Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

कोरोना संकट में बेरोजगारी का हाल समझिए, बंगाल में 75 दिन में 5.9 लाख लोगों ने मांगा मनरेगा से काम

Janjwar Desk
23 Jun 2020 5:35 PM IST
कोरोना संकट में बेरोजगारी का हाल समझिए, बंगाल में 75 दिन में 5.9 लाख लोगों ने मांगा मनरेगा से काम
x
पश्चिम बंगाल में एक साल में एक लाख रजिस्ट्रेशन मनरेगा के लिए होता था, लेकिन मात्र 75 दिन में करीब छह लाख रजिस्ट्रेशन हुआ है...

जनज्वार। कोरोना महामारी से हुई व्यापक आर्थिक क्षति के किस्से हर इलाके से परत-दर-परत सामने आ रहे हैं। हिंदुस्तान में जिन सात-आठ राज्यों से मजदूरी के लिए सर्वाधिक पलायन होता है, उनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है। अब जब दूसरे राज्यों व महानगरों से लोग बड़ी संख्या में प्रदेश में वापस आ चुके हैं तो उन्हें रोजगार भी चाहिए, ताकि वे रोजी-रोटी चला सकें। पश्चिम बंगाल में लाॅकडाउन पीरियड में पिछले 75 दिनों में 5.9 लाख लोगों ने मनरेगा में अपना रजिस्ट्रेशन करा कर रोजगार मांगा हैै।

पश्चिम बंगाल में सामान्यतः हर साल मनरेगा के लिए एक लाख रजिस्ट्रेशन होता है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान मात्र 75 दिनों में छह गुणा अधिक रजिस्ट्रेशन से अधिकारी आश्चर्य में हैं और उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि इतने लोगों को 100 दिनों की रोजगार गारंटी वाली योजना का लाभ कैसे मिलेगा। अधिकारियों का कहना है कि लाॅकडाउन शुरू होने के बाद कई प्रवासियों ने मनरेगा के तहत अपना रजिस्ट्रेशन कराया।

टेलीग्राफ अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 75 दिनों में राज्य में 2,88,907 नए जाॅब कार्ड बनाए गए हैं, जबकि ढाई लाख लोगों का नाम उनके मौजूदा फैमिली जाॅब कार्ड में जोड़ा गया है।

लाॅकडाउन के दौरान करीब 10 लाख प्रवासी श्रमिक पश्चिम बंगाल लौटे हैं, जिनके पास रोजगार का कोई विकल्प नहीं है। वे रोजगार के लिए राज्य सरकार पर निर्भर हैं। हालांकि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि श्रमिकों को जिस सरकारी योजना में संभव हो रोजगार से जोड़ा जाए। जिन लोगों को जबरन नौकरी से निकाला गया है, उन्हें भी रोजगार की जरूरत है।

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में गरीब कल्याण रोजगार अभियान नाम से मनरेगा से मिलती जुलती एक योजना शुरू की है, जिसका लाभ प्रवासी श्रमिकों को दिया जाना है। हालांकि इस योजना में प्रवासी श्रमिकों वाले दो प्रमुख राज्य पश्चिम बंगाल व छत्तीसगढ को फिलहाल शामिल नहीं किया गया है, जबकि उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा व मध्यप्रदेश जैसे राज्य शामिल किए गए हैं। इसको लेकर छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र को पत्र लिखा कर योजना का लाभ छत्तीसगढ को भी देने की मांग की है।

Next Story

विविध