए भेजा जाता है।
जांच कर की जाएगी सख्त कार्रवाई
वहीं इस मामले में सिटी मजिस्ट्रेट अंजनी कुमारी कुमार का कहना है कि अगर ऐसा है तो यह पूरी तरह गलत है। इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। जहां भी ऐसे तिल बनाए जा रहे हैं उनकी जांच कराई जाएगी और अगर उसमें पेट्रोलियम पदार्थ मिला हुआ है तो उस पर भी सख्त कार्यवाही की जाएगी।