दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को फूल उगाने से रोका, मिट्टी वाली जगह पर लगाए बैरिकेड
गाजीपुर बॉर्डर। कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को उग्र होते देख दिल्ली पुलिस ने सभी बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी थी। किसानों को दिल्ली की सीमा में न प्रवेश मिले इसके लिए बैरिकेड पर कटली तार और सड़कों पर नुकीली कीलें लगा दी थी, हालांकि राकेश टिकैत ने उन नुकीली किलों के पास मिट्टी डलवाकर फूल लगवाने के प्रयास किया, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उसको को भी होने नहीं दिया। दरअसल अब राकेश टिकैत बॉर्डर पर नुकीली कीलों के पास फूल नहीं उगा सकेंगे, इसके पीछे का कारण है दिल्ली पुलिस।
टिकैत ने शुक्रवार शाम डम्पर से मिट्टी मंगवाई और उसे नुकीली कीलों के पास डलवा दिया, जिसके बाद उन्होंने तुरंत हाथों में फावड़ा लेकर उसे समतल करने लगे, बाद में वहां एक सांकेतिक फूल भी लगा दिया और टिकैत ने इस पर अपना बयान देते हुए कहा कि वो कील लगाएंगे हम वहीं फूल उगाएंगे।
शनिवार को बॉर्डर का नजारा कुछ और दिखा, दरअसल आज चक्का जाम का आह्वान किया गया, जिसके कारण दिल्ली पुलिस ने दो गुना सुरक्षा बढ़ा दी, इस सुरक्षा के चपेट में टिकैत की मंगाई गई मिट्टी भी आ गई।
दिल्ली पुलिस ने मिट्टी वाली जगह पर बैरिकेड लगा दिए और किसानों को वहां फूल उगाने से रोक दिया। पुलिस ने उतने हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया। शनिवार को जब राकेश टिकैत बैरिकेड तक पहुंचे तो उन्हें वहां पैरामिल्रिटी फोर्स के जवान दिखाई दिए, टिकैत बैरिकेड पर ही रुक गए और अंदर पौधे रोपने नहीं गए।
इस मौके पर उन्होंने जवानों के सामने हाथ जोड़ कर उनका अभिनंदन किया और मीडिया से बात करते हुए कहा कि, "खेतों से आई मिट्टी की जवान रक्षा कर रहे हैं, खेत सुरक्षित हैं।" दरअसल तकरीबन 2 महीने से दिल्ली-यूपी स्थित गाजीपुर बॉर्डर पर किसान तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं।
शनिवार को टिकैत ने किसानों को संबोधित करते हुए साफ संकेत दे दिया कि जब तक कानून वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं। हालांकि बॉर्डर पर सभी किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं पुलिस किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए रणनीति बना चुकी है।
सरकार और किसान संगठनों के नेताओं के साथ 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी वार्ता बेनतीजा रही, हालांकि सरकार साफ सन्देश दे चुकी है कि कृषि कानून वापस नहीं होंगे, ऐसे में किसान भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।
टिकैत भी साफ कर चुके हैं कि हम बात करने के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार दबाब बनाकर बातचीत नहीं कर सकती। टिकैत ने किसानों को लम्बा आंदोलन चलाने के लिए फार्मूला भी साझा कर चुके हैं।
दरअसल 28 जनवरी के बाद से टिकैत के आंसुओं ने इस आंदोलन को सैलाब में बदल दिया है। टिकैत ने मंच से खड़े होकर किसानों को आवाज दी, जिसके बाद अगले दिन देखते देखते किसानों ने बॉर्डर पर आना शुरू कर दिया।
टिकैत ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि, "मैं पानी तभी पियूंगा जब तक तुम अपने गांव से मेरे लिए पानी लेकर नहीं आओगे। टिकैत की भावुक अपील ने लोगों को अपने गांव से पानी लाने पर मजबूर कर दिया, देशभर के विभिन्न राज्यों से किसान पानी लेकर आया, कुछ किसान गंगाजल तक लेकर आ गए।"
बरहाल सरकार और किसान दोनों ही बातचीत करने के लिए तैयार हैं, लेकिन कब आमने सामने बैठ कर इस विवाद को सुलझाएंगे, यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है।