किसान संगठनों ने सरकार से वार्ता के लिए रखी ये चार अहम शर्तें, कहा - सरकारी दुष्प्रचार बंद कीजिए
किसान संयुक्त मोर्चा के प्रेस कान्फ्रेंस का दृश्य।
जनज्वार। किसान संगठनों ने एक बार फिर सरकार की वार्ता की पेशकश स्वीकार कर ली है। किसानों संगठनों ने ऐसा कदम इसलिए उठाया ताकि वार्ता के लिए राजी नहीं होने पर उन्हें हठधर्मी बताकर लोगों को भ्रमित करने वाला प्रचार नहीं किया जा सके। हालांकि किसान संगठनों ने इस वार्ता के लिए शर्तें रखी हैं और सरकार से कहा है कि उनके खिलाफ किया जाने वाला दुष्प्रचार बंद किया जाए।
किसान संगठनों ने कृषि मंत्रालय के विशेष सचिव विवेक शुक्ल को लिखे पत्र में वार्ता का एजेंडा व क्रम बताया है। इसमें सबसे पहले तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए अपनायी जाने वाली क्रियाविधि पर चर्चा करने को कहा है। इसके साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्या पर कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया पर बात करने का कहा है। किसानों पर पराली जलाने को लेकर लगाए जाने वाले जुर्माना से मुक्ति पर वार्ता करने को कहा है और बिजली कानून के मसौदे में बदलाव पर वार्ता के लिए कहा है।
सरकार ने माँगा था, किसानों ने दे दिया बैठक का एजेंडा:
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) December 26, 2020
1. तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि(Modalities)
2. MSP की कानूनी गारंटी की प्रक्रिया
3.पराली जुर्माना से किसानों को मुक्ति
4. बिजली कानून के मसौदे में बदलाव
क्या सरकार एजेंडा मानेगी? pic.twitter.com/lKDBSC533u
किसान के 40 संगठनों के साझा मोर्चा संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से लिखे गए इस पत्र में कहा है कि हमने तीन कृषि कानून को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे तोड़-मरोड़ कर ऐसे पेश किया मानो हमने इसमें संशोधन की मांग की हो। पत्र में यह भी कहा गया है कि बैठक के दौरान हमने क्या मुद्दे कैसे उठाये उसको लेकर सरकारी पक्ष की ओर से गलतबयानी नहीं की जाए और सरकारी तंत्र द्वारा उसका झूठा दुष्प्रचार नहीं किया जाए।
कृषि मंत्रालय की ओर से पत्र लिख कर किसान संगठनों से उनके समय, तारीख, जगह और एजेंडे पर वार्ता के लिए सरकार के तैयार होने की बात कही गयी थी। जिस पर अब किसान संगठनों ने अपनी बैठक कर सहमति दे दी है और शर्तें व समय-तारीख भी बता दी है।
हालांकि इसके साथ ही किसानों ने आगे के आंदोलन का एक रोडमैप भी तैयार कर रखा है। अगर वार्ता किसी सार्थक नतीजे तक नहीं पहुंची तो किसान अपने इस रोडमैप पर आगे बढेंगे। इसके तहत 30 दिसंबर को किसान सिंघु से लेकर टिकरी और शाहजहांपुर तक मार्च करेंगे। 31 दिसंबर व एक जनवरी को सिंघु बाॅर्डर पर लंगर लगाएंगे। किसानों ने आह्वान कियाह ै कि लोग लंगर खाने और नया साल मनाने सिंघु बाॅर्डर पर आएं।