Crimes increased after pandemic : बेटी की शादी के लिए नहीं थे पैसे, महिला ने मासूम का अपहरण कर बेचने का प्लान बना लिया, पकड़ी गयी
Crimes increased after pandemic : बेटी की शादी के लिए नहीं थे पैसे, महिला ने मासूम का अपहरण कर बेचने का प्लान बनाया
Crimes increased after pandemic : देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक ने बेटी की शादी के लिए पैसे जुटाने के लिए अपनी सहेली के साथ मिलकर दो साल के बच्चे का अपहरण (Kidnapping) कर लिया उसके बाद वह उसे बेचने के फिराक में थी। गनीमत रही कि पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर महिला व उसकी सहेली को गिरफ्तार कर लिया है। इस पूरे प्रकरण में पुलिस एक अन्य आरोपी की तलाश में जुटी हुई है।
दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली (Sourt Western Delhi) के जिला पुलिस के अनुसार दो अप्रैल को पुलिस को सूचना मिली थी कि मुनिरका गांव (Munirka Village) के मकान नंबर 352डी में रहने वाली एक महिला ने दो वर्ष के एक बच्चे का अपहरण कर लिया था। सूचना के बाद किशनगढ़ थाने की पुलिस ने मौके पर पहुंचकर निक्की नाम की एक युवती को गिरफ्तार किया। उसके मकान की रसोई से दो साल के एक बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया गया है।
पूछताछ में निक्की ने बताया कि उसने महरौली (Mehrouli) में रहने वाली महिला बबली के कहने पर बच्चे को चुराया था। निक्की की दादी महरौली में बबली के घर के पास रहती है। इस कारण वह बबली को जानती है। पुलिस टीम ने महरौली से बबली को गिरफ्तार कर लिया।
वहीं बबली ने पूछताछ में बताया कि वह बेटी की शादी करना चाहती थी। शादी के लिए उसे पैसे की जरूरत थी। ऐसे में उसने साथी दीपक व निक्की (22) के साथ मिलकर बच्चे के अपहरण की साजिश रची थी।
गरीबी और बेरोजगारी के मामले 20 सालों में सबसे ज्यादा बढ़े
अब इस अपराध की वारदात के एक दूसरे पहलू की ओर रुख करते हैं। आपको बता दें कि हाल के दिनों में ऐसी कई वारदातें देश के अलग-अलग हिस्सों में घटी हैं जहां लोगों ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े से बड़ा अपराध करने में भी हिचक नहीं दिखायी है। कोरोना महामारी के बाद देश में इस तरह के अपराधों की संख्या में खासी वृद्धि दर्ज की गयी है।आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया में कोविड महामारी के कारण शुरू हुई आर्थिक मंदी से लगभग 85 से 115 करोड़ लोग भीषण गरीबी और बेरोजगारी को झेलने को मजबूर हैं। इसके 150 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। गरीबी और बेरोजगारी के आंकड़े में यह बढ़ोतरी बीते 20 सालों में सबसे ज्यादा था।
गरीबों और मध्यम वर्ग की हालत हुई और खराब
संयुक्त राष्ट्र की ग्लोबल पल्स इनिशिएटिव की ओर से दुनिया भर के कई देशों में किए गए एक अध्ययन के अनुसार आर्थिक इंडिकेटर्स में कोरोना महामारी के दौरान जितनी तेजी से परिवर्तन दर्ज किए हैं, वह पहले कभी नहीं किए गए थे। गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों में आर्थिक स्थिति और बदतर होने से लोगों में तनाव बढ़ा है और इसके कारण अपराध की घटनाओं में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी हैं खामियां
भारत जैसे देश में कोरोना महामारी के बाद से बेरोजगारी की दर में खासी वृद्धि दर्ज की गयी है। जहां रोजगार हैं वहां की काम करने का माहौल प्रभावित हुआ है। सरकार की तरफ से लोगों को जो राहत दी जा रही है वह एक तो अपर्याप्त है दूसरा इसके क्रियान्वयन में गड़बड़ी है। कई जगहों पर जो अपात्र हैं उन्हें योजनाओं का लाभ मिल जा रहा है पर जो वाकई में जरुरतमंद हैं उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों का झुकाव सही से गलत की ओर हो रहा है और अपराधिक घाटनाओं में वृद्धि दर्ज की जा रही है।
महामारी के बाद घरेलू हिंसा और दिवालियापन जैसे मामले बढ़े
कोरोना महामारी के बाद घरेलु हिंसा, श्रमिक विवाद, सामाजिक सुरक्षा सुविधा लेने वालों की संख्या और दिवालियापन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। लॉकडाउन न्यायिक सुविधाओं का संचालन भी सिमित रूप हुआ इससे भी मामलों के निपटारे में देरी हुई और आंकड़े बढ़ते रहे। बढ़ती बेरोजगारी और अपराध के बढ़ते मामलों के बीच का संबंध समझने के लिए साल 1975 से 2005 के बीच अमेरिका के 400 शहरों में एक सर्वे किया गया था। इस सर्वे के अनुसार जैसे-जैसे बेरोजगारी के आंकड़ों में वृद्धि हुई वैसै-वैसे लगगभ सभी शहरों में अपराध के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी हुई।
बेरोजगारी दर 7 प्रतिशत से 27 प्रतिशत तक पहुंची
हमारे देश में भी कोरोना महामारी के बाद जो हालात बन रहे हैं वे भी अमेरिका में वर्षों पहले हुए सर्वे के नतीजों की पुष्टि कर रहे हैं। बढ़ती बेरोजगारी दर के कारण कई लोग अपराधिक कृत्यों की ओर बढ़ रहे हैं। कोरोना के कारण देश में लगाए गए लॉकडाउन के पहले देश में बेरोजगारी दर 7 प्रतिशत थी जो बीते साल अप्रैल में बढ़कर 27.1 प्रतिशत हो गयी थी। लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन इंडेक्टस भी 43 प्रतिशत से घटकर 40 प्रतिशत पर आ गया है। इस मतलब यह था कि नौकरियों में छंटनी हो रही थी जिससे बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही थी।
आजीविका का संकट पैदा होने से बढ़ रहा अपराध
कोरोना के कारण हमारे देश में बढ़ती बेरोजगारी ने आजीविका का संकट पैदा कर दिया है। सरकारों को इस पर बिना समय गंवाए काम करने की जरुरत है नहीं तो चीजें बद से बदतर हो सकती हैं। शुरुआत में हमने जिस घटना की चर्चा की है वह है तो एक आपराधिक वारदात है दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए। पर उसके साथ-साथ इस पर भी काम करने की जरुरत है कि वह वारदात जिन कारणों से अंजाम दिया गया वे कारण लोगों के पास कम से कम हों। इस पर सरकारों को काम करना चाहिए।