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जानलेवा गर्मी से यूपी में 28 चुनावकर्मियों की मौत, पूर्व IPS ने बताया प्रशासनिक लापरवाही और कुप्रबंधन का दुष्परिणाम

Janjwar Desk
1 Jun 2024 2:24 PM IST
जानलेवा गर्मी से यूपी में 28 चुनावकर्मियों की मौत, पूर्व IPS ने बताया प्रशासनिक लापरवाही और कुप्रबंधन का दुष्परिणाम
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file photo

वर्तमान लोकसभा चुनाव अब तक का सबसे लंबा एवं सबसे अधिक चरणों वाला चुनाव रहा है। यह 19 मार्च से शुरू होकर 4 जून तक 80 दिन चलने वाला चुनाव है। अप्रैल, मई तथा जून ही सबसे अधिक गर्म रहने वाले महीने हैं, जिनमें सामान्य तौर पर भी लू व हीट स्ट्रोक आदि लगने से बड़ी संख्या में मौतें होती हैं, इतनी भीषण गर्मी में चुनाव करवाना जनता पर अत्याचार है....

लखनऊ। “उत्तर प्रदेश में कल शुक्रवार 31 मई तक 28 चुनाव कर्मियों की मौत हो चुकी है, जिसमें बड़ी संख्या में अल्प वेतन पाने वाले होमगार्ड शामिल है। इस पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस एस. आर. दारापुरी ने इसे प्रशासनिक लापरवाही एवं कुप्रबंधन का परिणाम बताया है। प्रेस को जारी बयान में उन्होंने चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उसे देश को बताना चाहिए कि इतनी भीषण और जानलेवा गर्मी में सात चरणों तक आम चुनाव को चलाने का क्या औचित्य है और क्या यह सत्ताधारी दल को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं है। उन्होंने मांग की कि मतगणना के लिए अभी से पेयजल, कूलर, ओआरएस आदि की समुचित व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर की जाए।

एसआर दारापुरी ने कहा कि वर्तमान लोकसभा चुनाव अब तक का सबसे लंबा एवं सबसे अधिक चरणों वाला चुनाव रहा है। यह 19 मार्च से शुरू होकर 4 जून तक 80 दिन चलने वाला चुनाव है। गौरतलब है कि अप्रैल, मई तथा जून ही सबसे अधिक गर्म रहने वाले महीने हैं, जिनमें सामान्य तौर पर भी लू व हीट स्ट्रोक आदि लगने से बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। इतनी भीषण गर्मी में चुनाव करवाना जनता पर अत्याचार है।

इस संबंध में उन्होंने कहा है कि 2014 से पहले चुनाव के चरणों की संख्या 3 या 4 से अधिक नहीं होती थी और विभिन्न चरणों के बीच 3-4 दिन से अधिक का समय नहीं रहता था। अब चरणों की संख्या 7 और उनके बीच का समय 7 से 8 दिन तक का रखा गया है। अब जब ड्यूटी के लिए फोर्सेज की उपलब्धता एवं गतिशीलता बढ़ गई है और ड्यूटी आदि लगाने का काम कंप्यूटर से तेजी हो जाता है तो चरणों की संख्या इतनी अधिक रखने का कोई औचित्य नहीं है।


उन्होंने आगे कहा है कि 80 दिन तक चुनाव चलाना न तो जनहित में है और न ही देशहित में, क्योंकि इतनी लंबी अवधि तक देश की एक बड़ी आबादी के चुनाव में व्यस्त रहने से कितने मानव घंटे बर्बाद होते हैं और उत्पादन की हानि होती है। इतने लंबे चुनाव में राजनीतिक पार्टियां अथवा चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति अरबों खर्च करते हैं जो कि कई प्रकार के भ्रष्टाचार तथा कुप्रथाओं को जन्म देता है। यह विचारणीय है कि जब विदेशों में एक दिन में चुनाव सम्पन्न हो सकता है तो देश के डिजिटल हो जाने का दावा करने वाली सरकार/ चुनाव आयोग इसे कम से कम समय में सपन्न क्यों नहीं करवा सकता।

आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट ने सभी राजनीतिक पार्टियों, बुद्धिजीवियों एवं चुनाव सुधार की मांग करने वाले संगठनों एवं व्यक्तियों से अनुरोध किया कि चुनाव प्रक्रिया को सरल, अल्पावधि वाला एवं कम खर्चीला बनाने की मांग उठाने पर विचार करें। चुनाव आयोग से भी अनुरोध किया गया है कि वह भी चुनाव प्रक्रिया को अधिक सरल, सूक्ष्म एवं कम खर्चीला बनाने हेतु पहल करे।

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