साइबर ठगों की दिल्ली एनसीआर में चांदी, DMRC की निकाली फर्जी वैकेंसी तो गाजियाबाद में सट्टेबाजी में ठगे 50 करोड़
Delhi NCR cyber fraud : सावधान! एक बार फिर जॉब दिलाने, मोबाइल पर गेम और आईपीएल बेटिंग (सट्टेबाजी) के नाम पर दिल्ली एनसीआर ( Delhi NCR ) में साइबर ठग ( cyber thugs ) एक्टिव हैं। हाल ही में इन ठगों ने बेटिंग और डीएमआरसी ( DMRC ) के नाम पर करोड़ों रुपए का चूना लगाने का काम किया है। ठगी का मामला सामने आने के बाद इनमें से कुछ पकड़े गए हैं तो कुछ अभी एक्टिव हैं। खास बात यह है कि सरकारी नौकरी हासिल करने इच्छुक और कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की चाह रखने वाले युवा अक्सर साइबर फ्रॉड ( Cyber Fraud ) के शिकार होते हैं। ताजा मामला दिल्ली मेट्रो ( Delhi Metro) में नौकरी दिलाने और बेटिंग से जुड़ा है।
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दोनों मामलों में साइबर ठगों ( Cyber fraud ) ने लोगों को झांसा देते हुए न केवल पैसे हड़प लिए बल्कि उनकी गोपनीय जानकारियां चुरा ली। जब साइबर सेल को इस बात की भनक लगी तो उसने जाल बिछाकर ऐसे ठकों को रंगों हाथ दबोच लिया है। दरअसल, साइबर ठग कई बड़ी कंपनियां इस तरह की ऐप और वेबसाइट के माध्यम से लोगों को रुपए जीतने का ऑफर दे रही हैं। आईपीएल के दौरान लोग लगातार ऐसे लीग का हिस्सा बन रहे हैं। इसी का फायदा उठाकर साइबर ठगों ने लोगों को चूना लगाना शुरू कर दिया है।
शातिर साइबर ठग इसी तरह के गेम में लाखों की कमाई का झांसा देकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ऐसे ही ठगों का एक गैंग इंदिरापुरम में ऑफिस खोलकर देशभर के लोगों के अकाउंट खाली कर रहा था। इसके लिए वे लोग एक रशियन बेटिंग साइट के नाम का इस्तेमाल कर रहे थे। सीओ साइबर अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनके पास से 100 से ज्यादा डेबिट कार्ड, 4 लाख रुपये, 5 लैपटॉप, कार समेत अन्य सामान बरामद किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में नीरज कुमार, अवधेश कुमार और कैलाश के अलावा 5 नेपाली नागरिक प्रदीप कुमार, दीपेंद्र शर्मा, ताराकांत, सुशांत सहाय और हरिदेव शामिल हैं। गैंग लीडर रंजीत भी नेपाल का नागरिक है। वह नेपाल में बैठकर वहीं से गैंग को ऑपरेट करता है। देशभर में 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी करने वाले गिरोह के 2 बदमाशों को गाजियाबाद साइबर सेल और विजयनगर पुलिस की टीम ने गुरुवार को गिरफ्तार किया। आरोपी गेम के अलावा जियो के मोबाइल टावर लगाने के नाम पर भी ठगी करते थे। सीओ अभय मिश्रा के मुताबिक दिल्ली के नितिन गुप्ता और हाथरस के अनुराग चौधरी को भी गिरफ्तार किया है। इस गैंग के 4 ठग अभी फरार हैं।
वहीं डीएमआरसी फ्रॉड मामले में दिल्ली नॉर्थ जिले की साइबर सेल ने एक ऐसे केस का खुलासा किया है, जिसमें शातिर ठगों ने डीएमआरसी को ही फेक वेबसाइट बना डाली। फिर उसके लिंक का इस्तेमला फेसबुक पेज पर बतौर विज्ञापन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। इस मामले में साइबर सेल टीम ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए इनके पास से 106 सिम कार्ड,, 9 मोबाइल फोन, डेबिट और क्रेडिट कार्ड, कार व अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। आरोपियों की पहचान नोएडा सेक्टर 117 निवासी नितिन सिंह, सेक्टर 63 निवासी सुमंत कुमार व न्यू अशोक नगर निवासी मोहम्मद शाहनवाज के तौर पर हुई है।
ओटीपी देते ही अकाउंट से उड़ गए 20 हजार
दूसरी मामले में डीसीपी नॉर्थ सागर सिंह कलसी के मुताबिक एसीपी आपरेशन केशव कुमार साइबर सेल को इस मामले को वर्कआउट करने को कहा गया था। पुलिस को साइबर क्राइम पोर्टल के जरिए इस मामले की शिकायत मिली थी जिसमें शास्त्री नगर निवासी युवक ने बताया कि वह पढ़ाई करने के साथ जॉब की तलाश कर रहा था। उसने फेसबुक पर दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में जॉब का एड देखा। जैसे हो उसने फेसबुक पर लिंक को क्लिक किया तो उसे वाट्सऐप पर एक नंबर से एक मैसेज आया। इसमें दिल्ली मेट्रो रेल वेबसाइट का लिंक था। उसने वेब फॉर्म भर दिया और 49 रुपए ट्रांजेक्शन के लिए डेबिट कार्ड की डिटेल भी दे दी। ये रुपए रजिस्ट्रेशन फीस थी। ओटीपी की जानकारी देते ही उसके बैंक अकाउंट से 19,049 रुपए उड़ गए।
भरोसा जीतने के लिए पहले गेम में बनाते हैं विनर
साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने लोगों को ठगने के लिए world777.bet नाम से एक वेबसाइट बनाई हुई थी। इसका लिंक टेलीग्राम, वॉट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म से लोगों को भेजते थे। लिंक पर क्लिक करने वाले लोग इस गेमिंग वेबसाइट पर पहुंच जाते थे। वहां उन्हें कई प्रकार के ऑनलाइन गेम में अच्छे प्राइज का झांसा दिया जाता था। जालसाज अपनी वेबसाइट पर क्रिकेट और अन्य स्पोर्ट्स के मैच के दौरान फेंटेसी लीग का ऑप्शन देते थे। इसके लिए इनकी टीम के सदस्य कस्टमर को पहले एक्सपर्ट एडवाइज दिलाकर टीम बनवाते थे। इस टीम के पॉइंट को मैनेज कर शुरू में जिता देते थे। शुरुआत में ग्राहक से 100 से 200 रुपए लगवाते थे और मैनेज करके ठग लगातार उन्हें जिताकर विश्वास जीतते थे। शुरु में लोग जब तक 500 या 1 हजार रुपए लगाते हैं तो उन्हें गेम को जिताया जाता है, लेकिन जैसे ही लालच में आकर बड़ी रकम लगा देते हैं उनके अकाउंट को फ्रीज कर ठग सारे रुपए अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते थे।पूछताछ में ठगों ने बताया कि फर्जी कंपनियों के नाम से अकाउंट खोल रुपए उसमें ट्रांसफर किए जाते थे, जिसके बाद रुपए को विदेशी अकाउंट में भी ट्रांसफर कर दिया जाता था। पुलिस इन पूरे ट्रांजेक्शन की जांच कर रही है। सीओ साइबर ने बताया कि प्राथमिक जांच और ठगों के पास से मिले डेटा के अनुसार वह अभी तक 10 हजार से ज्यादा लोगों से 50 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुके हैं। आ
कैसे करें पहचान
Delhi NCR cyber fraud : ठगी से बचने के लिए नौकरी के लिए आवेदन करने से पहले उम्मीदवारों को हमेशा संस्था या कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट को संदर्भ के लिए देख लेना चाहिए। सरकारी संगठन अपनी आधिकारिक वेबसाइट, रोजगार समाचार और अपने सत्यापित सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से भर्तियों की जानकारी देते हैं। नौकरी के विज्ञापन राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार पत्रों में भी प्रकाशित किए जाते हैं। धोखाधड़ी करने वाली वेबसाइट और रिक्रूटर्स अक्सर अभ्यर्थियों को एक समान दिखने वाली जॉब नोटिफिकेशन और एप्लीकेशन फॉर्मेट के साथ नौकरी उपलब्ध कराने का झांसा देते हैं।