Begin typing your search above and press return to search.
दिल्ली

दिल्ली हाइकोर्ट की टिप्पणी,' RTI याचिकाकर्ता को सूचना मांगने का उद्देश्य बताना होगा', निजी जानकारी मांगने पर लगाया जुर्माना

Janjwar Desk
17 Jan 2021 4:37 AM GMT
Agnipath Scheme : अग्निपथ योजना पर तत्काल रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार, केंद्र से चार हफ्ते में मांगा जवाब
x

Agnipath Scheme : अग्निपथ योजना पर तत्काल रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार, केंद्र से चार हफ्ते में मांगा जवाब

एक व्यक्ति ने राष्ट्रपति सचिवालय में एक पद विशेष पर नियुक्त हुए लोगों के बारे में निजी जानकारियां मांगी थी, जिसमें उनका नाम, फोन नंबर, पता व पिता का नाम शामिल थी। उस व्यक्ति की बेटी का उस पद के लिए चयन नहीं हो पाया था...

जनज्वार। दिल्ली हाइकोर्ट ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी जाने वाली जानकारियों को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि आरटीआइ के तहत आवेदन करने पर आवेदक को इस सूचना को हासिल करने का उद्देश्य बताना होगा। अदालत ने कहा कि ऐसा करने से यह साफ हो सकेगा कि आवेदक को यह जानकारी क्यों चाहिए और उन लोगों के प्रति अन्याय को रोका जा सकेगा जिनके बारे में यह जानकारी मांगी गयी है।

दिल्ली हाइकोर्ट ने यह टिप्पणी एक आरटीआइ आवेदक की याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें उस व्यक्ति ने आरटीआइ के तहत सीआइसी से राष्ट्रपति सचिवालय में नियुक्तियों के संबंध में जानकारी मांगी थी। जिस व्यक्ति ने आरटीआइ के तहत जानकारी नहीं मिलने पर हाइकोर्ट में याचिका लगायी थी, उस पर खुद के बारे में पूरी जानकारी नहीं देने पर अदालत ने 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

उक्त व्यक्ति की याचिका पर केंद्रीय सूचना आयोग, सीआइसी ने कुछ जानकारियां दी थीं, लेकिन कुछ व्यक्तिगत जानकारियां जो नियुक्त हुए लोगों के संबंध में मांगी गयी थी उसे देने से इनकार कर दिया। इसके बाद उक्त व्यक्ति ने हाइकोर्ट में याचिका डाली और कहा कि सीआइसी ने बिना कोई आधार बताए उसे जानकारी देने से इनकार दिया है।

हालांकि इस मामले में एक खुलासा यह हुआ कि जिस व्यक्ति ने आटीआइ के माध्यम से राष्ट्रपति सचिवालय में नियुक्त हुए लोगों की जानकारी मांगी थी, उसकी खुद की बेटी ने भी राष्ट्रपति सचिवालय में मल्टी टास्किंग स्टाफ के लिए आवेदन किया था, जिसमें उसका चयन नहीं हुआ। वह व्यक्ति खुद भी राष्ट्रपति सचिवालय में 2012 से 2017 तक काम कर चुका था।

निजी मोबाइल नंबर व पिता का नाम पूछा

आवेदक ने चयनित स्टाफ के बारे में बेहद निजी जानकारियां मांगी थीं। उसने चयनित लोगों के नाम, उनका संपर्क व मोबाइल नंबर और पिता का नाम, घर का पता आरटीआइ आवेदन में मांगा। इसके साथ ही जिन लोगों ने इस पद के लिए आवेदन किया था उनका भी नाम मांगा। सीआइसी ने आवेदन करने वालेे लोगों के नाम का तो ब्यौरा दे दिया लेकिन जिनका चयन हुआ उनकी व्यक्तिगत जानकारियां नहीं दी। इसके बाद वह व्यक्ति हाइकोर्ट चला गया।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने इस मामले में सीआइसी को फैसले को कायम रखा। सीआइसी की ओर से अदालत को बताया गया कि आवेदनकर्ता ने चयनित लोगों की निजी जानकारियां मांगी थीं और उसने यह नहीं बताया था कि उसकी बेटी ने भी उस पद के लिए आवेदन किया था। अदालत की ओर से जो जानकारी मांगी गयी थी वह व्यक्तिगत हितों से जुड़ी थी।

अदालत में जब याचिकाकर्ता की वास्तविक नीयत का खुलासा हुआ तो न सिर्फ उसकी याचिका खारिज की गयी बल्कि खुद की जानकारी छुपाने के लिए उस पर जुर्माना भी लगाया गया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरटीआइ अधिनियम की धारा 8-1-जे के तहत किसी व्यक्ति की निजी जानकारी की सुरक्षा आवश्यक है और ऐसा नहीं करने पर यह व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन होगा।

Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध