दिल्ली सरकार के ILBS अस्पताल ने बिल न देने पर बिहार के जिस मरीज को बनाया था बंधक, उसकी हुई मौत
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के आईएलबीएस अस्पताल से अमानवीयता एक ताजा मामला सामने आया है। आईएलबीएस अस्पताल ने बिहार के बीपीएल कार्ड होल्डर एक लीवर के मरीज का उपचार इसलिए रोक दिया क्योंकि उसका परिवार बकाया साढ़े तीन लाख रूपये का भुगतान नहीं कर पा रहा है। लीवर ट्रांसप्लाट के लिए परिवार अपने घर का सबकुछ बेचकर 22 लाख रूपये इस अस्पताल को दे चुका है।
दिल्ली सरकार के ILBS अस्पताल ने बिल न देने पर बिहार के जिस मरीज को बंधक बनाकर रखी हुई है आज 6 जुलाई को उसकी मौत हो चुकी है। मरीज की बेटी पिता की मौत के लिए अस्पताल प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रही है।
अनंत कुमार पांडे की बेटी सोनी कुमारी कहती हैं, 'हमारे पिताजी का इलाज आईएलबीएस अस्पताल में चल रहा था। उन्हें लीवर की समस्या थी। 25 अप्रैल को आईएलबीएस अस्पताल में भर्ती किया था तबसे उन्होंने पिताजी का इलाज करने के बहाने हमें लूटते रहे, हमारी जमा पूंजी भी लूट गए। पिताजी के लीवर का ट्रांसप्लांट भी नहीं किया और अब इनके हाथों में कुछ नहीं रहा तो कह रहे हैं कि डिस्चार्ज करवाकर घर ले जाओ, नहीं तो यहां रखोगे तो रिस्क हो जाएगा जिसका जिम्मेदार हम नहीं हैं।'
सोनी कुमारी आगे कहती हैं, 'शुरूआत में ये लोग पिताजी का इलाज ठीक से कर दिए होते आज यह स्थिति नहीं होती। अब कह रहे हैं कि हमारी नीति और नियम है कि पूरा साढ़े तीन लाख का भुगतान करो फिर इनको ले जाओ।'
दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल बताते हैं कि दिल्ली सरकार के आईएलबीएस अस्पताल ने एक गरीब मरीज को बंधक बना दिया है क्योंकि उनके जो रिश्तेदार जो साढ़े तीन लाख का बिल है उसे नहीं दे पा रहे हैं। आपने अकसर ये सुना होगा कि प्राइवेट अस्पताल के अंदर भुगतान न देने की वजह से शव को रोक देते हैं। मरीज को रोक देते हैं। लेकिन इस केस में दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल ने एक मरीज को बंधक बना लिया।
अग्रवाल आगे बताते हैं, 'बिहार अनंत कुमार पांडे बीपीएल होल्डर हैं। उनको लीवर की प्रोब्लम हुई तो लीवर ट्रांसप्लांस कराने के लिए वह दो ढाई महीने पहले आईएलबीएस आया और वहां भर्ती हुआ। तबसे अभी तक उसके घरवालों ने 22 लाख रूपये भुगतान किया है। उन्होंने अपने जेवर, मकान तक बेच दिए। अब उनकी हालत खस्ता हो गयी है। परिवारवालों ने कहा कि हम पैसे नहीं दे सकते तो आईएलबीएस वालों ने उनका इलाज रोक दिया और कहा कि हम आपको इनको तभी ले जाने देंगे जब आप बकाया तीन लाख पचास हजार रूपये का भुगतान करेंगे। जब उनके परिवार वालों ने कहा कि हमारे पास पैसे नहीं हैं तो आईएलबीएस ने कहा कि हमारी नीति है कि जब तक आप पैसे नहीं देंगे हम मरीज को रिलीज नही करेंगे।'
अग्रवाल कहते हैं, 'दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला है कि कोई भी अस्पताल किसी भी मरीज को इसलिए हिरासत में नहीं रख सकता है कि यदि उसका आउटस्टैंडिंग बिल का पेमेंट नहीं हुआ है। यहां तो जो दिल्ली सरकार अपने आप को गरीबों की सरकार, गरीबों की चिंतक बताती है। उसी के अस्पताल के अंदर यह घटना घट रही है कि एक बीपीएल कार्ड होल्डर अनंत कुमार पांडेय को बकाया पैसे की वजह से उनको जाने नहीं दे रहे हैं।'