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Cyber Crime : मात्र 5 रुपये में बिक रही है लोगों की पर्सनल डिटेल, बढ़ते साइबर क्राइम के बीच झारखंड पुलिस ने किया दावा

Janjwar Desk
6 Feb 2022 7:53 AM GMT
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Cyber Crime : झारखंड पुलिस के मुताबिक क्राइम का ग्राफ इतना बढ़ गया है कि पर्सनल डेटा की अब कोई कीमत नहीं रह गई है। साइबर ठग कौड़ियों के भाव यानि 5 रुपये में इसे खरीद और बेच रहे हैं।

Cyber Crime : ऑनलाइन फ्रॉड या साइबर ठगी ( cyber fraud ) का कारोबार में तेजी से इजाफा जारी है। शायद ही कोई ऐसा हो, जिसपर इसका खतरा न मंडरा रहा हो। अब इस मामले में सीआईडी झारखंड ने डेटा डीलिंग से जुड़ा एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। पुलिस की सख्ती से साइबर ठगों के बीच हड़कंप की स्थिति है। झारखंड पुलिस ( Jharkhand Police ) के इस दावे से साफ हो गया है कि पर्सनल डेटा ( personal data ) की अब कोई कीमत नहीं रह गई है। साइबर ठग कौड़ियों के भाव यानि पांच रुपये में इसे खरीद और बेच रहे हैं।

खास बात यह है कि साइबर ठगों के लिए झारखंड और पश्चिम बंगाल सबसे मुफीद जगह के रूप में उभकर सामने आया है। जामताड़ा को तो साइबर ठगों ( cyber fraud ) का विश्वविद्यालय कहा जाने लगा है। झारखंड जैसी जगह से चुराए गए डेटा को बंगाल जैसे दूसरे राज्यों में बेचा जा रहा है। क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) के इनपुट के मुताबिक एक व्यक्ति के डेटा की कीमत केवल 5 रुपए है। सीआईडी यह भी कहती है कि एक गिरोह में हर साइबर अपराधी को ठगी को अंजाम देने के लिए टास्क दिया जाता है और डेटा हाथ में आते ही साइबर अपराधी धोखाधड़ी की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।

हाल ही में देवघर पुलिस ( Deoghar पुलिस ) ने 8 साइबर अपराधियों ( Cyber Criminals ) को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से 9 मोबाइल फोन और 15 सिम कार्ड बरामद हुए थे। झारखंड पुलिस साइबर अपराधियों के खिलाफ पुलिस लगातार अभियान चला रही है।

जामताड़ा बना साइबर क्राइम का ट्रेनिंग सेंटर

फिलहाल, झारखंड में जामताड़ा साइबर क्राइम के मामले में देश का सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। जामताड़ा शहर को साइबर अपराधियों का विश्वविद्यालय माना जाता है। झारखंड के युवा जामताड़ा से साइबर क्राइम की ट्रेनिंग लेते हैं। ट्रेनिंग लेने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में फैल जाते हैं।

कहां से आता है डेटा

झारखंड सीआईडी के एसपी एस कार्तिक के मुताबिक साइबर क्राइम की दुनिया में एक व्यक्ति के डेटा की कीमत महज 5 रुपये है। यह डेटा अपराधियों को बैंक, मॉल, टेलीकॉम कंपनी, बीमा, जेरॉक्स समेत अन्य जगहों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। भारत की साइबर सेल को साइबर अपराधियों के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक कोलकाता और उसके आसपास के क्षेत्रों से डेटा केवल 5 रुपये प्रति व्यक्ति पर उपलब्ध कराया जाता है। इस डेटा में पीड़ित का नाम, मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट डिटेल, आधार नंबर और अन्य डिटेल शामिल हैं। इस डेटा का उपयोग करके, साइबर अपराधी एक बैंक मैनेजर या एक बीमा एजेंट का रूप धारण करता है जो लोगों के पैसे ठगता है।

क्या कहते हैं साइबर ठगों के आंकड़े

Cyber Crime : झारखंड के देवघर जिला पुलिस ने पिछले 2 सालों में 1210 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। ठगों के पास से 51 लाख रुपये भी बरामद किए गए हैं। देवघर के साइबर पुलिस उपाधीक्षक सुमित प्रसाद ने बताया कि साइबर अपराध के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत जनवरी, 2020 से 29 दिसंबर, 2021 के बीच दर्ज 210 मामलों में 1210 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है, जिनसे पुलिस ने कुल नकद 51,30,570 रुपये बरामद किए हैं।

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