(दिल्ली दंगों के दौरान की तस्वीर)
Delhi Riots 2020 : उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों (Delhi Riots 2020) के मामले में त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस को निर्देश जारी किया। अदालत ने शहर की पुलिस को अधीनस्थ अधिकारियों को संवेदनशील बनाने का निर्देश जारी किया है।
कडकड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court) के उत्तर पूर्व जिले के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार ने सीएमएम द्वारा पारित एक आदेश को रद्द करते हुए आदेश पारित किया। इसमें दिल्ली पुलिस (Delhi Police) पर पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। एमएमएम ने पाया था कि दंगों के एक मामले में शिकायत को अलग करने के संबंध में एक आवेदन को स्थानांतरित करने में देरी से आरोपी व्यक्तियों का अनुचित उत्पीड़न हुआ। इनमें से दो न्यायिक हिरासत में थे।
मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने 12 अक्टूबर के आदेश के जरिए पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वह दंगों के मामलों की जांच या अभियोयन और उनका त्वरित ट्रायल सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इस आदेश को चुनौती देते हुए भजनपुरा थाना के एसएचओ द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी।
अदालत ने पुलिस आयुक्त, दिल्ली सचिव (गृह), भारत संघ को दिए निर्देशों समेत आदेश को रद्द करते हुए कहा, हालांकि संबंधित डीएसपी को उत्तर पूर्वी दंगों से संबंधित मामलों की शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित करने और अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए निर्देशित किया जाता है ताकि पूर्वोत्तर दंगों से जुड़े मामलों के ट्रायल में कोई देरी न हो। इन टिप्पणियों के साथ पुनर्विचार याचिका का निस्तारण किया जाता है।
कोर्ट ने आगे कहा, मौजूदा मामले में स्पष्ट है कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के अनुपालन के लिए सत्र न्यायालय द्वारा स्थगन दिया गया था। हालांकि जांच अधिकारी द्वारा उचित आवेदन को स्थानांतरित करने में देरी के कारण राज्य पर जुर्माना लगाया गया था। चूंकि जांच अधिकारी को सत्र न्यायालय के निर्देश का पालन करना था। हमारा विचार है कि पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना लगाना उचित नहीं है।
सीएमएम द्वारा पारित आदेश के बारे में आईओ द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट का अवलोग करने के बाद घटनाक्रम पैदा हुआ। इसमें अनुमति देने, मामले की जांच के लिए और समय देने और एक आरोपी फैजान खान की शिकायत की अलग से जांच करने के लिए प्रार्थना की गई थी।