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दिल्ली

बंगला नंबर 27 पर अड़े मोदी सरकार के दो मंत्री, पूर्व निशंक खाली नहीं कर रहे और मौजूदा सिंधिया भूलना नहीं चाहते

Janjwar Desk
13 Aug 2021 3:08 PM GMT
बंगला नंबर 27 पर अड़े मोदी सरकार के दो मंत्री, पूर्व निशंक खाली नहीं कर रहे और मौजूदा सिंधिया भूलना नहीं चाहते
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मोदी कैबिनेट के पूर्व और मौजूदा मंत्री बंगले के लिए आमने-सामने हैं. (photo - ht)

1980 में माधवराव सिंधिया को राजीव गांधी की कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था। तब उन्हें यह बंगला मिला था और यहीं वह अपनी मीटिंग्स करते थे। बता दें कि नेताओं के बीच बंगलों को लेकर इस तरह का आग्रह नया नहीं है...

जनज्वार, नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Govt.) के एक पूर्व और एक मौजूदा बने मंत्री के बीच बंगले को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। हाल ही में मोदी कैबिनेट से हटाए गए पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 27 सफदरजंग रोड पर स्थित बंगले को खाली करने से इनकार कर दिया है।

पोखरियाल को मंत्री रहते हुए यह बंगला आवंटित हुआ था। अब नियमों के मुताबिक एक महीने में खाली करना था। लेकिन वह इसी में बने रहना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि उन्हें डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स से इसकी परमिशन भी मिल गई है। लेकिन बात यहां आकर फंस गई है कि इसी बंगले में नए नागरिक उड्डयन मंत्री बने ज्योतिरादित्य सिंधिया रहना चाहते हैं।

गौरतलब है कि, सफदरजंग के मकबरे के पास लुटियन दिल्ली में स्थित इस बंगले पर सिंधिया परिवार लंबे समय से रहता रहा है। खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी 2019 में लोकसभा चुनाव हारने तक इसी बंगले में रह रहे थे। इससे पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया भी यहीं सालों तक रहे। यहां तक कि उन्होंने इसी बंगले पर अंतिम सांस ली थी।

बताया जा रहा है कि, इसी के चलते सिंधिया का इस बंगले से खास लगाव है और वे इसमें ही शिफ्ट होना चाहते हैं। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल जब वह बीजेपी में शामिल हुए तो उन्हें तीन बंगलों का ऑफर दिया गया, लेकिन उन्होंने वहां रहने से इनकार कर दिया।

फिलहाल, वह आनंद लोक में स्थित अपने निजी आवास में ही रह रहे हैं। 1980 में माधवराव सिंधिया को राजीव गांधी की कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था। तब उन्हें यह बंगला मिला था और यहीं वह अपनी मीटिंग्स करते थे। बता दें कि नेताओं के बीच बंगलों को लेकर इस तरह का आग्रह नया नहीं है।

हाल ही में एलजेपी के नेता चिराग पासवान को भी उनके उस घर को खाली करने का आदेश दिया गया था, जिसमें बतौर मंत्री रामविलास पासवान रहा करते थे। चिराग पासवान ने इसमें बने रहने के लिए गुहार भी लगाई थी, लेकिन अंत में उन्हें इसके लिए आदेश दिया गया है।

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