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गौरी लंकेश हत्याकांड के चार साल पूरे, लेकिन मामले में आरोप तय होना अभी बाकी

Janjwar Desk
5 Sept 2021 12:19 PM IST
गौरी लंकेश हत्याकांड के चार साल पूरे, लेकिन मामले में आरोप तय होना अभी बाकी
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सुप्रीम कोर्ट ने गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपी मोहन राकेश पर मुकदमा जारी रखने का फैसला सुनाया। 

गौरी लंकेश हत्याकांड के सभी आरोपियों के लिए कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (केसीओसीए), 2000 का आवेदन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टिका है, जिसकी सुनवाई 8 सितंबर को होने की उम्मीद है.....

जनज्वार डेस्क। 5 सितंबर, 2017 को एक्टिविस्ट-एडिटर गौरी लंकेश (Gauri Lankesh) की हत्या की गई थी। चार साल बीत चुके हैं और विशेष जांच दल (SIT) द्वारा चार्जशीट दाखिल किए करीब तीन साल हो चुके हैं। अभी तक इस मामले में आरोप तय होना बाकी ही है। हालांकि, न केवल इस मामले में बल्कि एम.एम. कलबुर्गी हत्याकांड (M.M. Kulbargi) मामले में भी इंसाफ होता दिखाई नहीं दे रहा जिसमें दो साल पहले चार्जशीट दाखिल की गई थी।

अभियोजन पक्ष ने मामले को लंबा खींच ने के लिए बचाव पक्ष द्वारा कोविड-19 महामारी के बहाने और देरी की रणनीति को दोषी ठहराया है। इस आरोप का बचाव पक्ष के वकील ने खंडन किया है।

"दोनों मामलों में संबंधित अदालतों में आरोपों से पहले सुनवाई (HBC) चल रही है और हमें विश्वास है कि आरोप तय किए जाएंगे और मुकदमा बहुत जल्द शुरू होगा," एम.एन. अनुकेत, मुख्य जांच अधिकारी, एसआईटी ने कहा। इस बीच गौरी लंकेश हत्याकांड के सभी आरोपियों के लिए कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (केसीओसीए), 2000 का आवेदन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टिका है, जिसकी सुनवाई 8 सितंबर को होने की उम्मीद है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अप्रैल, 2021 में एक आरोपी मोहन नाइक के खिलाफ केसीओसीए 2000 के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि अधिनियम केवल उन आरोपियों के खिलाफ लागू किया जा सकता है जिनके खिलाफ पहले दो या दो से अधिक मामले हैं।

गौरी की बहन कविता लंकेश ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद राज्य सरकार ने भी आदेश को चुनौती दी।

"अगर केसीओसीए, 2000 के प्रावधान को बरकरार नहीं रखा जाता है, तो आरोपी के जमानत पर जेल से बाहर निकलने की पूरी संभावना है," कविता ने कहा। "गौरी लंकेश की हत्या के चार साल हो चुके हैं, ऐसा लगता है जैसे कल की घटना हो और नुकसान की भावना कभी दूर नहीं होती। मुकदमे में अत्यधिक देरी हुई है और मुझे उम्मीद है कि न्याय सुनिश्चित करने के लिए इसमें तेजी लाई जाएगी।"

इस बीच प्रो. के.एस. भगवान हत्या की साजिश का मामला - गौरी लंकेश की हत्या की जांच के दौरान उजागर हुआ - लेकिन इसे रोक दिया गया क्योंकि बचाव पक्ष ने निचली अदालत के अधिकार क्षेत्र पर आपत्ति जताई। छह महीने बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया। "छह गवाहों से पूछताछ के बाद बचाव पक्ष ने अचानक ट्रायल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर आपत्ति जताई। उन्होंने किसी भी गवाह से जिरह करने से इनकार कर दिया।' बचाव पक्ष के वकील मुकदमे में देरी करने के लिए तुच्छ आधारों पर कई याचिकाएँ दाखिल करते हुए देरी की रणनीति अपना रहे हैं," गौरी लंकेश हत्याकांड में विशेष लोक अभियोजक एस. बालन ने आरोप लगाया कि उनकी अधिकांश याचिकाएं आज तक खारिज की जा चुकी हैं।

हालांकि तीनों मामलों में आरोपियों के एक प्रमुख बचाव पक्ष के वकील वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया कि वे देरी की रणनीति अपना रहे थे। बदले में उन्होंने आरोप लगाया कि अभियोजन पक्ष ने देरी के कारण महत्वपूर्ण दस्तावेजों तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया। "हमने जमानत याचिका दायर की है और केसीओसीए, 2000 के इस्तेमाल को चुनौती दी है, और कर्नाटक उच्च न्यायालय में केस जीत लिया है। आरोपी की ओर से सभी कानूनी उपाय तलाशना हमारी गलती नहीं हो सकती है।"

इचलकरंजीकर हिंदू जनजागृति समिति से संबद्ध हिंदू विधि परिषद के पदाधिकारी हैं, जिससे तीन मामलों में कई आरोपी कथित रूप से जुड़े थे।

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