Exclusive : SI की तैयारी कर रही पीड़िता से गांव के दबंग ने किया रेप, योगीराज में न्याय तो दूर उल्टा लड़की के परिजन काट रहे जेल
कानपुर के थाना सचेण्डी स्थित गांव दलीपपुर की दुष्कर्म पीड़िता आज 4 महीने से न्याय के लिए गुहार लगा रही है. photo - janjwar
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में पुलिस का रवैया अपने निम्न स्तर पर चल रहा है। खुद सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ राजनीति की शह और मात की कलाबाजियां सीखने में मशरूफ हैं इसलिए फुर्सत नहीं है। जिसके चलते थाना, पुलिस, अफसर सब अपनी-अपनी मर्जी से चल-चला रहे हैं।
कानपुर नगर के थाना सचेण्डी से 3 किलोमीटर दूर गांव दलीपपुर में रहने वाली 24 वर्षीय एक लड़की के साथ बीती 5 मार्च 2021 को लगभग साढ़े सात बजे गांव के ही एक दबंग ने दुष्कर्म किया। दुष्कर्म की घटना उस समय हुई जब पीड़िता शौच के लिए गांव के बाहर गई हुई थी। पीड़िता के मुताबिक उस समय आरोपी के साथ 6 अन्य लोग भी थे, जिन्होने आरोपी का सहयोग किया था।
इस घटना के तुरंत बाद पीड़िता ने घर आकर खुद के साथ हुई वारदात अपने परिजनो को बताई। जिसके बाद पीड़िता के पिता धर्मेंद्र पाल, चाचा सुशील पाल सहित गांव के अन्य लोग रात लगभग 9 बजे थाना सचेण्डी पहुँचे। जहां आरोपी सुबोध बाजपेई उर्फ मुच्चू पुत्र रमेश बाजपेई के खिलाफ लिखित शिकायत दी गई। पुलिस ने पीड़ित की तहरीर पर 5 मार्च को ही अपराध संख्या 82/2021 के तहत धारा 376 व 307 में मुकदमा दर्ज कर लिया।
घटना का मुख्य आरोपी 35 वर्षीय सुबोध उर्फ मुच्चू वारदात को अंजाम देकर फरार हो गया था। जिसे घटना के दूसरे दिन यानी 6 मार्च को गांव से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर एक रेलवे क्रासिंग के पास ग्रामीणों ने दबोच लिया। आरोपी को पकड़ने के बाद ग्रामीणों ने उसकी पिटाई की गई और पिता रमेश को ले जाकर सौंप दिया। रमेश ने अपने पुत्र सुबोध को जलील करते हुए उसे पुलिस के हवाले कर दिया।
आरोपी सुबोध उर्फ मुच्चू को थाना सचेण्डी की पुलिस ने जेल भेज दिया। जेल जाने के बाद 7 मार्च को आरोपी सुबोध उर्फ मुच्चू की मौत हो जाती है। जिसके बाद मृतक आरोपी के परिजनो ने पीड़िता के परिवार के कुल 23 लोगों पर मुकदमा दर्ज करवा दिया। मृतक आरोपी के भाई श्रीकांत की तहरीर पर पुलिस ने अपराध संख्या 87/2021 के तहत धारा 147/148/452/354/427/504/506 व 304 में पीड़िता की तरफ के दो दर्जन लोगों पर एफआईआर दर्ज की।
पीड़िता की तरफ के जिन 23 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है उनमें से बालचंद्र पाल पुत्र सहुनी पाल, रामविलास पाल पुत्र राम दयाल, अमित पाल पुत्र नवाब पाल व राम बाबू पुत्र राम दयाल जेल में हैं। बाकि के 19 लोग इधर उधर बचते हुए फिर रहे हैं। इस घटना के बाद पीड़िता व उसके परिजनो ने दबंगों के डर की वजह से गांव छोड़ दिया है।
पीड़िता ने जनज्वार से बात करते हुए कहा कि 'आज मेरे साथ वो घटना हुए पूरा चार महीना हो चुका है। ऐसा कोई अफसर-अधिकारी नहीं है जिसके यहां वो लोग न्याय मांगने ना गए हों। पुलिस ने जब मेरा बयान लिया तो उस वक्त मैं अचेत थी इतना भी होश नहीं था कि कोई क्या पूछ रहा है। मेरी जुबान पर उस समय सिर्फ सुबोध का नाम आया था जो मैने पुलिस को बताया था।'
पीड़िता का कहना है कि 'बाकी के सभी आरोपी जिसमें मृतक सुबोध के अलावा अभिषेक पाण्डेय पुत्र अवध नारायण उर्प कल्लू पाण्डेय, बब्लू पाण्डेय पुत्र रज्जन पाण्डेय, सचिन बाजपेई उर्फ सल्ली पुत्र पूरन बाजपेई, गोरव बाजपेई पुत्र संतोष बाजपेई, पुल्लन बाजपेई पुत्र पप्पू बाजपेई व बउआ तिवारी पुत्र अज्ञात वारदात के समय घटनास्थल पर मौजूद थे।'
आरोप है कि यह सभी आरोपी घटना को अंजाम देने के बाद गांव में खुलेआम घूम रहे हैं तथा पीड़िता व उसके परिजनो का मजाक उड़ाने के साथ कहा जा रहा है कि 'जो उखाड़ते बने उखाड़ लेना।' थाना सचेण्डी में तैनात रहे तत्कालीन एसओ सतीश राठौर पर पीड़िता ने बयान के समय दबाव बनाने का प्रयास किया था। आरोप यह भी है कि एसओ राठौर ने आरोपियों से सांठगांठ की थी जिसकी शह पर वह सभी खुलेआम घूमते रहे। उच्च अधिकारियों से तमाम शिकायतों के बाद थानाध्यक्ष सचेण्डी का चार दिन पहले तबादला हो गया है।'
पीड़िता के पिता धर्मेंद्र पाल को पिछले एक साल से कैंसर की शिकायत है। वह ठीक से बोल नहीं पाते। धर्मेंद्र कहते हैं कि 'वह न्याय का ऐसा कोई मंदिर नहीं है जहां वो अपनी बेटी के लिए इंसाफ मांगने ना गए हों। आईजी, एडीजी, एसपी आउटर, महिला आयोग कहां नहीं गए अब तक। लेकिन न्याय मिलता नहीं दिख रहा है। आज 4 महीने हो चुके हैं मामले को हम लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं।'
इस मामले में आईजी रेंज मोहित अग्रवाल का कहना है कि 'इसकी निष्पक्ष जांच कराएंगे।' एडीजी भानू भाष्कर ने कहा कि '15 दिनो के भीतर सभी आरोपियों को पकड़ने का आदेश दे दिया गया है।' पीड़िता रोते हुए जनज्वार को बताती है कि वह लोग महिला आयोग भी गये थे। वहां ललिता चौहान मिली थीं, जिनने हमारे सामने एसओ सताश राठौर से बात की। बात करने के बाद हमसे कहती हैं कि जो पढ़ने वाले बच्चे जेल में हैं उनका नाम कट जाएगा। एसओ को कुछ ले देकर मामला सुलटवा लो।'
पीड़िता हाथ जोड़कर हमसे कहती है कि वह अब थक गई है। इस सिस्टम और ऐसे न्याय से। वह मांग करती है कि जब तक आरोपी मृतक की बिसरा रिपोर्ट ना आ जाए उसके परिजन जो जेल में बंद हैं कम से कम उन्हें तो छोड़ दें। सभी बुरी हालत में हैं, सभी के परिजन रो रहे हैं। कैसा कानून है, कैसा नयाय है, कैसी सरकार है जो मुझे इंसाफ नहीं दिला पा रही है। कल को अगर मैं तंग आकर सुसाईड कर लेती हूँ तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? कम से कम मरने के बाद तो न्याय मिलेगा और नहीं मिलेगा तो पुलिस तथा सरकार को मुझसे छुटकारा मिल जाएगा। इसके अलावा मेरे पास कोई चारा नजर नहीं आ रहा है।'